Sunday, December 28, 2014

इन्सांन    को   सब    पता   हे
सिर्फ    नाम    के    माहिर  हे
वरना ये,,,,,,,,,,,
गलत्त फ़हमिओ के शिकार   नहीं   होते
काश,,धर्म और   इंसानियत  का
ज्ञान   होता   इन्हे,,,,,,,,,,,,,,,,
तो आज      धर्म के     नाम पर
हैवानियत  के  नंगे  नाच  नहीं होते  
               आर बी आँजणा
आज एक बस्ती में गया ,वहां पांच मिनट बिताकर ,
वहां बैठ कर ,,लिखी चार पंक्तिया ,,
आपसे शेयर करता हु ,,,,,,,,,,,,,,,

ये वो गली हे जहा मजदूर रहता हे
ये वो जगह हे जहा सूरज सीधा चमकता हे !

रहजनों क्यों सताते हो इसे,अपनी झुग्गी में रहता हे
चाहे जमाना कुछ भी करे ये मस्त रहता हे !

हर रात सपने में ,वो अपना घ्रर बनाता हे
और वो आकर रोज बा शब् बस्तिया जलाता हे!

रहजन लुटते है बस्तिया रात भर
बनाते हे महल किसी और की कमाई से
पर वो पथ्थर तोड़कर अपना परिवार पालता हे !

लाखो के दिलो में उठे शोले बुजाने की हिम्मत रखता हे
घायलो को मरहम लगाना ही उसके लिए सजा बनता हे !
आर बी आँजणा
पथ्थर      दिलो   की  ये  दुनिया  हे
उसको क्या  जाने जो अपना होता हे
ये जालिम अहले  दिल हस्ते भी उस ,वक्त हे
जब         कोई   ,,,    बर्बाद        होता   हे
                             आर बी आँजणा

Friday, December 19, 2014

: वक़्त से लड़ कर जो नसीब बदल दे, इंसान वही जो अपनी तक़दीर बदल दे;
कल क्या होगा कभी ना सोचो, क्या पता कल वक़्त खुद अपनी तस्वीर ही बदल दे।
: बीते कल का अफ़सोस और आनेवाले कल की चिंता,
दो ऐसे चोर हैं जो हमारे आज की ख़ूबसूरती को चुरा ले जाते हैं।
: उपलब्धि और आलोचना एक दुसरे की मित्र है,
उपलब्धियां बढ़ेंगी तो निश्चित ही आलोचना भी बढ़ेगी।
: सपना वो नहीं जो नींद में आए, दिल में झूठी उम्मीद जगाए;
सपना वो है जो सोने ना दे और जीवन में कभी रोने ना दे।
: अगर कोई आपको नजरअंदाज करता है तो बुरा महसूस मत करो।
लोग अक्सर मूल्यवान चीज़ों को ही नजरअंदाज करते हैं, क्योंकि उनका मूल्य उनके पास नहीं होता।
: एक बहुत अच्छी बात जो ज़िंदगी भर याद रखिए:
आप का खुश रहना ही आप का बुरा चाहने वालो के लिए सबसे बड़ी सज़ा है।
: विद्या से विनम्रता आती है;
विनम्रता से पात्रता आती है।

Thursday, December 4, 2014

बेईमानी     की     छत     पे  बैठा    हु
वहा  से    ताजा   नजारा   देख  रहा  हु
बेईमानो  के  घर बनते    देख   रहा हु
इमानदारो   के घर उजड़ते देख रहा हु
बेईमानी के भाव    बढ़ते,खूब बिकते देख  रहा हु
ईमानदारी केभाव घटते गोदामभरते  देख रहा हु
बाबागिरी  के अलाम   कुछ     यु देख  रहा हु
की उन बेईमानो   को जेल में बैठे देख  रहा हु
रिस्तो की   डोर   कमजोर  होते देख  रहा हु
भाई भाई और बाप बेटे  में दरारे देख  रहा हु
कुछ को चरित्र के लिए मरते  देख रहा हु 
तो कुछको सूरत संवार करबाजीलुटते देख रहा हु
बुलंदीआ   छूना  तो  मुझे भी  बखूबी  आता हे
पर दुसरो को     गिराने का  हुनर   ,लोग        
  कहा से लाते   हे    ,यही देख      रहा हु
सभ्यताएवं  संस्कृति का होता नाश देख रहा हु
आधुिकता    के नाम पे                           
    लोगो    के     नंगे होते        देख    रहा हु
                    आर बी आँजणा

Sunday, November 30, 2014

क्यों  रोता हे अकेला
दो आंसू मुझे भी दे दे
मत तड़प तू अकेला
थोड़ा सा दुःख जरा ,, बयां कर दे
गाव से आया हु शहर की तरफ
थोड़ा सा काम मुझे भी दे दे
पुरखो की वो अमानत साथ लाया हु
थोड़ी सी सभ्यता ,,संस्कृति तू भी ले ले
थोड़ी सी अमानत बाँट  दे ,,
जरुरत मन्दो  को .......की
ये आरजू रहे उनकी ख़ुदा से ,,
थोड़ी सी चैन ,,,शांति ,,,,
वो........तुजे भी दे दे
             आर बी आँजणा

Wednesday, November 19, 2014

कबीर पंथ की चादर ओढ़ने वाले रामपाल जी ने शायद यह दोहा तो पढ़ा ,,सुना ही होगा

कबीर का घर सोवटे ,,    गाला कटन के पास
जो करता वो नर नहीं डरता,तो में क्यों फिरू उदास ......

आखिर हम सही हे
तो गलत तरीको  की जरुरत क्यों हे
आखिर हम सच्चे   हे
तो झूठ की जरुरत क्यों हे
अगर हम धर्म के रखक हे
तो धर्म  कमांडो  की जरुरत क्यों हे
आखिर हमें किसी से डर नहीं
तो छुपने की जरुरत क्यों हे
अगर धर्म को माया मोह नहीं
तो उन्हें पेसो की जरुरत क्यों हे
,,,,,,,,,,,,,
और भी कई ऐसे सवाल हे जो रामपाल के आचरण को लेकर काफी लोगो के जहन में उमड़ रहे होंगे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,


 संत रामपाल ने कबीर पंथ की चादर ओढ़कर इस तरह का आचरण किया ,,,ये कबीर पंथ का आचरण नहीं हे ,,,,

Wednesday, November 5, 2014

  ""तन्हाई ""

मेरी याद तो तुजे जरूर आएगी किसी मोड़ पर
जब यादआये  मेरी,उस मोड़ पर मुझे याद करना
याद जरूर होगा तुजे वो मंजर , वो खँडहर
अगर याद आये उस खँडहर पे,तो मुझे याद करना
रोना तो जरूर आएगा तुजे ,मेरी याद में
पर ,,,आंसू मत निकालना ,मुझे  याद करना
रात के अँधेरे में भी ,मेरी याद में सो नहीं पायेगी
पर जागना मत,आँखे बंद करके मुझे याद करना
                                       आर बी आँजना

Monday, November 3, 2014

आज   आलम   ठीक  नहीं  हे
ये  फरमान   मत    सुनाना
जनाजो पर पाबंदी हे आजकल
मोत का फरमान मत सुनाना
बाजारे सियासत गरम हे फिलहाल
हर मसले को राजनीति मत बनाना
हर नफरत पर काबू यही पाती हे
तू मुहब्बत   से  मुह  मत मोड़ना
यही  तो  एक  आभूषण हे तेरा
बस अपनी मुस्कराहट मत छोड़ना
लाख ज़माना परेशान करे तुजे
तू अपना  उसूल  मत   छोड़ना
जहा  जाओगे  मिल  जाऊंगा  रमेश  
बस,, दुआ सलाम जरूर पूछते रहना
यही  तो इंसानियत का खेल हे दोस्त 
हर   शक्श  को  अपना बनाके  रखना
                    आर बी आँजणा
                       जय श्री राम

Saturday, November 1, 2014

काश,,, हवा  से  नशा   होता
हम मदिरा हवा में मिला देते
शुक्र हे भगवान का ,,,,,,,,,,
इंसान उड़ नहीं सकता ,,,,,
वरना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
ये आसमान को भी हिला देते
               आर बी आँजणा
                शुभ रात्रि मित्रो

Thursday, October 23, 2014

सभी भाई बहनो ने रोमा सोमा रा रोम रोम ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
आप एवं परिवार के समस्त सदस्यों को पावन पर्व दीपावली की बहुत बहुत हार्दिक शुभ-कामनाएं , यह पर्व आपके जीवन में ढेर सारी खुशियाँ लाये , प्रकाश लाये , आप स्वस्थ्य रहें , मस्त रहें , धन की देवी " माँ लक्ष्मी " आप पर सदा महरबान रहें ! देवी " माँ सरस्वती " की असीम कृपा आप पर बनी रहे ! " श्री गजानन " आपको बल बुद्धि प्रदान करें ! आपका अपने परिवार के साथ असीम प्रेम और स्नेह का भाव जीवन भर बना रहे !......
आर बी आँजणा
09413885566

Wednesday, October 15, 2014

'मिसाइल मैन ऑफ़ इंडिया' और फिर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के सर्वोच्च पद तक का संघर्ष मुस्कुराते हुए तय करने वाले, 83 साल की उम्र में भी करोड़ों युवाओं के आदर्श, The Real Icon, कलाम साहब को उनके जन्म-दिवस की हार्दिक बधाई"
माना  की  मै  नया  हु    ,इस   शहर में ईशा
पर कोई   शहर   नया   नहीं हे     , मेरे लिए

हां,  बेशक तू  मशहूर हे ईशा ,    तेरे शहर में 
कोई पहचानने वाला नहीं हे इस शहर में ,मेरे लिए

दोस्त हो या दुश्मन,कुछ यादे तो सबकी होती हे
पर दिल में आहो का समंदर हे  ईशा , तेरे लिए



यु तो कोई नहीं  दरकिनार  करता किसी को मेने कुछ सोचकर अपनों से बगावत की हे ईशा , तेरे लिए

तेरी जमीं परपैर रखाहे माँ कुछ तमन्नाओ के साथ
मानव सेवा का कायल हु में ,क्या सेवा हे मेरे लिए

कुछ अपनों व कुछ परायों के लिए बहुत आशाये हे मुझे  
तैयार  हु में, माँ ईशा, क्या आशीर्वाद हे मेरे लिए
                                    " आर बी आँजणा"
                                       09413885566

देवो की देवी

माना  की  मै  नया  हु    ,इस   शहर में ईशा
पर कोई   शहर   नया   नहीं हे     , मेरे लिए

हां,  बेशक तू  मशहूर हे ईशा ,    तेरे शहर में 
कोई पहचानने वाला नहीं हे इस शहर में ,मेरे लिए

दोस्त हो या दुश्मन,कुछ यादे तो सबकी होती हे
पर दिल में आहो का समंदर हे  ईशा , तेरे लिए

यु तो कोई नहीं  दरकिनार  करता किसी को
मेने कुछ सोचकर बगावत की हे ईशा , तेरे लिए

तेरी जमीं परपैर रखाहे माँ कुछ तमन्नाओ के साथ
मानव सेवा का कायल हु में ,क्या सेवा हे मेरे लिए

कुछ अपनों व कुछ परायों के लिए बहुत आशाये हे मुझे  
तैयार  हु में, माँ ईशा, क्या आशीर्वाद हे मेरे लिए

