मेरा परीचय नाम -रमेश भाई आँजना मानवता ही पंथ मेरा इंसानियत हे पक्ष मेरा सबकी भलाई धर्म मेरा द्विधा को हटाना कर्म मेरा एकजात बनाना वर्म मेरा सब साथ चलना मर्म मेरा उंच -नीच हटाना गर्व मेरा गिरते को उठाना स्वर्ग मेरा ======================================= मेरा वजूद
ना में जीवन के लिए ,,ना आसमा के लिए
मेरा वजूद सिर्फ इंसान के लिए
ना में गरीब के लिए ,,,ना अमीर के लिए
मेरा वजूद सिर्फ इंसान के लिए
'
ना में हिन्दू के लिए ,,,ना मुस्लिम के लिए
मेरा वजूद सिर्फ इंसान के लिए
ना में किसी एक के लिए ,,,ना सब के लिए
मेरा वजूद सिर्फ इंसान के लिए
ना अपनों के लिए ,,,ना परायो के लिए
मेरा वजूद सिर्फ इंसान के लिए
चाहे कर्म के लिए हो या चाहे मर्म के लिए
मेरा वजूद सिर्फ इंसान के लिए
"आर बी आँजना"
मेरा जन्म 1 जुलाई 1983 को गाव हदीपुर तह . रानीवाड़ा , जालोर , राजस्थान में एक किसान परिवार में हुआ ! मेरे पिताजी किसान हे और माताजी गृहणी है !
मेरे माता - पिता की दूसरे नंबर की संतान हु !पांचवी तक की पढाई मेरे पैतृक
गाव दहीपुर के सरकारी विद्यालय में हुई !छठी कक्षा मेने कबीर आश्रम तखतगढ़ ,
जिला -पाली ,राजस्थान में रहकर सरकारी विद्यालय तखतगढ़ से पास की !
सातवी से दसवी तक मेरे पैतृक गाव से चार कीलोमीटर दूर गाव गोंग में पढ़ा !
रोज पैदल आना जाना करना पड़ता था !ग्यारहवी एवं बारहवी मेने रानीवाड़ा से की !
कॉलेज की पढाई करने शहर की तरफ मुह मोड़ लिया ,जोधपुर आ गया ,
जय नारायण व्यास विश्विद्यालय से कला संकाय में तीन विषयो अंग्रेजी साहित्य ,
िहदी साहित्य एवं प्रशासन के साथ अपनी पढाई आरम्भ की !
समाज के छात्रावास में रहकर अपना अध्ययन शुरू किया ,शुरू से ही पढाई - लिखाई में अछ्छी रूची थी !साथ ही राजनीती एवं सामाजिक कार्यो में हमेशा आगे आकर हिस्सा लेना अछ्छा लगता था ,यह मेरी एक अहम् रुची थी !प्रथम वर्ष पूरा करके द्वितीय वर्ष की तैयारी कर रहा था की केंद्रीय सर्कार की नोकरी मील गई ! घर के हालत देखते हुए काफी सोच - विचार के बाद मेने नोकरी ज्वाइन करने का फैसला कीया ,क्योकी कुछ ही समय पहले मेरे बड़े भाई साहब की अकस्मात् मृत्यु ने पुरे परिवार को झकझोर के रख दीया था !नोकरी ज्वाइन करी ,,पर हा ,मुझे पता था कि में इतना कमजोर नहीं हु ! नोकरी के दोरान अपनी पढाई जरी रखी , जोधपुर से ग्रेजुएशन पूरा कीया ,फीर सिलीगुड़ी पश्चिम बंगाल से कंप्यूटर में एक साल ACCA और APGDCA की पढाई की !उसी दोरान मेरी शादी हो गई ! और 2007 में मेरा तबादला डेल्ही हो गया !और मेने अपनी पढाई जारी रखते हुए अंग्रेजी साहित्य से post graduation कीया ! डेल्ही आकर मेने भारत की शिक्षा व्यवस्था पर काम करने का मन बनाया , खास करके गावो की शिक्षा पद्धती ,,और इसी इरादे के साथ मेने M . Phil में दाखिला लीया और "भारत के गावो की शिक्षा पद्धती " पर कम करना सुरु कर दीया ! काफी मेहनत की ,डेल्ही एवं गाजिआबाद की झुग्गी बस्तियों में जाकर ,,अपने गावो की स्कूल्स में जाकर ,, कई छात्रावासो में जाकर ,,विद्यार्थीओ से मीला ,motivational lectures दीये ,, कॅरिअर टीप्स देने कि कोशिश की ,, उनकी समस्याओ का लेखा जोखा कीया ,,उनके आगे नहीं बढ़ने के कारण ,,कई सारी बाते ! इस अध्ययन के दोरान एक अछ्छा तुजुर्बा मीला ,, काफी कुछ समझ में आया कि आखिर यह देश शिक्षा के शेक्त्र में क्यू पीछे हे ! भारत के देहाती एवं ग्रामीण इलाको में मेरे भ्रमण के दोरान मेने पाया कि इन इलाको में प्रतिभाओ कि कोई कमी नहीं हे ,बस अवसर मीलना चाहिए !
