Sunday, December 28, 2014

आज एक बस्ती में गया ,वहां पांच मिनट बिताकर ,
वहां बैठ कर ,,लिखी चार पंक्तिया ,,
आपसे शेयर करता हु ,,,,,,,,,,,,,,,

ये वो गली हे जहा मजदूर रहता हे
ये वो जगह हे जहा सूरज सीधा चमकता हे !

रहजनों क्यों सताते हो इसे,अपनी झुग्गी में रहता हे
चाहे जमाना कुछ भी करे ये मस्त रहता हे !

हर रात सपने में ,वो अपना घ्रर बनाता हे
और वो आकर रोज बा शब् बस्तिया जलाता हे!

रहजन लुटते है बस्तिया रात भर
बनाते हे महल किसी और की कमाई से
पर वो पथ्थर तोड़कर अपना परिवार पालता हे !

लाखो के दिलो में उठे शोले बुजाने की हिम्मत रखता हे
घायलो को मरहम लगाना ही उसके लिए सजा बनता हे !
आर बी आँजणा

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