                                    " आर बी आँजणा"
                                       09413885566

Sunday, October 12, 2014

जिंदगी का सबसे अच्छा वक्त
वो वक्त होता हे ,,,
जब हम बहुत सारी
कठिनाइयों से जूझकर
उन्हें मात  देकर
दुखो से उभर कर
उन्हें मात देकर
बाहर निकलते हे
और जो अनुभूति होती हे
एक एहसास होता हे
जो ख़ुशी होती हे
बस,,,,,,,,,,,,,,,,,,
वही एक बहुत अच्छा वक्त होता हे
पूरी जिंदगी में खूबसूरत होता हे
                     शुभ  रात्रि मित्रो

Saturday, October 11, 2014

  ""तन्हाई ""

मेरी याद तो तुजे जरूर आएगी किसी मोड़ पर
जब यादआये  मेरी,उस मोड़ पर मुझे याद करना
याद जरूर होगा तुजे वो मंजर , वो खँडहर
अगर याद आये उस खँडहर पे,तो मुझे याद करना
रोना तो जरूर आएगा तुजे ,मेरी याद में
पर ,,,आंसू मत निकालना ,मुझे  याद करना
रात के अँधेरे में भी ,मेरी याद में सो नहीं पायेगी
पर जागना मत,आँखे बंद करके मुझे याद करना
                                       आर बी आँजना

                 "शुभ रात्रि मित्रो "
दिल में आहो का समंदर हे !
फिर भी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
कुछ खुशिया हमारे अंदर हे !
                 आर बी आँजना

Friday, October 10, 2014

गुलशन में फूल खिलने वाले हे ,,,
तू भंवरी बन के बैठ,,,,,,,,,,,,,,,!
और उसी गुलशन से हम गुजरने वाले हे
तू भंवरी बन के बैठ,,,,,,,,,,,,,,,!
                    आर  बी  आँजणा

Saturday, September 13, 2014

हमें खास तजुर्बा हे दोरे- हाजिर दहर का
यहाँ इमानदारो के बीच बेईमान बच जाता हे
क्या बताये आलम इस सर- सब्ज व शादाब का
यहाँ बेईमानो के बीच ईमानदार बिक जाता हे
देख के हालत अबला की ,,,,,,,,,,,,,,,,,,
इस पाकीजा जम्मूरियत में
तबस्सुम से सरोबार ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
इंसान का दिल भी टूट जाता हे
कबीले- दीद हे नफ्सियात आज के इंसान की
दो पैसे के खेल में ,,यहाँ अस्मत लूट जाती हे
बड़ी गर्दिशे हे जिंदगी में ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
किसे सुनाऊ किस्सा - ए- दिल रमेश
यहाँ तो कायनात ही ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
शोरे - आहो - फुगा में मशगूल रहती हे
""आर .बी. आँजना""
09413885566
ये मत पूछ की  ,,,खलाओ से ,,,,,
                    क्यों मेरी दोस्ती हे  !
मेरी मंजिल  तो   वही   हे
बाकि सब तो ,,,,,,बस ,,,,,,,
                    कागज की कस्ती हे !!

                    " आर . बी . आँजना"

Sunday, September 7, 2014

मेह्खानो के दोस्त हमारे निराले हे !
कौन नापे .
कौन गिने ,,,,,,
हमारे पैमानों को ......
यहाँ सबके अपने ,,अंदाज निराले हे !

           "आर बी आँजना"
वो उधर बेजार हे ,
हम इधर बेजार हे ,
कोन समझे ,,,,,
तेरी बेरुखी रमेश
यहाँ तो सब बेजार हे !
           "आर बी आँजना"
तुजे नशा किस  बात  का  हे  मेरे  दोस्त
यही कमाया हे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
यही छोड़कर जाने वाला हे !
तू रुशनास नहीं हे हकीकत ए जिंदगी से
मूर्खो की दुनिया में,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
आज तू राजा बनाने वाला हे   !  
                 आर बी आँजना


Wednesday, September 3, 2014

चली  गई वो  कमसिनी में ....
यु इतरा के ,,,,,,,,,
जाते जाते छोड़ गई ...........
एक तबस्सुम ,,,,,,,,,,,,,,,,,!

              गुड मॉर्निंग मित्रो
                आर बी आँजना

Sunday, August 31, 2014

शोहरत की बुलंदी तो कुछ पल का तमाशा हे बन्दे ,,,
जरा संभल के बैठना ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
जिस डाल पे बैठे हो ,,,वो टूट भी सकती हे .......?
हर तरफ खूँरेजी ,,और नफरत के शोले क्यों भड़क रहे हे ?
इंसान तो पहले भी वही था ,,,और आज भी वही हे .!

                                          आर बी आँजना

Saturday, August 30, 2014

हा ,,,,यह सच हे कि,,,
मै,,,,,,,,,,,,
मेरी छाया को पकड़ नही सकता
पर यह भी  सच हे कि .........
यदि मै ,,,,,,,,,
खुद को पकड़ लू तो,,,,,
छाया खुद ब खुद
पकड़ मे आ जाएगी ,,, !
           
                 आर बी आंजना
हस्ते चेहरों को देख
अक्सर  हम सोचते हे
वह क्या जिंदगी हे ....
पर ,,,,,,
यह जरुरी नहीं की
उनके दुःख ना हो
जो दुनिया के सामने
रोया  नहीं करते  ...
      आर बी आँजना

Friday, August 29, 2014

वो कागज की कस्ती
 वो गांव की बस्ती
वो हंसी ,,, वो खेल
वो  मस्ती ,,वो नादानी
क्या वो बचपन था
छोड़ के सब ,,,,,
निकले थे शहर  हो
सपने सजाने
आज घर ही ,,,,
एक सपना बन गया
छीन  लो मेरी धन दौलत
तैयार हु में .....चाहे
छीन लो मेरी जवानी
मुझे मेरा बचपन लोटा दो

Saturday, August 23, 2014

ये वक्त का तकाजा हे 
वक्त क्या करेगा
वक्त कब करेगा
वक्त किस वक्त पर क्या करेगा
ये तो वक्त ही बताएगा
ये वक्त का तकाजा हे
किसे कहा चढ़ा दे
किसे कहा गिरा दे
किसे क्या बना दे
ये तो वक्त ही बताएगा
ये वक्त का तकाजा हे
किसे कब मिला दे
किसका कब साथ छुड़ा दे
कब किसे धनवान बना दे
किसे कब गरीब बना दे
किसको अपनों का साथ छुड़ा दे
किसे कब अपनों से मिला दे
वक्त क्या कर दे
वक्त कब कर दे
वक्त क्या करेगा
वक्त कब करेगा
वक्त किस वक्त पर क्या करेगा
ये तो वक्त ही बताएगा
ये वक्त का तकाजा हे
            आर बी आँजना

Wednesday, August 20, 2014



लूट ले मुझे  चाहे ये दुनिया
लूट ले चाहे देह का कपड़ा
आखिर मेरी किस्मत तो
मेरी मुठ्ठी में बंद  हे !
देखा रहा हु सारे जहा को
बीच ,,इंसानो के मेले से
वैसे चस्मा तो ,,,,,,,
मेने शोक के लिए  लगाया हे
कौन कहता हे
                                                                                    मेरी आँखे बंद हे !
                                                                                                           "" आर बी आँजना""

Tuesday, August 19, 2014

मेरी कोई खता तो साबित कर
जो बुरा  हु  तो  बुरा  साबित कर
तुम्हे चाहा हे कितना ,,,,,,,,,,,
तु क्या जाने 
चल में बेवफा ही सही
तू अपनी खफा तो साबित कर
                    "गुलजार "

Monday, August 18, 2014

आज रानीवाडा व जाखडी में हुई अप्रिय घटना से मुझे दु:ख हैं ! मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि ईश्वर उनके परिवार को दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें व दुर्घटना के शिकार भाईयों व बहनों की आत्मा को शान्ति प्रदान करें !
सभी देशवासियों को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व  की हार्दिक बधाई एवं ढेर सारी शुभकामनाएँ
जयश्रीकृष्णा !!

Saturday, August 16, 2014

होस्लेवान मुफ़लिस

वक्त तेरे पास भी नहीं हे
वक्त मेरे पास भी  नहीं हे
नया तू भी इस शहर में हे
नया में भी इस शहर में हु
ना कोई तेरा अपना इस शहर में हे
ना कोई मेरा बेगाना इस शहर में हे
खुमार तुजे भी हे इस मुफलिसी का
खुमार मुझे भी हे इस गरीबी का
भरी हुजूम में सो रहा हे तू भी
भरी हुजूम में सो रहा हु में भी
डर तुझे भी होगा इन काली शबो का
डर मुझे भी हे इन काली शबो का
ना तेरे सर पे सायबा हे
ना मेरे सर पे सायबा हे
कड़कड़ाती सर्द रातो में ,,,,
सिकुड़ गई हे देह तेरी भी
कड़कड़ाती सर्द रातो में ...
सिकुड़ गई हे देह मेरी भी
तेरी अस्मत की चिन्ता तुझे भी होगी
मेरी अस्मत की चिन्ता मुझे भी हे
कुछ ख्वाब तेरे भी होंगे
कुछ ख्वाब मेरे भी हे
किसी का सौदाई तू भी होगा
किसी का सौदाई में भी हु
ऐ मेरे काली रातो के मुफ़लिस दोस्त
 कुछ पल और हे ,,,सहर होने को आई हे
मुद्दुआ तो आखिर दोनों की एक ही हे
जिंदगी तुझे भी जिनि हे
जिंदगी मुझे भी जिनि हे
चल उठा मेंहनत के हथियार
तोड़ डाले इस मुफलिसी की दीवार को
बता दे ज़माने को कि.......
कुछ तुम भी हो तो
कुछ हम भी हे
कुछ ज़माना भी हे
तो कुछ हम भी हे
               "आर . बी . आँजना"



ज्यादा मुस्कराहट भी गम की आहट होती हे !
ओ ,,,शहर छोड़कर जाने वालो
जरा पीछे मुड़कर देखो
पीछे छोड़ी हुई भी हमारी कुछ यदि होती हे !!
                     आर . बी . आँजना

मेरा वजूद

ना में जीवन के लिए ,,ना आसमा के लिए
मेरा वजूद सिर्फ इंसान के लिए

ना में गरीब के लिए ,,,ना अमीर के लिए
मेरा वजूद सिर्फ इंसान के लिए
'
ना में हिन्दू के लिए ,,,ना  मुस्लिम के लिए
मेरा वजूद सिर्फ इंसान के लिए

ना में किसी एक के लिए ,,,ना सब के लिए
मेरा वजूद सिर्फ इंसान के लिए

ना अपनों के लिए ,,,ना परायो  के लिए
मेरा वजूद सिर्फ इंसान  के लिए

चाहे कर्म के लिए हो या चाहे मर्म के लिए
मेरा वजूद सिर्फ इंसान के लिए
                         "आर बी आँजना"

Tuesday, August 12, 2014

मित्रो आज दिन में  NDTV  पर एक डिबेट देख रहा था ! कभी कभी लगता हे की हमारे देश का मीडिया भी कुछ मामले ज्यादा ही सेंसिटिव बना देता हे !ना कभी संघ देश बाँटने की बात करता ,,ना कोई और संघटन,, पर हां मीडिया के लिए जरूर वो बात सुर्खिया बन जाती हे ! कभी कभी कुछ बाते मीडिया को संभलकर आगे लानी चाहिए ताकि लोगो को कोई गलत सन्देश ना जये !ऐसा मुझे लगता हे !,उसने बोला ये हिन्दू ,,,उसने बोला वो मुसलमान ! भारत उसका हे वो हमारा हे ,,,पता नहीं कोण किसका हे ,,,किसने बांटा हे ,,,कोण किसको किसकी जागीर समझता हे ! पर सुर्खिया गरम जरूर हो जाती हे ! पता नहीं चलता की इंसान की परिभाषा क्या हे ,,,,,बस यही सिर्फ की वह हिन्दू ,,,यह मुसलमान ,,,वो सिख ,,ये ईसाई ? नहीं समझ आता मित्रो .....
चार लाइन  लिखी जो आपसे साझा करता हु ..........