लेकीन हां मित्रो तब से मेने यह ठान लीया की में मेरे समय के अनुसार में अपना करता रहूंगा !
मेरे लेखन के द्वारा ,,motivational lectures के द्वारा ,, career guidance के द्वारा , जीतना कर सकू जरुर करता रहूंगा ! अपना काम समझकर नहीं ,,, अपना शोक समझकर !
मेरे शोक :-
पढ़ना और लीखना मुझे बेहद पसद हे !
खाली समय में गावो में स्कूल्स एवं होस्टल्स में छात्रो के बीच बीतना पसंद करता हु !
सर्दी के समय में कॉफी पीना मुझे पसंद हे !
सामाजिक कार्यो में भाग लेना
घूमना - फीरना अच्छा लगता हे
दुख के घुट अकेले पीना पसंद करता हु ,, पर ख़ुशी के पलों में मुझे सारे दोस्त अपने साथ चाहिए !
खाली और अकेलेपन में गज़ले सुनना पसंद हे !
मेरा परीवार :-
मेरे माता - पीता एवं भाई बंधू पैतृक गाव में रहते हे !
में ,,,,
मेरी धर्म पत्नी ,
एवं मेरी दोनों बेटीया ,
कवीता आँजना
काव्या आँजना
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कभी कभी मुझे लगता हे मेने काफी वक्त बीता दीया ,काफी देर हो गई . एक लंबे अरसे तक इस भ्रम में रहा की मैं औरों से बेहतर इन्सान हु या नहीं ,में लीख सकता हु की नहीं ,में अपनों की सेवा कर सकता हु की नहीं ,में अपनों के लीये आगे आ सकता हु की नहीं ! मैं ये भी मान कर चलता रहा की मै कमजोर तो नहीं हु ,,नहीं में कमजोर नहीं हु !, बेशक कुछेक कमज़ोरियां मुझ में रही हों। !मैं यह भी सोच रखता हु की में लिख सकता हु ,मै सेवा कर सकता हु , में अपनों के लिए आगे आ सकता हु ,में अपनी लेखनी के हुकुम से जरुर कुछ कर सकता हु ! हा ,मेने अपनी सोच बदली ,अपना नजरिया बदला ,अपने आप को प्रेरित किया कि नहीं रमेश ,,समय चला जायेगा ,कलम उठाओ और शुरू करो ,मेरी आत्मा ने गवाही दी ,मेरा साथ दिया और मेने वही किया जो दिल ने कहा और वही कर रहा हु ! अब तो लिखना मुझे अच्छा लगता हे !भगवान् ने इंसान बनाया हे ,,मै कवी बनने कि कोशिश करता हु !इंसान होना भाग्य हे पर कवी होना सौभाग्य हे ! मेरे सभी मित्रो का सहयोग एवं प्यार मुझे एहसास जरुर करवाता की मैं दूसरों की निगाह में भी मैं उतना ही श्रेष्ठ, बेहतरीन और अनुकरणीय हूं।
आपका प्यार ,, आपका स्नेह मेरे लीये बहुत कुछ हे !