कोई कहता हे यह मुस्किल हे
                     कोई कहता हे यह नामुमकिन हे
जरा घर से निकल के देखो
                 रास्ता साफ़ नजर आएगा
जरा आगे बढ़ के देखो
                   मंजिल अपनी ही नजर आएगी
कोई कहता हे यह हिन्दू हे
                     कोई कहता हे वह मुसलमान हे
कोई कहता हे यह सिख हे
                           कोई कहता हे वह ईसाई हे
ज़रा धर्म के चश्मे उतार कर देखो
                               सब इंसान नजर आएंगे
                      "आर . बी . आँजना"

Monday, August 11, 2014

बदलाव का सबब

परेशान हे दुनिया बाजारे  सियासत में
आखिर इस दर्द की दवा क्या हे !
बुझी हुई शमा फिर से जलाने में लगा हे
आखिर इस इंसान का कर्म क्या हे'!
इंसान इंसान को काटने में लगा हे
भूल गया यह की इसका धर्म क्या हे !
हैवानियत के खेल को अपना धंधा बना रखा हे
आखिर इस मर्द की मंशा क्या हे !
बदल गई यह कायनात एकदम से
आखिर इस बदलाव का सबब क्या हे !
                       "आर. बी . आँजना"
जब जब में खामोश रहता हु ..
दुनिया कोई फ़साना
 धुंध लेती हे
बड़ी शातिर हे ये कायनात
पराये दुःख पर हसने वाली
मुझे दुखी करने का ,,,
कोई ना कोई बहाना ,,,,
धुंध लेती हे
 आर . बी . आँजना

Friday, August 8, 2014

देश की सभ्यता बदल गई

देश की सभ्यता बदल गई
संस्कृति तो  चली गई
सभ्यता अब फैशन हो गई
पिताजी अब डेड हो गए
माताजी मोम बन गई
भाई बेचारा ब्रो हो गया
बहन दी बन गई
तुलसी पूजा  गायब हो गई
घर में मनी प्लांट आ गया
गो माता सड़को पर आ गई
भारतीयों के कंधो पर बेथ के
विदेशी कुत्ते दूध पिने लगे
रोटी अब किसे भाती हे
मेगी ही  घर का राशन हे !
विदेशी कुत्ते घर की शान हे !!
                    "आर. बी. आँजना"
फिर भी रक्षा बंधन तो आखिर रक्षा बंधन ही हे
सभी मित्रो को रक्षा बंधन की ढेरो  शुभकामनाये

Wednesday, July 30, 2014

बीती हुई बात नहीं दोहराओ
बीती हुई कोई बात नहीं होती
खुदा से बच के रहना
खुदा की मार में आवाज नहीं होती
पैसे वालो ने सोचा ,,,
लोगो की भावनाओ को भी खरीद ले
उनका गुरुर उतर गया
जब उन्हें पता चला कि
भावना पेसो कि मोहताज नहीं होती
                     आर . बी . आंजना

Self-confidence बढाने के 10 तरीके


इस  बात  से  कोई  इनकार  नहीं  कर  सकता की  जीवन  में  सफलता  पाने  के  लिए  self-confidence एक  बेहद  important quality है . जीवन  में  किसी मुकाम  पर  पहुंच  चुके  हर  एक  व्यक्ति  में  आपको    ये quality दिख  जाएगी , फिर  चाहे  वो  कोई  film-star हो  , कोई  cricketer, आपके  पड़ोस  का  कोई  व्यक्ति , या  आपको  पढ़ाने  वाला  शिक्षक  . आत्मविश्वास एक  ऐसा गुण है जो हर  किसी  में होता है , किसी  में  कम  तो किसी  में  ज्यादा . पर  ज़रुरत  इस बात की है  कि  अपने  present level of confidence को  बढ़ा  कर  एक  नए  और  बेहतर  level तक  ले  जाया  जाये . और  आज   AKC पर  मैं  आपके  साथ  कुछ  ऐसी  ही  बातें  share करूँगा  जो  आपके  आत्म-विश्वास  को बढाने में मददगार  हो  सकती हैं :
1)  Dressing sense improve कीजिये :
आप  किस  तरह  से  dress-up होते  हैं  इसका  असर  आपके  confidence पर  पड़ता  है . ये  बता  दूँ  कि  यहाँ  मैं  अपने  जैसे आम लोगों  की  बात  कर  रहा  हूँ , Swami Vivekanand और  Mahatma Gandhi जैसे  महापुरुषों  का  इससे  कोई  लेना  देना  नहीं  है , और  यदि  आप  इस  category में  आते  हैं  तो  आपका  भी :).
 मैंने  खुद  इस  बात  को  feel किया  है  , जब  मैं  अपनी  best attire में  होता  हूँ  तो  automatically मेरा  confidence बढ़  जाता  है , इसीलिए  जब  कभी  कोई  presentation या  interview होता  है  तो  मैं  बहुत  अच्छे  से  तैयार  होता  हूँ . दरअसल  अच्छा  दिखना  आपको  लोगों  को  face करने  का  confidence देता  है  और  उसके  उलट  poorly dress up होने  पे  आप  बहुत conscious रहते  हैं .
मैंने  कहीं  एक  line पढ़ी  थी  ,” आप  कपड़ों  पे  जितना  खर्च  करते  हैं  उतना  ही  करें , लेकिन  जितनी  कपडे  खरीदते  हैं  उसके  आधे  ही खरीदें ” . आप भी इसे अपना सकते हैं.
2)  वो  करिए   जो  confident लोग  करते  हैं :
आपके  आस -पास  ऐसे  लोग  ज़रूर  दिखेंगे  जिन्हें  देखकर  आपको  लगता  होगा  कि  ये व्यक्ति  बहुत  confident है . आप  ऐसे  लोगों  को  ध्यान  से  देखिये  और  उनकी  कुछ  activities को  अपनी  life में  include करिए . For example:
•             Front seat पर  बैठिये .
•             Class में , seminars में , और  अन्य  मौके  पर  Questions पूछिए / Answers दीजिये
•             अपने चलने और बैठने के ढंग पर ध्यान दीजिये
•             दबी  हुई  आवाज़  में  मत  बोलिए .
•             Eye contact कीजिये , नज़रे  मत  चुराइए .
3)  किसी  एक   चीज  में  अधिकतर  लोगों  से  बेहतर   बनिए :
हर  कोई  हर  field में  expert नहीं  बन सकता  है , लेकिन  वो  अपने  interest के  हिसाब  से  एक -दो  areas चुन  सकता  है  जिसमे  वो  औरों  से  बेहतर  बन  सकता  है . जब  मैं   School में  था  तो  बहुत  से  students मुझसे  पढाई  और  अन्य  चीजों  में  अच्छे  थे , पर  मैं  Geometry  में  class में  सबसे  अच्छा  था (thanks to Papa :)), और  इसी  वजह  से  मैं  बहुत  confident feel करता  था .  और  आज  मैं  AKC को  world’s most read Hindi Blog बना  कर  confident feel करता  हूँ . अगर  आप  किसी  एक  चीज  में  महारथ  हांसिल  कर  लेंगे  तो  वो  आपको  in-general confident बना  देगा . बस  आपको  अपने  interest के  हिसाब  से  कोई  चीज  चुननी  होगी  और  उसमे  अपने  circle में  best बनना  होगा , आपका  circle आप पर  depend करता  है , वो  आपका  school,college, आपकी  colony या  आपका  शहर  हो  सकता  है .
आप  कोई  भी  field चुन  सकते  हैं  , वो कोई  art हो  सकती  है , music, dancing,etc कोई  खेल  हो  सकता  है , कोई  subject हो  सकता  है  या  कुछ  और जिसमे आपकी expertise  आपको  भीड़  से  अलग  कर  सके  और आपकी  एक  special जगह  बना  सके . ये  इतना  मुश्किल  नहीं  है , आप  already किसी  ना  किसी  चीज  में  बहुतों  से  बेहतर  होंगे , बस  थोडा  और  मेहनत  कर  के  उसमे  expert बन  जाइये , इसमें  थोडा  वक़्त   तो  लगेगा ,  लेकिन  जब  आप  ये  कर  लेंगे  तो  सभी  आपकी  respect करेंगे  और  आप  कहीं  अधिक  confident feel करेंगे .
और  जो  व्यक्ति  किसी  क्षेत्र  में  special बन  जाता है  उसे  और  क्षेत्रों  में  कम   knowledge होने की चिंता  नहीं होती , आप  ही  सोचिये  क्या  कभी सचिन  तेंदुलकर इस  बात  से  परेशान  होते  होंगे  कि  उन्होंने  ज्यादा  पढाई  नहीं  की ….कभी  नहीं !
 4)  अपने  achievements  को  याद  करिए  :
आपकी  past achievements आपको  confident feel करने  में  help करेंगी . ये  छोटी -बड़ी  कोई  भी  achievements हो  सकती  हैं . For example: आप  कभी  class में  first आये  हों , किसी  subject में school top किया  हो , singing completion या  sports में  कोई  जीत  हांसिल  की हो ,  कोई  बड़ा  target achieve किया  हो , employee of the month रहे  हों . कोई  भी  ऐसी  चीज  जो  आपको  अच्छा  feel कराये .
आप  इन  achievements को dairy में  लिख  सकते  हैं , और  इन्हें  कभी  भी  देख  सकते  हैं , ख़ास  तौर  पे  तब  जब  आप  अपना  confidence boost करना  चाहते  हैं .इससे  भी  अच्छा  तरीका  है  कि  आप  इन  achievements से  related कुछ  images अपने  दिमाग  में  बना  लें  और  उन्हें  जोड़कर  एक  छोटी  सी  movie बना  लें  और  समय  समय  पर  इस  अपने  दिमाग  में  play करते  रहे . Definitely ये  आपके  confidence को  boost करने  में मदद  करेगा .
5) Visualize करिए  कि  आप  confident हैं :
आपकी  प्रबल  सोच  हकीकतबनने  का  रास्ता  खोज  लेती  है , इसलिए  आप  हर  रोज़  खुद  को  एक   confident person के  रूप  में  सोचिये . आप  कोई  भी  कल्पना  कर  सकते  हैं , जैसे  कि  आप  किसी  stage पर  खड़े  होकर  हजारों  लोगों  के  सामने  कोई  भाषण  दे  रहे  हैं , या  किसी  seminar haal में  कोई  शानदार  presentation दे  रहे  हैं , और  सभी  लोग  आपसे  काफी  प्रभावित  हैं , आपकी  हर  तरफ  तारीफ  हो  रही  है  और  लोग  तालियाँ  बजा  कर  आपका  अभिवादन  कर  रहे  हैं . Albert Einstein ने  भी  imagination को  knowledge से अधिक  powerful बताया  है ; और  आप  इस  power का  use कर  के  बड़े  से  बड़ा  काम  कर  सकते  हैं .
6) गलतियाँ   करने  से  मत  डरिये:
क्या  आप  ऐसे  किसी  व्यक्ति  को  जानते  हो  जिसने  कभी  गलती  ना  की  हो ? नहीं  जानते  होंगे , क्योंकि  गलतियाँ  करना  मनुष्य  का  स्वभाव  है , और  मैं  कहूँगा  कि  जन्मसिद्ध  अधिकार  भी . आप  अपने  इस  अधिकार  का  प्रयोग  करिए . गलती  करना  गलत  नहीं  है ,उसे  दोहराना  गलत  है . जब  तक  आप  एक  ही  गलती  बार -बार  नहीं  दोहराते  तब  तक  दरअसल  आप  गलती  करते  ही  नहीं  आप  तो  एक  प्रयास  करते  हैं  और  इससे  होने  वाले  experience से  कुछ  ना  कुछ  सीखते  हैं .
दोस्तों  कई  बार  हमारे  अन्दर  वो  सब  कुछ  होता  है  जो  हमें  किसी काम  को  करने  के  लिए  होना  चाहिए , पर  फिर  भी  failure के डर से  हम  confidently उस  काम  को  नहीं  कर  पाते .  आप  गलतियों  के  डर  से  डरिये  मत , डरना  तो उन्हें चाहिए जिनमे इस भय के कारण  प्रयास  करने  की  भी  हिम्मत  ना  हो !! आप  जितने  भी  सफल  लोगों  का  इतिहास  उठा  कर  देख  लीजिये  उनकी  सफलता  की  चका-चौंध  में  बहुत  सारी  असफलताएं  भी  छुपी  होंगी .
Michel Jordan, जो  दुनिया  के  अब  तक  के  सर्वश्रेष्ठ basketball player माने   जाते  हैं; उनका  कहना  भी  है  कि  , “मैं अपनी जिंदगी में बार-बार असफल हुआ हूँ और इसीलिए मैं सफल होता हूँ.”
आप  कुछ   करने  से  हिचकिचाइए  मत  चाहे  वो  खड़े  हो  कर कोई सवाल करना हो , या  फिर  कई  लोगों  के  सामने  अपनी  बात   रखनी  हो , आपकी  जरा  सी  हिम्मत  आपके  आत्मविश्वास  को  कई  गुना  बढ़ा  सकती  है . सचमुच डर के आगे जीत है!
7)  Low confidence के  लिए  अंग्रेजी  ना  जानने  का  excuse मत  दीजिये :
हमारे  देश  में  अंग्रेजी  का वर्चस्व  है . मैं  भी  अंग्रेजी  का ज्ञान  आवश्यक  मानता  हूँ ,पर  सिर्फ  इसलिए  क्योंकि  इसके  ज्ञान  से  आप  कई  अच्छी  पुस्तकें , ब्लॉग  , etc पढ़  सकते  हैं , आप  एक  से  बढ़कर  एक  programs, movies, इत्यादि  देख  सकते  हैं . पर  क्या  इस  भाषा  का  ज्ञान  confident होने  के  लिए  आवश्यक  है , नहीं .  English जानना  आपको  और  भी  confident बना  सकता  है  पर  ये  confident होने  के  लिए  ज़रूरी  नहीं  है . किसी  भी  भाषा  का  मकसद  शब्दों  में  अपने  विचारों   को  व्यक्त   करना  होता  है , और  अगर  आप  यही  काम  किसी  और  भाषा  में  कर  सकते  हैं  तो आपके लिए अंग्रेजी  जानने  की  बाध्यता  नहीं  है .
मैं  गोरखपुर  से  हूँ , वहां  के  संसद   योगी  आदित्य  नाथ  को  मैंने  कभी  अंग्रेजी में  बोलते  नहीं  सुना  है , पर  उनके  जैसा  आत्मविश्वास  से  लबरेज़  नेता  भी  कम   ही  देखा  है . इसी  तरह  मायावती , और  मुलायम  सिंह  जैसे  नेताओं में  आत्मविश्वास  कूट -कूट  कर  भरा  है  पर  वो  हमेशा  हिंदी  भाषा का  ही  प्रयोग  करते  हैं . दोस्तों, कुछ  जगहों  पर  जैसे  कि job-interview में  अंग्रेजी  का  ज्ञान  आपके  चयन  के  लिए  ज़रूरी  हो  सकता  है , पर  confidence के  लिए  नहीं , आप  बिना  English जाने  भी  दुनिया  के  सबसे  confident  व्यक्ति  बन  सकते  हैं .
8 ) जो  चीज  आपका आत्मविश्वास  घटाती  हो  उसे  बार-बार  कीजिये :
कुछ  लोग  किसी  ख़ास  वजह  से  confident नहीं  feel करते  हैं . जैसे  कि  कुछ  लोगों में  stage-fear होता  है  तो  कोई  opposite sex के  सामने  nervous हो  जाता  है . यदि  आप  भी  ऐसे  किसी  challenge को  face कर  रहे  हैं  तो  इसे beat करिए . और  beat करने  का  सबसे  अच्छा  तरीका  है  कि  जो  activity आपको  nervous करती  है  उसे  इतनी  बार  कीजिये  कि  वो  आप ताकत  बन  जाये . यकीन  जानिए  आपके  इस  प्रयास  को  भले  ही शुरू  में  कुछ  लोग  lightly लें  और  शायद  मज़ाक  भी  उडाएं  पर  जब  आप  लगातार अपने efforts  में लगे  रहेंगे  तो  वही  लोग  एक  दिन  आपके  लिए  खड़े  होकर  ताली  बजायेंगे .
 गाँधी जी की कही एक  line मुझे  हमेशा  से  बहुत  प्रेरित  करती  रही  है  “पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हँसेंगे, फिर वो आप से लड़ेंगे, और तब आप जीत जायेंगे.”  तो  आप  भी  उन्हें  ignore करने  दीजिये , हंसने  दीजिये ,लड़ने  दीजिये ,पर  अंत  में आप  जीत जाइये . क्योंकि  आप  जीतने  के  लिए  ही  यहाँ  हैं , हारने  के  लिए  नहीं .
9) विशेष  मौकों  पर  विशेष  तैयारी  कीजिये :
“सफलता  के  लिए  आत्म-विश्वास  आवश्यक  है, और आत्म-विश्वास   लिए तैयारी”-Arthur Ashe
जब  कभी  आपके  सामने  खुद  को   prove करने  का  मौका  हो  तो  उसका  पूरा  फायदा  उठाइए . For example: आप  किसी  debate,quiz, dancing या  singing competition में  हिस्सा  ले  रहे  हों , कोई  test या  exam दे  रहे  हो ,या  आप  कोई  presentation दे  रहे  हों , या  कोई  program organize कर  रहे  हों . ऐसे  हर एक  मौके  के  लिए  जी -जान   से  जुट  जाइये  और  बस  ये  ensure करिए  कि  आपने  तैयारी  में  कोई  कमी  नहीं  रखी , अब  result चाहे जो भी  हो  पर  कोई  आपकी  preparation को  लेकर  आप  पर  ऊँगली  ना  उठा  पाए.
Preparation और  self-confidence directly proportional हैं . जितनी  अच्छी  तैयारी  होगी  उतना  अच्छा  आत्म -विश्वास  होगा .और  जब  इस  तैयारी  की  वजह  से  आप  सफल  होंगे  तो  ये  जीत  आपके life की success story में  एक  और  chapter बन  जाएगी  जिसे  आप  बार -बार  पलट  के  पढ़  सकते  हैं  और  अपना  confidence boost कर  सकते  हैं .
10)Daily अपना  MIT पूरा  कीजिये :
कुछ  दिन  पहले  मैंने  AKC पर  MIT यानि  Most Important Task के  बारे  में  लिखा  था , यदि  आपने  इसे  नहीं  पढ़ा  है  तो  ज़रूर  पढ़िए . यदि  आप  अपना  daily का  MIT पूरा  करते  रहेंगे  तो   निश्चित  रूप  से  आपका  आत्म -विश्वास  कुछ  ही  दिनों  में  बढ़  जायेगा . आप  जब  भी  अपना  MIT पूरा  करें  तो  उसे  एक  छोटे  success के  रूप  में देखें  और  खुद  को  इस  काम  के  लिए  शाबाशी  दें .रोज़  रोज़  लगातार  अपने  important tasks को  successfully पूरा  करते  रहना  शायद  अपने  confidence को  boost करने का सबसे  कारगर  तरीका  है .  आप इसे ज़रूर try कीजिये.
Friends, ये  याद  रखिये  कि  आपका  confidence आपकी  education, आपकी financial condition या आपके looks पर नहीं depend करता और आपकी इज़ाज़त के बिना कोई भी आपको inferior नहीं feel करा सकता. आपका आत्म-विश्वास आपकी सफलता के लिए बेहद आवश्यक है,और आजआपका confidence चाहे जिस level हो, अपने efforts से आप उसे नयी ऊँचाइयों तक पहुंचा सकते हैं.
All the best!
                                                           by

 
दुसरो में कमी देखने वाले  उस मक्खी की तरह होते हे जो ,,,
सारा खूबसूरत जिस्म छोड़कर सिर्फ घाव पर ही जाकर बैठती हे .!
याद रखिये की जब तक आप न चाहे कोई भी आपको छोटे होने का अनुभव नहीं करा सकता.
–Eleanor Roosevelt

Friday, April 18, 2014

साथ के सफर में ,,,अकसर,,,,, ख्वाब मुस्कुराते हे !
हम तो वो शक्श हे ,,जो दुःख में भी मुस्कुराते हे !!
                                                      आर . बी . आंजना 

Sunday, April 6, 2014

अपने घर के हालात किसी को बताये नहीं जाते
शहर कि हर गली और रास्ते मंदीर को नहीं जाते
जो अपनी इंसानीयत को बचाके रखते हे
उनके अरमान कभी तोड़े नहीं जाते
मेहनती लोग खुद करते हे अपनी किस्मत का फैसला
वो अपना हाथ कभी मजूमी को दिखाने नहीं जाते
जो समय पर बना लेते हे अपना आशियाना ..
पहुच जाते हे अपनी मंजील को ,,
इसलिए वो कभी अपनी ,,,,
ललाट की लकीर को दोष नहीं देते !!
आर . बी आंजना
9413885566
अपने घर के हालात किसी को बताये नहीं जाते
शहर कि हर गली और रास्ते मंदीर को नहीं जाते
जो अपनी इंसानीयत को बचाके रखते हे
उनके अरमान कभी तोड़े नहीं जाते
मेहनती लोग खुद करते हे अपनी किस्मत का फैसला
वो अपना हाथ कभी मजूमी को दिखाने नहीं जाते
जो समय पर बना लेते हे अपना आशियाना ..
पहुच जाते हे अपनी मंजील को ,,
इसलिए वो कभी अपनी ,,,,
ललाट की लकीर को दोष नहीं देते !!
आर . बी आंजना
9413885566

Sunday, March 9, 2014

बीती हुई बात नहीं दोहराओ
बीती हुई कोई बात नहीं होती
खुदा से बच के रहना
खुदा की मार में आवाज नहीं होती
पैसे वालो ने सोचा ,,,
लोगो की भावनाओ को भी खरीद ले
उनका गुरुर उतर गया
जब उन्हें पता चला कि
भावना पेसो कि मोहताज नहीं होती
                     आर . बी . आंजना 

Tuesday, February 25, 2014

मेरी किस्मत मेरी ही मुट्ठी में बंद हे !
पर क्या करू ,,,,,
मेरा बस नहीं हे इस पर !