आपका आभारी
आपका अपना
रमेश भाई आंजना
09413885566
honest, hardworking,cheerful loving person M.A.ENGLISH M.PHIL ENGLISH ACCA APGDCA with a hobby of writing , long way to go with your love and blessingsssss I believe. I give. I take. I do. I don't. I trust. I love. I need. I desire. I lack. I gain. I think. I learn. I teach. I become. I expand. I contract. I harden. I soften. I take in. I let out. I am able. I express. I mistreat. I treat. I try. I always will, and I know it. I act. I react. I embellish. I sacrifice. I adjust. I defeat. I use. I push. I pull. I misunderstand. I make mistakes. I bend. I flex. I stress. I experiment. I feel. I ache. I require. I restrain. I hold back. I misplace. I wander. I lose. I've lost. I let go. I hold on. I can't help it. I drop. I let down. I proceed with caution. I enter at my own risk. I rebel. Hell no, I won't go. I pay the price. I use force. I don't know my own strength, won't accept my own weaknesses. I fail. I decline. I debate. I argue. I clash. I would, could, should. I can't, so I won't. But I will, and I know it. I scheme. I tease. I abuse. I lie. I choke. I lash out. I victimize. I take back. I refuse. I blame. I overreact. I take advantage. I descend. I deplete. I deny. I tumble. I fall. I pull .I pull away. I annoy. I scratch. I pick. I scrape. I nag. I initiate. I instigate. I deceive. I fight. I cry. I pout. I shout. I scream. I don't understand. I can't take it. I boil. I steam. I don't care. I weep. I howl. I stomp. I run. I hide. I require. I beg. I plead. I step back. I admit. I bleed. I move forward. I must accept. I need. I let go. I hold on. I can't help it. I never, but I always, and I know it. I focus. I express. I search. I find. I piece together. I construct. I build. I fix. I mold. I decipher. I balance. I add. I spend time. I act. I compare. I come close. I compromise. I cooperate. I establish. I place. I settle. I devote. I contribute. I listen. I hear. I see I smell. I taste. I feel. I inhale. I ... exhale. I need no one. I need everyone. I take nothing. I take anything. I own. I win. I've won. I count my blessings. I can't say that I have, won't say that I can't. I find peace. I'm not perfect, and I know it. I wish. I pray. I dream. I will. I buzz. I glow. I laugh. I cherish. I dance. I sing. I leap. I skip. I please. I find joy. I shine. I accept. I console. I sigh. I give praise. I remember. I reflect. I give thanks. I deserve. I work through it. I recover. I have no regrets. I aide. I help. I assure. I am sorry. I live. I learn. I raise. I grow. I develop. I never let go. I watch. I love. I admire. I appreciate. I respect. I do. I will. I have. I smile. I lift. I glide. I fly. I am whole. I am one, and I know it... I wanted a perfect ending. Now I've learned, the hard way, that some poems don't rhyme, and some stories don't have a clear beginning, middle, and end. Life is about not knowing, having to change, taking the moment and making the best of it, without knowing what's going to happen next???....If you guys don't see updates for longer than a fortnight think something is terribly wrong with me and I NEED YOU ALL, may be I am gone with the wind. |
"IF THE PATH IS BEAUTIFUL,FIRST CONFIRM,
WHERE IT LEADS TO------------------ BUT,IF THE DESTINATION IS BEAUTIFUL, DONT BOTHER HOW THE PATH IS ------------ JUST KEEP ON WALKING------------- "WHERE THE VISION IS FOR ONE YEAR -CULTIVATE THE FLOWERS"------------ "WHERE THE VISION IS FOR TEN YEARS CULTIVATE THE TREES"-------------- "WHERE THE VISION IS ETERNITY CULTIVATE THE PEOPLES"------------ |