Friday, February 21, 2014

शुक्रिया दोस्तों ,,,,,,,
समस्त दोस्तों , भाइयो , विद्यार्थीओ सभी का में आभारी हु की आप लोग मुझे इस काबिल समझ के फोन करते हे शिक्षा के लिए जानकारी लेते हे .. गाइडेंस लेते हे ...जितना मेरे से होता हे में कोशिश करता हु ! रानीवाड़ा क्षेत्र की काफी schools में गया हु , जब भी मुझे समय मिलता हे आज भी जाने की कोशिश करता हु ! आप लोग बेझिझक फोन करे ,, मेरी प्यूरी कोशिश रहेगी कि में आप लोगो को उचित जवाब दू ,, आपके सवालो का सही हल निकालू ,, आपको उसकी सही दिशा देने में आपका सहयोग करू !
समस्त दोस्तों , भाइयो , विद्यार्थीओ से मेरा अनुरोध हे काफी लोग मुझे फेसबुक पर इनबॉक्स में मेसेज करके छोड़ देते हे ,,,कभी कभी में समय पर जवाब नहीं दे पता ,, क्युकी समय पर उस सवाल को नहीं देख पाता ,, कृपया आप लोग इस हालत में मुझे फोन कर ले ,,, कभी भी ,,,!
                                                                                     रमेश भाई आंजना
                                                                                         09413885566

Sunday, February 16, 2014

सुप्रभात मित्रो ......?
मेरी डायरी का एक अंश

Saturday, February 15, 2014

संभालकर रखना आईने अपने
आईने टूट गए तो,,,
अंश बिखर जायेंगे
बखूबी निभाना अपने रिश्ते
अगर रिश्ते टूट गए तो
सारे वंश बिखर जायेंगे
"आर . बी . आंजना "

Thursday, February 13, 2014

हमने तो बताया नहीं कभी अपने फ़साने को .
             पर दुनिया को खबर लग जाती हे !
बुरी आदत कोई सिखाता नहीं किसी को
                    पता नहीं केसे लग जाती हे !
मेहनत एवं जूनून वाले पा लेते हे
एक झटके में ,,,,,,,,,,
              वरना सारी उम्र लग जाती हे !
                                रमेश भाई आंजना

Thursday, February 6, 2014

खाली रह जाती हे गरीब की झोली ,

कड़ी मेहनत के बाद भी !

आराम से भर जाते हे घर बेईमानो के ,

बस एक घोटाले के साथ ही !

            आर . बी . आंजना 
"होके  खफा अब हयात से ,,,
 जाओगे आखीर कहा  ,
हर मोड़ पर तैयार बेठे हे जख्मी
वह भी ख्वाइश ना रखना एहतराम की
खफा जो आखीर हमसे हुए हो "
                      आर . बी . आँजना 
झुकाने लगे अब तो हम सर अपना ,,, मारे शर्म के,,,
देख के नाकामी नेताओ की एवं बिगड़ा स्वरुप ,देश की सियासत का ..!
अगर कोई सितम ना करे बेवजह हमपे ,,,,
जख्म तो हमारे युही भर जायेंगे ....!
                      रमेश भाई आंजना

इंसान दुनिया से जीत जाता हे ......





मगर ,,,,,




मगर ,,,,,,




मगर क्या....


मगर अपनों से हार जाता हे ,,!

                    रमेश भाई आँजना

Wednesday, February 5, 2014

अब में शिकवा किससे करू

दोस्तों आज एक ऐसे शख्स से बात हुई जो काफी दुखी था अपनी असफल जिंदगी को लेकर , काफी उम्र ढल चुकी हे ,मुलाकात में उन्होंने अपनी जिंदगी के सारे पहलु सुनाये , सारी नाकामयाबियां सुनाई और जिस तरह हर असफल आदमी कारन भी जरुर बताता हे ,, वही काम उन्होंने भी बखूबी किया ,और काफी कुछ अपने सर पे मढ़ते हुए खुद को जिम्मेदार माना ,, यह बात मुझे बहुत अच्छी लगी की अपनी आत्मा कि सुनी और आत्मा कि अव्वाज को बहार निकाला , क्युकी आत्मा कभी जूठ नहीं बोलती !मित्रो उनकी सारी बाते सुनकर मेंने तो यही निस्कर्ष निकाला की हमें जो करना हे बस लग जाओ , निकल जाओ घर से , रास्ते अपने आप बनते जायेंगे , मंजिल खुद बी खुद नजर आयेगी ! कही ऐसा ना हो की फिर हमें भी इसी तरह पछताना पड़े , ऐसा नहीं होगा मित्रो !मेरी हर दुआ , हर शुभकामना मेरे मित्रो के साथ हे !
हमारी मुलाकात में उनकी कही बातो को में मेरे मित्रो के सामने चार पंक्तियो में पेश करने कि कोशिस की हे ,,,,,,


वक्त से पहले हो गई आज भोर
रह गई मेरी निंद्रा अधूरी
              अब में शिकवा किससे करू !
रह गए मेरे सपने , ढहकर मेरे दिल में
नहीं कर पाया इन्हे सच
              अब में शिकवा किससे करू !
जिंदगी रह गई बन के ,मेरी नाकामी का सबब
मुझ पर ही आ गया सारा इल्जाम
             अब में शिकवा किससे करू !
ढाल गई ये जवानी , हो गए बाल सफ़ेद
आ गया ये मंजर बुढ़ापे का
             अब में शिकवा किससे करू !
ढह गए सरे मंजर मेरी आँखों के सामने
बस सिर्फ देखते ही रह गया
            अब में शिकवा किससे करू !
सोच कर भी नहीं सोच पाया की में क्या करू
जब में ही कुछ नहीं कर पाया तो फिर
           अब में शिकवा किससे करू !
                                   आर. बी. आंजना 

आपके दिल में रहते हे

कहा रहते हो रमेश भाई ???
पूछना भी वाजिब है मित्रो यह हमारा प्यार है
आप सबके लिए मेरी कलम से निकली चार पंक्तिया पेश करता हु ,,,,

"ना फसलो के शहर में रहते हे
ना हज़ारो की भीड़ में रहते हे
मेरे मित्रो ,,,,,
हम तो आपके वो बेपनाह आशिक हे
जो सदा आपके दिल में रहते हे "
                       आर. बी. आंजना 

Sunday, February 2, 2014

बदल गए इरादे

हुए थे जब रुखसत अपने घर से ,,,
करके खुद को जब दस्ते कुदरत
घने अँधेरे में …
सन्नाटे की मर्यादा को चीरते हुए ,,
करने खुद को ख़ुदकुशी के हवाले ..
थाम ली हमारी बाह …
रोक लिया हमें तारीकियों में रहने ….
उन वाले जुगनुओ ने ,,,
पूछ ली हमारी आरजू …
जब छेड़ा हमने अपना जिक्र ,,,
तो देखा ,,,,
वो हमारे तलबगार निकले ,,,,
थोड़ा आगे बढ़े ,,,,
देखते हुए नजारा
जंगल , दरिया, अँधेरी रातो का,
देखते हुए आबादी परियो की,,,
देखा आगे चम् चमाती चांदनी थी ….
पक्की पक्की सड़के थी ,,,
सडको पर कच्ची लाशे थी….
आगे जाकर देखा डेल्ही जैसा शहर निकला ….
पीछे मुड़ के जब हमने मुर्दो से पूछा ,,,
वो हमारे जाकिर निकले ,,,,,,,
हर दोस्त का एहसान मेरे सर पे रहा ,,,
हर मुश्किल का पैगाम मेरे सर पे रहा ,,,
सो बार शुक्रिया मेरे यारो का ,,,,
ना लगा किसी गद्दारी का दाग मेरे सर पे ,,,,,
बस इसी का एक शुक्रिया मेरे रजिक का
देख के अजीब नज़ारे ,,,
बदल गए इरादे ,,,,,
फिर लेकर एक नै आरजू ,,,,,
लोटा सुबह घर को ,,,
छोड़ के शहर के महल ,,,,
बेठ के गाव के भीगे घर में ,,,,
पूछा इस टूटे दिल से ,,,,
निकली एक बुलंद आवाज़ ….
होसला मत हार मुसाफिर ,,,
तब होस आया,,,,,
तो ,,,,,,,पता चला ….
हम ही तो हमारे मददगार निकले
               आर . बी . आंजना

Tuesday, January 28, 2014

सरदार वल्लभ भाई पटेल

आजादी के बाद भी सैकड़ों रियासतों के रूप में बंटे भारत को अखंड भारत बनाने में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अपने बहादुरी भरे कार्यों और दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर लौह पुरुष का दर्जा हासिल करने वाले पटेल की स्वतंत्रता आंदोलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका रही।

गुजरात के नाडियाड़ में 31 अक्टूबर 1875 को जन्मे पटेल जहां एक सफल वकील थे, वहीं वह जमीन से जुड़े नेता और महान राष्ट्रवादी भी थे। शुरुआत में उनके मन पर गांधीजी के दर्शन का गहरा प्रभाव था और आजादी की लड़ाई में वह कई बार जेल गए।

ब्रिटिश राज की नीतियों के विरोध में उन्होंने अहिंसक और नागरिक अवज्ञा आंदोलन के जरिए खेड़ा बोरसाद और बारदोली के किसानों को एकत्र किया। अपने इस काम की वजह से वह गुजरात के महत्वपूर्ण जननेता बने। जन कल्याण और आजादी के लिए चलाए जाने वाले आंदोलनों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिकाओं के चलते उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में महत्वपूर्ण स्थान मिला।

इतिहासवेत्ता मालती मलिक के अनुसार पटेल को ‘सरदार’ नाम गुजरात के बारदोली तालुका के लोगों ने दिया और इस तरह वह सरदार वल्लभ भाई पटेल कहलाने लगे।

पंद्रह अगस्त 1947 को भारत जब आजाद हुआ तो पटेल के ऊपर 565 अर्ध स्वायत्त रियासतों और ब्रिटिश युग के उपनिवेशीय प्रांतों को भारत में मिलाने की जिम्मेदारी आ गई। पटेल ने अपने कूटनीतिक और रणनीतिक चातुर्य से इस कर्तव्य को बखूबी निभाया और जरूरत पड़ने पर बल प्रयोग से भी नहीं चूके।

हैदराबाद के निजाम ने जब एक भारत की अवधारणा को नहीं माना तो पटेल ने सेना उतारकर उसका घमंड चूर कर दिया। ‘ऑपरेशन पोलो’ नाम का यह सैन्य अभियान पूरी तरह सफल रहा और इस तरह हैदराबाद भारत का हिस्सा बन गया। जूनागढ़ के लिए भी उन्होंने यही रास्ता अख्तियार किया।

लक्षद्वीप समूह को भारत के साथ मिलाने में भी पटेल की महत्वपूर्ण भूमिका थी। इस क्षेत्र के लोग देश की मुख्यधारा से कटे हुए थे और उन्हें भारत की आजादी की जानकारी 15 अगस्त 1947 के बाद मिली।

हालांकि यह क्षेत्र पाकिस्तान के नजदीक नहीं था लेकिन पटेल को लगता था कि इस पर पाकिस्तान दावा कर सकता है। इसलिए ऐसी किसी भी स्थिति को टालने के लिए पटेल ने लक्षद्वीप में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए भारतीय नौसेना का एक जहाज भेजा। इसके कुछ घंटे बाद ही पाकिस्तानी नौसेना के जहाज लक्षद्वीप के पास मंडराते देखे गए लेकिन वहां भारत का झंडा लहराते देख वे वापस कराची चले गए।

राष्ट्र के एकीकरण में महान योगदान देने वाले भारत के प्रथम उपप्रधानमंत्री का पंद्रह दिसंबर 1950 को निधन हो गया। 

Friday, January 24, 2014

रहमत का द्वार

यह सोच कर आये थे ,,,,
इस दर पे ,,,,,,
की ,,,,,,शायद यही से कुछ रहमत मिलेगी !
रहमत तो क्या मिली …..
मित्रो यह पता नहीं था हमें ,,,,
यहाँ से तो सिर्फ शर्मिंदगी मिलेगी !!
आर . बी . आंजना

अजीब हे दुनिया

ना रहमती कि हे ,,,ना सहमति कि हे
दुनिया सिर्फ मतलब कि हे
ना अपनों कि ,,,, ना परयो कि ,,
दुनिया सिर्फ मतलब कि हे
कह कर वार करना कोई घाट नहीं ,,,
पर ,, बिन कहे वार करती हे दुनिया
साथ ना दे तो कोई बात नहीं ,,,
पर ,,,मंझधार में डुबोती हे दुनिया
नहीं चाहिए हमें रहमत किसी से ,,
मगर ,, बुलाकर शर्मिंदगी देती हे ये दुनिया,,
नहीं मरता कोई किसी कि जुदाई से
पर ,,, जानबूझकर जुड़ा करती हे दुनिया
कोई जरुरत नहीं हमें कि कोई ,,,,
हमारे मिलने कि दुआ करे ,,,
पर ,,, भूले हुओ को जरुर याद दिलाती हे दुनिया
किसी को क्या नुमाइश करे रमेश …
सियासते बाज़ार में सहायता मांगो तो ,,, सलाह मिलती हे
इंसान को बाँटने वाली यह दुनिया,,,,
नाज करती हे अपने इस काम पर ,,,
केसे नुमाइश करे हम इस दुनिया से ,,,
धर्म का चस्मा लगाकर घूमती हे यह दुनिया,,,
ना रहमती कि हे ,,,ना सहमति कि हे
दुनिया सिर्फ मतलब कि हे
ना अपनों कि ,,,, ना परयो कि ,,
दुनिया सिर्फ मतलब कि हे
                           आर . बी . आंजना

Monday, January 20, 2014

नमो का विज़न २०१४ ,,,,,

  नमो का विज़न २०१४ ,,,,,
ब्रांड इंडिया के फाइव टी ...
टैलेंट
ट्रेडिशन
टूरिज्म
ट्रेड
टेक्नोलॉजी
देश में १०० नै स्मार्ट सिटी बनाने का सपना
हर राज्य में IIT ,, आईआईएम ,,ईम्स
पुरे देश को बुलेट ट्रैन से जोड़ा जाना चाहिए
नदियो को जोड़कर पानी कि कमी को दूर किया जायेगा
हेल्थ इन्शुरन्स नहीं ,,,, हेल्थ असुरंस चाहिए ,,
उनको ६० साल दिए ,,, हमें ६० महीने देकर देखो ,,,

Saturday, January 18, 2014

पता नहीं लोग क्या क्या बोलते हे ,,, में इतना नहीं जनता पर हां , इतना कहूंगा कि केजरीवाल मुकरने से अपने आप को नही रोक पाते ,, तो मोदी को क्या रोक ,पाएंगे ,,

यकीं नहीं हे तो,,,, आजमा के देख लेना

यकीं नहीं हे तो,,,, आजमा के देख लेना
कोई फर्क नहीं हे इंसान में ,,, जरा लहू निकल के देख लेना
अपनी दौलत पे इतराने वालो ,,,
बहुत कुछ हे दौलत ,,,, पर भगवान् नहीं
इतना ही गुरुर हे तो ,,,, साथ ले जाके देख लेना
फर्क तो हमने किया हे ,,,,यहाँ आने के बाद
पर ,, खुद ने तो सबको एक ही हाथ से तराशा हे
अगर शक हे तो ,,, बेशक खुदा से रु-ब-रु हो के देख लेना
ना कोई अमीर – न गरीब ,,, ना उंच न नीच
विश्वास ना हो तुम्हे ,,तो जरा ,,,
अपनी आत्मा से पूछ के देख लेना
यकीं नहीं हे तो,,,, आजमा के देख लेना
                               आर . बी . आंजना

ये वक्त का तमाशा हे

वक्त आपको भी जनता हे और वक्त हमें भी जनता हे
ये वक्त का तमाशा हे ,,, वक्त सबको जनता हे
आप हमें जानते हो ,,, हम आपको जानते हे
सब सबको जानते हे ,,, वक्त को कोई नहीं जनता
जरुरी हे वक्त को वक्त से पहले जानना
जब तक कि यह हमारा हिसार कर दे
जकड के थम लो बाह इसकी
कही हम इससे पीछे ना रह जाये
पता नहीं कोनसा उसूल हे यह इस दुनिया का
कि ,,,,
कहना तो सब जानते हे ,,,,,
मगर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
करना कोई नहीं जनता हे
             आर . बी . आंजना

Tuesday, January 7, 2014

हर तरफ ख़ामोशी का साया हे

क्या हो गया हे इस इंसान को
जिसे देखो वही पराया हे
हज़ारो की भीड़ में भी
बस अपनों का सिर्फ साया हे
उजाली राहो में अन्धेरा छाया हे
कोई ईश्वर के प्रेम में मग्न हे
तो ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
कोई खुद के ही गम में गम हे
कोई मोहब्बत कि भूख से मरा हे
तो ,,,,,,,
कोई ,, लगता हे पीकर आया हे
जहाँ देखो वही बस
सिर्फ ख़ामोशी का साया हे
जिसे देखो वही पराया हे

ना किसी से लेना ,,, ना देना
ना कोई अपना ,,, ना पराया
ना बैठक , बाते ,,, ना चोपाल
पता नहीं किस दुश्मनी का ये साया हे
पता नहीं किस मालिक की ये माया हे
जिसे देखो वही पराया हे
हर तरफ बस ख़ामोशी का साया हे

जब टूटती हे ख़ामोशी तो ,,,,
फूटता हे लावा ,,,,,,
इंसान के कंठ से ,,,,
भड़कते हे दंगे ,,,
दंगो से घिरा यह इंसान
बस ,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सिर्फ पुतला बन कर रह गया हे
ना हिन्दू ,,,,,ना मुसलमान
ना सिख ,,, ना ईसाई
विश्व विरीह कातर हे
कत्ल होते गुलाब ,,,,,
एवं,,,,,,,,,,,
नई सदी की चीख का साया हे
जहाँ देखो वही इंसान का साया हे
हर तरफ ख़ामोशी का साया हे
सच्ची सभ्यता एवं संस्कृति के चेहरे पर ,,,
पुती कालिख का यह साया हे
दंगो में फंसा यह देश ,,,
सिर्फ,,,,,,,
दहशत भरी हिमाकत क्यों हे

बँट गए धर्म – मजहब
बँट गए समाज – समुदाय
बस ,,, रह गई हे तो ,,,
बनके अखबार कि सुर्खिया

क्या हो गया हे इंसान को
जिसे देखो वही पराया हे
हर तरफ ख़ामोशी का साया हे
हर तरफ ख़ामोशी का साया हे

                               आर . बी . आँजना

Sunday, January 5, 2014

पानी से तस्वीर नहीं बनती

पानी से तस्वीर नहीं बनती ,,,
सिर्फ़ ख्वाबो से तक़दीर नहीं बनती ,,,
बना लीये जमीं अपने आशियाने ,,,
जिध थी जिनमे ,,,,,,
कुछ कर जाने की ,,,
क्योकी ,,,,,,,,
हवा में बनाये महलो में ,,,,,,,,
दुनिया नहीं रह सकती ,,,,!!
            आर . बी . . आँजना 

Saturday, January 4, 2014

"हम पर क्या गुजरती है"


बेठे रहे हम भीड़ वाले रास्ते पर ,,,,,
यह सोच के ि क,,,,,
सफलता शायद यही से गुजरती है !
देखते रहे हम चेहरे ,,,,,
चलने वाले हर राही के ,,,,,,,,
यह सोच कर ि क ,,,,,,
शहर की सारी भीड़ तो,,,,
आखिर यही से गुजरती है !
बनाती रही जनता तमाशा हमारा,,,,,
यह सोच कर ि क ,,,,
हम पर क्या गुजरती है !
होश जब आया हमें ,,,,
देखा हम अकेले बेठे थे ,,,,,
पहुँच चुके थे सब अपनी मंजील को,,,,,,,
खोके अपना सब कुछ ,,,,,
जिंदगी के अंतिम मुकाम पर बेठे ,,,,,,
बस,,,,,,,,,,,,,,
हम ही जानते है ि क,,,,,,
अब हम पर क्या गुजरती है !
अब हम पर क्या गुजरती है !

आर . बी . आँजना

जिम्मेदार ,,,कर्णधार


अब तो सोच लो पहरेदारो,जागो,,जागो,,,मेरे हिन्दुस्तानी भाइयो!इज्जत के साथ अपने सर पर मुकुट रखे खड़ा यह मुल्क क्यों शर्मिंदगी महसूस कर रहा हे,,कोन हे जिम्मेदार,,कोन इसे मजबूर कर रहा हे,,!अब आगे का पड़ाव क्या होगा ,क्या हो सकता हे ,यह सोच कर दिल किलकारिय मार रहा हे!दिल रो रहा हे डर के मरे की कुछ भी हो सकता हे!बीते समय को हम भूतकाल कहते हे,चल रहे समय को वर्तमान कल एवं आने आले को भाविस्यत्काल !भुतकाल से तो हम सब वाकिफ हे ,चल रहा समय तो देख कर हमारी आंखे भी शर्मिन्दा हे,पर आने वाले समय की सोचकर और ज्यादा दर लग रहा हे!विदेशियों की लुट खसोट के बाद अपना जमीर कायम रखे देश आज़ाद हुआ ही था ,कि दोनों तरफ से दुश्मनी परवर्ती वाले देशो से घिरा यह देश सुरक्षा के कुछ इंतजाम कि सोचने लगा ,,सुरक्षा सोदे हुए बोफ़ोर्स के लिए!उसे भी इस गाँधी परिवार ने नहीं बक्शा और देश के बड़े घोटाले के साथ ,,,घोटालो का सुभ मुहूर्त किया!घोटालो कि चलती रह का दामन थामा,और दिग्गज उन गूंगे पशुओ का चारा गटक गए!उनका हक़ जो बेचारे बोल तक नहीं सकते कि उन्हें भूख या प्यास लगी हे!उन्हें भी नहीं बक्शा!मगर वक्त के पल नहीं रुकते,,भगवन सभी खातो कि खतोनी कर रहा हे,,,,वो कभी नहीं भूलता ,उसे सब याद हे! वो सबका लोकायुक्त हे!भाइयो इस लंका में सब ५२ गज के हे,,कोई किसी से कम नहीं !पीछे वही रहा एवं इमानदार वही हे ,,जिसे मोका ना मिला हो !देश की सुरक्षा सेवाओं से जुड़े कई दिग्गजों ने अपना लक्ष्य भूल कर जमींने बेच डाली!देश में गरीबी ,भ्रस्टाचार,गिरती विकाश की दर,किसी बात का ध्यान न रखते हुए इन बेशर्मो ने तो रस्त्रमंडल खेलो में एवं २ जी स्पेक्ट्रुम में तो इन्होने हद ही कर दी!इन कर्णधारो ने देश को लुट-लुट कर सारा पैसा विदेशियों के पास जमा करा दिया ,,अब हम सोच सकते हे की इन पर कितनी बड़ी जिम्मेदारी हे और ,,ये कितने गेर जिम्मेदार हे!इनके कंधो पर देश की जिम्मेदारी को ये किस तरह निभा रहे हे!
पर दुःख की बात तो ये सोचकर उठती हे की फिर भी हम इन्हें बार -बार मोका दे रहे हे !और ये बाज आ नहीं सकते !दोस्तों इन सब कारणों के चलते अब रूपये का मूल्य गिर गया!डॉलर की कीमत ५३ रूपये को पार कर गई और यह बहुत दुःख की बात हे !क्योकि यह ओद्योगीक उत्पादन में एवं आर्थिक गति को और कमजोर कर सकता हे !यदि ये गिरावट ज्यादा समय तक रहती हे तो भयानक प्रभाव छोड़ सकती हे!समय रहते सही कदम उठाने जरुरी हे!विदेशी यह से खूब आयत कर रहे हे! पर भारतीयों को सोचना पड रहा हे की वो किस तरह आयात -निर्यात करे,!विदेशो से कहह माल खरीदते समय सोचना पद रहा हे,,जबकि वो लोग आराम से खूब आयात कर रहे हे भारत से! उद्योग जगत से जुड़े व्यापारियों के लिए बहुत सोच की घडी हे!भगवन करे ये स्थति जल्दी उबार जाये !
पर यह कड़वा सच हे भाइयो की स्वार्थी बाज आने वाले नहीं हे,,इनकी कानो पर जू नहीं रेंगने वाली हे!इन्हें किसी की परवाह नहीं हे,,इन्हें तो सिर्फ अपना उल्लू सीधा करना हे,,स्विस बैंक के खाते भरने हे,,विदेशो में कंपनी लगानी हे,,,!और अब तो आगामी चुनावों के बिगुल सुनाई देने लगे हे , सेमी फ़ाइनल की तैयारिया सुरु हो गई हे!पेसो का बहना तेज गति पर हे!आप सब वाकिफ हे!
आब में आप सभी हिन्दुस्तानी भाइयो से सिर्फ इबादत ही कर सकता हु ,,कि आखिर हम हिन्दुसतनी हे ,,यह मुल्क हमारा हे संभलकर इसे बचाते हुए चले ,फुक फुक कर कदम रखे ,सभी को समझकर ,उनकी करतूते यद् रख के अपने मताधिकारो का प्रयोग करे और अच्छे देश भक्त लोगो को मोका दे ..जिससे ये देश बच जाये!
जय हिंद,,,,,,,, जय भारत,,,,,,,,,
मै ,मेरी ज़िन्दगी और मेरा देश ......
रमेश भाई आंजना

कबीर का जीवन परिचय | Life of Kabir |



कबीर हिंदी साहित्य के महिमामण्डित व्यक्तित्व हैं। कबीर के जन्म के संबंध में अनेक किंवदन्तियाँ हैं। कुछ लोगों के अनुसार वे रामानन्द स्वामी के आशीर्वाद से काशी की एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से पैदा हुए थे, जिसको भूल से रामानंद जी ने पुत्रवती होने का आशीर्वाद दे दिया था। ब्राह्मणी उस नवजात शिशु को लहरतारा ताल के पास फेंक आयी।

कबीर के माता- पिता के विषय में एक राय निश्चित नहीं है कि कबीर "नीमा' और "नीरु' की वास्तविक संतान थे या नीमा और नीरु ने केवल इनका पालन- पोषण ही किया था। कहा जाता है कि नीरु जुलाहे को यह बच्चा लहरतारा ताल पर पड़ा पाया, जिसे वह अपने घर ले आया और उसका पालन-पोषण किया। बाद में यही बालक कबीर कहलाया।

कबीर ने स्वयं को जुलाहे के रुप में प्रस्तुत किया है -

"जाति जुलाहा नाम कबीरा
बनि बनि फिरो उदासी।'

कबीर पन्थियों की मान्यता है कि कबीर की उत्पत्ति काशी में लहरतारा तालाब में उत्पन्न कमल के मनोहर पुष्प के ऊपर बालक के रूप में हुई। ऐसा भी कहा जाता है कि कबीर जन्म से मुसलमान थे और युवावस्था में स्वामी रामानन्द के प्रभाव से उन्हें हिंदू धर्म का ज्ञान हुआ। एक दिन कबीर पञ्चगंगा घाट की सीढ़ियों पर गिर पड़े थे, रामानन्द ज उसी समय गंगास्नान करने के लिये सीढ़ियाँ उतर रहे थे कि उनका पैर कबीर के शरीर पर पड़ गया। उनके मुख से तत्काल `राम-राम' शब्द निकल पड़ा। उसी राम को कबीर ने दीक्षा-मन्त्र मान लिया और रामानन्द जी को अपना गुरु स्वीकार कर लिया। कबीर के ही शब्दों में- `हम कासी में प्रकट भये हैं, रामानन्द चेताये'। अन्य जनश्रुतियों से ज्ञात होता है कि कबीर ने हिंदु-मुसलमान का भेद मिटा कर हिंदू-भक्तों तथा मुसलमान फक़ीरों का सत्संग किया और दोनों की अच्छी बातों को आत्मसात कर लिया।

जनश्रुति के अनुसार कबीर के एक पुत्र कमल तथा पुत्री कमाली थी। इतने लोगों की परवरिश करने के लिये उन्हें अपने करघे पर काफी काम करना पड़ता था। साधु संतों का तो घर में जमावड़ा रहता ही था।

कबीर को कबीर पंथ में, बाल- ब्रह्मचारी और विराणी माना जाता है। इस पंथ के अनुसार कामात्य उसका शिष्य था और कमाली तथा लोई उनकी शिष्या। लोई शब्द का प्रयोग कबीर ने एक जगह कंबल के रुप में भी किया है। वस्तुतः कबीर की पत्नी और संतान दोनों थे। एक जगह लोई को पुकार कर कबीर कहते हैं :-

"कहत कबीर सुनहु रे लोई।
हरि बिन राखन हार न कोई।।'

कबीर पढ़े-लिखे नहीं थे-

`मसि कागद छूवो नहीं, कलम गही नहिं हाथ।'

उन्होंने स्वयं ग्रंथ नहीं लिखे, मुँह से भाखे और उनके शिष्यों ने उसे लिख लिया। आप के समस्त विचारों में रामनाम की महिमा प्रतिध्वनित होती है। वे एक ही ईश्वर को मानते थे और कर्मकाण्ड के घोर विरोधी थे। अवतार, मूर्त्ति, रोज़ा, ईद, मसजिद, मंदिर आदि को वे नहीं मानते थे।



कबीर के नाम से मिले ग्रंथों की संख्या भिन्न-भिन्न लेखों के अनुसार भिन्न-भिन्न है। एच.एच. विल्सन के अनुसार कबीर के नाम पर आठ ग्रंथ हैं। विशप जी.एच. वेस्टकॉट ने कबीर के ८४ ग्रंथों की सूची प्रस्तुत की तो रामदास गौड ने `हिंदुत्व' में ७१ पुस्तकें गिनायी हैं।

कबीर की वाणी का संग्रह `बीजक' के नाम से प्रसिद्ध है। इसके तीन भाग हैं- रमैनी, सबद और सारवी यह पंजाबी, राजस्थानी, खड़ी बोली, अवधी, पूरबी, व्रजभाषा आदि कई भाषाओं की खिचड़ी है।

कबीर परमात्मा को मित्र, माता, पिता और पति के रूप में देखते हैं। यही तो मनुष्य के सर्वाधिक निकट रहते हैं। वे कभी कहते हैं-

`हरिमोर पिउ, मैं राम की बहुरिया' तो कभी कहते हैं, `हरि जननी मैं बालक तोरा'

उस समय हिंदु जनता पर मुस्लिम आतंक का कहर छाया हुआ था। कबीर ने अपने पंथ को इस ढंग से सुनियोजित किया जिससे मुस्लिम मत की ओर झुकी हुई जनता सहज ही इनकी अनुयायी हो गयी। उन्होंने अपनी भाषा सरल और सुबोध रखी ताकि वह आम आदमी तक पहुँच सके। इससे दोनों सम्प्रदायों के परस्पर मिलन में सुविधा हुई। इनके पंथ मुसलमान-संस्कृति और गोभक्षण के विरोधी थे।

कबीर को शांतिमय जीवन प्रिय था और वे अहिंसा, सत्य, सदाचार आदि गुणों के प्रशंसक थे। अपनी सरलता, साधु स्वभाव तथा संत प्रवृत्ति के कारण आज विदेशों में भी उनका समादर हो रहा है।

कबीर का पूरा जीवन काशी में ही गुजरा, लेकिन वह मरने के समय मगहर चले गए थे। वह न चाहकर भी, मगहर गए थे। वृद्धावस्था में यश और कीर्त्ति की मार ने उन्हें बहुत कष्ट दिया। उसी हालत में उन्होंने बनारस छोड़ा और आत्मनिरीक्षण तथा आत्मपरीक्षण करने के लिये देश के विभिन्न भागों की यात्राएँ कीं। कबीर मगहर जाकर दु:खी थे:

"अबकहु राम कवन गति मोरी।
तजीले बनारस मति भई मोरी।।''

कहा जाता है कि कबीर के शत्रुओं ने उनको मगहर जाने के लिए मजबूर किया था। वे चाहते थे कि कबीर की मुक्ति न हो पाए, परंतु कबीर तो काशी मरन से नहीं, राम की भक्ति से मुक्ति पाना चाहते थे:

"जौ काशी तन तजै कबीरा
तो रामै कौन निहोटा।''

अपने यात्रा क्रम में ही वे कालिंजर जिले के पिथौराबाद शहर में पहुँचे। वहाँ रामकृष्ण का छोटा सा मन्दिर था। वहाँ के संत भगवान गोस्वामी जिज्ञासु साधक थे किंतु उनके तर्कों का अभी तक पूरी तरह समाधान नहीं हुआ था। संत कबीर से उनका विचार-विनिमय हुआ। कबीर की एक साखी ने उन के मन पर गहरा असर किया-

`बन ते भागा बिहरे पड़ा, करहा अपनी बान।
करहा बेदन कासों कहे, को करहा को जान।।'

वन से भाग कर बहेलिये के द्वारा खोये हुए गड्ढे में गिरा हुआ हाथी अपनी व्यथा किस से कहे ?

सारांश यह कि धर्म की जिज्ञासा सें प्रेरित हो कर भगवान गोसाई अपना घर छोड़ कर बाहर तो निकल आये और हरिव्यासी सम्प्रदाय के गड्ढे में गिर कर अकेले निर्वासित हो कर ऐसी स्थिति में पड़ चुके हैं।

कबीर आडम्बरों के विरोधी थे। मूर्त्ति पूजा को लक्ष्य करती उनकी एक साखी है -

पाहन पूजे हरि मिलैं, तो मैं पूजौंपहार।
था ते तो चाकी भली, जासे पीसी खाय संसार।।

११९ वर्ष की अवस्था में मगहर में कबीर का देहांत हो गया। कबीरदास जी का व्यक्तित्व संत कवियों में अद्वितीय है। हिन्दी साहित्य के १२०० वर्षों के इतिहास में गोस्वामी तुलसीदास जी के अतिरिक्त इतना प्रतिभाशाली व्यक्तित्व किसी कवि का नहीं है।


Friday, January 3, 2014

प्रधानमंत्री का ब्यान

पत्रकार कुछ पूछता हे ,,,जवाब क्या देते हे प्रधानमंत्री ,,,
ये हमारे वतन के सबसे बड़े अर्थशाष्त्री हे ,,,
मोदी का पी . एम . बनना विनाशकारी होगा --प्रधानमंत्री

"मदर टेरेसा--जीवन परिचय"

मदर टेरेसा

"Peace begins with a smile - Mother Teresa"

जीवन परिचय

मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को 'यूगोस्लाविया' में हुआ एक कृषक दंपत्ति के घर इस महान विभूति का जन्म हुआ था। उनका वास्तविक नाम है- एग्नेस गोनक्शा बोजाक्शिहउ। मदर टेरेसा के पिता का नाम निकोला बोयाजू था तथा वह एक साधारण व्यवसायी थे। ८ साल की उम्र में उन्होंने अपने पिता को खो दिया। उसके पश्चात,उसे अपनी माँ ने रोमन कैथोलिक के रूप में पालाग्राफ क्लुकास की आत्मकथा के अनुसार उसके प्रारंभिक जीवन में अगनेस मिशनरियों के जीवन और उनकी सेवा की कहानियो से बहुत प्रभावित था और १२ साल की उम्र तक वह निर्णय कर चुकी थी की वह स्वयं को एक धार्मिक जीवन के प्रति समर्पित कर देगी।एगनेस १८ साल की उम्र में ही मिस्टरस आफ लॉरेटो मिशन के साथ जुड़ गयी । एक रोमन कैथोलिक संगठन की वे सक्रिय सदस्य थीं और 12 वर्ष की अल्पायु में ही उनके हृदय में विराट करुणा का बीज अंकुरित हो उठा था।




भारत आगमन


एगनेस ने पहले अंग्रेजी भाषा का अध्ययन किया, फिर १९२१ में दार्जिलिंग भारत आयीं। नन के रूप में २४-५-१९३१ को शपथ लेने के बाद, अपने को नाम टेरेसा कहलाना पसन्द किया और कलकत्ता में आकर लॉरेटो कान्वेन्ट में पढ़ाने लगीं।

पढ़ाते समय उन्हें लगने लगा कि ईश्वर ने उन्हें गरीबों के बीच काम करने का बनाया है। 1925 में यूगोस्लाविया के ईसाई मिशनरियों का एक दल सेवाकार्य हेतु भारत आया और यहाँ की निर्धनता तथा कष्टों के बारे में एक पत्र, सहायतार्थ, अपने देश भेजा। इस पत्र को पढ़कर एग्नेस भारत में सेवाकार्य को आतुर हो उठीं और 19 वर्ष की आयु में भारत आ गईं।


मिशनरीज ऑफ चेरिटी


१० सितम्बर १९४६ को टेरेसा ने जो अनुभव किया उसे बाद में " कॉल के भीतर कॉल "के रूप में तब वर्णन किया जब वह दार्जिलिंग के लोरेटो कान्वेंट में वार्षिक समारोह की यात्रा पर थी "मै कॉन्वेंट को गरीबो के बीच रहकर सहायता करने के लिए छोड़ने वाली थी। यह एक आदेश था "विफलता इस विश्वास को तोड़ने के लिए रहता "
उसने १९४८ में गरीबो के साथ अपना मिशनरी कार्य जरी रखा , अपनी पारंपरिक लोरेटोकी आदतों को बदलते हुए एक सरल सफेद सूती chira नीले रंग के बॉर्डर के साथ , भारतीय नागरिकता अपनाया और झुग्गी बस्तियों में डेरा जमाया
प्रारंभ में उन्होंने मोतीझील में एक स्कूल प्रारम्भ किया , जल्द ही उन्होंने बेसहारा और भूख से मर रहे लोगो की आवश्यकताओं की ओर प्रवृत हुई उनके प्रयासों ने भारत्या अधिकारीयों का ध्यान आकृष्ट किया जिनमें प्रधानमंत्री शामिल थे ,जिन्होंने उनकी सराहना की.
टेरेसा ने अपनी डायरी में लिखा की उनका पहला साल कठिनाइयों से भरपूर था उनके पास कोई आमदनी नही थी और भोजनऔर आपूर्ति के लिए भिक्षावृत्ति भी किया इन शुरूआती महीनो में टेरेसा ने संदेह , अकेलापन , और आरामदेह जीवन में वापस जाने की लालसा को महसूस किया , उन्होंने अपनी डायरी में लिखा
टेरेसा ने ७ अक्तूबर १९५० को बिशप के प्रदेश मण्डली जो मिशनरीज ऑफ चेरिटी बना.वेटिकेन की आज्ञा प्राप्त कर प्रारम्भ किया इसका उद्देश्य उनके अपने शब्दों में " भूखे , नंगा , बेघर , लंगड़ा , अंधा , पुरे समाज से उपेक्षित, प्रेमहीन , जो लोग समाज के लिए बोझ बन गए हैं और सभी के द्वारा दुत्कारेगए हैं की देखभाल करना है यह कोलकाता में १३ सदस्यों के साथप्रारम्भ हुआ : आज यहाँ ४००० से अधिक नन अनाथालयों , एड्स आश्रम और दुनिया भर में दान केन्द्रों , और शरणार्थियों की , अन्धे , विकलांग , वृद्ध , शराबियों , गरीबों और बेघर , और बाढ़ , महामारी , और अकाल पीड़ितों के देखभाल के लिए कार्य कर रही हैं.
१९५२ में मदर टेरेसा ने कोलकाता शहर उपलब्ध कराये गए जगह में अपना पहला घर खोला भारतीय अधिकारियों की सहायता से उन्होंने एक उपेक्षित हिंदू मन्दिर को मरणशील के लिए घर कालीघाट में परिवर्तित किया ,गरीबों के लिए एकमुफ्त आश्रम इसने इसका नाम कालीघाट रखा , शुद्ध हृदय का घर ( निर्मल हृदय )जो घर लाये गए उन्हें चिकित्सा सुविधा दिया गया और उन्हें सम्मान के साथ मरने का अवसर दिया गया , उनके रीती रिवाज़ के साथ , मुसलमानों ने कुरान पढ़ा , हिंदू गंगा से पानी प्राप्त किए और कैथोलिक ने अन्तिम संस्कार किए.उन्होंने कहा " एक सुंदर मृत्यु , जो लोग जानवरोंकी तरह रहते थे और स्वर्गदूतों जैसे मरना चाहते थे - प्रेम चाहते थे
मदर टेरेसा जल्दी ही एक घर कुष्ठ से पीड़ित लोगों के लिए खोला , कुष्ठ रोग के नाम से जाना और आश्रम का नाम शांति नगर ( शांति की शहर ) मिशनरीज ऑफ चेरिटी ने कई कुष्ठ रोग क्लीनिक की स्थापना पूरे कलकत्ता में दवा उपलब्ध कराने , पट्टियाँ और खाद्य पदार्थ प्रदान करने के लिए की
मिशनरीज ऑफ चेरिटी ने ढेरो संख्या में बच्चों को को अपनाया , मदर टेरेसाने उनके लिए घर बनाने के लिए जरूरत महसूस कियाउन्होंने १९५५ में निर्मला शिशु भवन खोला, शुद्ध हृदय के बच्चे का घर ,बेघर अनाथों के लिएयुवाओं के लिए स्वर्ग.
व्यवस्था ने शीघ्र ही रंगरूटों धर्मार्थ दान दोनों को आकर्षितकरना शुरू कियाऔर १९६० तक पूरे घर भारत में अनाथालयों, और कोढ़ी घरो के आश्रम की स्थापना की मदर टेरेसा के व्यवस्था का विस्तार पूरे विश्व में हैंभारत से बाहर इसका पहला घर १९५५ में पाँच बहनों के साथ वेनेजुएला में खोला उसके बाद रोम, तंजानिया, और ऑस्ट्रिया ने १९६८ में खोला , १९७० के दौरान एशिया, अफ्रीका, यूरोप, और संयुक्त राज्य अमेरिका के दर्जनों देशों में घर खोले और नीव डाली उनका दर्शन और कार्यान्वयन ने कुछ आलोचना का सामना किया मदर टेरेसा के आलोचकों को उनके ख़िलाफ़ कम सबूत पाने पर दाऊद स्कॉट ने लिखा की मदर टेरेसा ने खुद को सीमित रखने के बजाए लोगों को जीवित गरीबी से निपटनेमें रखा है ।


पीड़ितपर उनके विचार पर भी आलोचना की गई :
अल्बेर्ता रिपोर्ट (Alberta Report) के एक आलेख के अनुसार उन्होंने यह महसूस किया की पीडा लोगो को यीशु के करीबलाएगी.लम्बी बीमारी से ग्रस्त रोगियों की मरणशील गृह में की जा रही सेवा की भी मेडिकल प्रेस में आलोचना की गई , खासकर लांसेट (The Lancet) और ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (British Medical Journal) में , जिसने इसका दुबारा प्रयोगhypodermic नीडल्स (hypodermic needles), गरीबों के जीवन स्तर सहित सभी रोगियों के लिए ठंडे स्नान और और विरोधी भौतिकवादी दृष्टिकोण के लिए किया जो व्यवस्थित निदान के निवारण के लिए है

IMAGE OF ABRAHAM LINCON'S Letter to his son's teacher


Abraham lincon's letter to his son's Teacher

Respected Teacher,

My son will have to learn I know that all men are not just, all men are not true. But teach him also that for ever scoundrel there is a hero; that for every selfish politician, there is a dedicated leader. Teach him that for every enemy there is a friend.

It will take time, I know; but teach him, if you can, that a dollar earned is far more valuable than five found.

Teach him to learn to lose and also to enjoy winning.

Steer him away from envy, if you can.

Teach him the secret of quite laughter. Let him learn early that the bullies are the easiest to tick.

Teach him, if you can, the wonder of books.. but also give him quiet time to ponder over the eternal mystery of birds in the sky, bees in the sun, and flowers on a green hill –side.

In school teach him it is far more honourable to fail than to cheat.

Teach him to have faith in his own ideas, even if every one tells him they are wrong.

Teach him to be gentle with gentle people and tough with the tough.

Try to give my son the strength not to follow the crowd when every one is getting on the bandwagon.

Teach him to listen to all men but teach him also to filter all he hears on a screen of truth and take only the good that comes through.

Teach him, if you can, how to laugh when he is sad. Teach him there is no shame in tears. Teach him to scoff at cynics and to beware of too much sweetness.

Teach him to sell his brawn and brain to the highest bidders; but never to put a price tag on his heart and soul.

Teach him to close his ears to a howling mob… and to stand and fight if he thinks he’s right.

Treat him gently; but do not cuddle him because only the test of fire makes fine steel.

Let him have the courage to be impatient, let him have the patience to be brave. Teach him always to have sublime faith in himself because then he will always have sublime faith in mankind.

This is a big order; but see what you can do. He is such a fine little fellow, my son.


Abraham Lincoln.

Thursday, January 2, 2014

"हम पर क्या गुजरती है"

बेठे रहे हम भीड़ वाले रास्ते  पर ,,,,,
यह  सोच के ि क,,,,,
सफलता शायद  यही से  गुजरती है  !
देखते रहे हम चेहरे ,,,,,
चलने वाले हर राही के ,,,,,,,,
यह सोच  कर  ि क ,,,,,,
शहर की सारी भीड़ तो,,,,
आखिर  यही से गुजरती है  !
बनाती रही जनता तमाशा हमारा,,,,,
यह सोच कर   ि क   ,,,,
हम पर क्या गुजरती है !
होश जब आया हमें ,,,,
देखा हम अकेले बेठे  थे ,,,,,
पहुँच चुके थे सब अपनी मंजील  को,,,,,,,
खोके अपना सब कुछ ,,,,,
जिंदगी के अंतिम मुकाम पर बेठे ,,,,,,
बस,,,,,,,,,,,,,,
हम ही जानते है   ि क,,,,,,
अब हम पर क्या गुजरती है !
अब हम पर क्या गुजरती है ! 

                  आर . बी . आँजना 

Wednesday, January 1, 2014

"जीने का अंदाज"

जिंदगी जीने का भी कोई मकसद होता है !
वो भी कोई खास है ,,,,,,,
             जिन्हे खुद पर विश्वास होता है !
अवसरों की  कमी नहीं हे ,,,,,दुनिया में
निकल पड़ते हे   ,,,,,,,,,,,
सफलता  की राह पर  वो ,,,,,,,,,,,
बांध के होसला अपना ,,,,,,,
बस ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
         जिनका अलग  अंदाज होता है !!
                 आर . बी . आंजना 

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का सटीक रामबाण

  जो सोचा नही था , वो समय आज गया । ऐसा समय आया कि लोगो को सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि उस समय क्या किया जाए । आज की लोगो की जीवनशैली की वजह से...