Friday, January 24, 2014

रहमत का द्वार

यह सोच कर आये थे ,,,,
इस दर पे ,,,,,,
की ,,,,,,शायद यही से कुछ रहमत मिलेगी !
रहमत तो क्या मिली …..
मित्रो यह पता नहीं था हमें ,,,,
यहाँ से तो सिर्फ शर्मिंदगी मिलेगी !!
आर . बी . आंजना

No comments:

Post a Comment

welcome to my world . thanks to read , like , comments and your valuable support . please comments if you have any suggestion. kindly give your feedback and comment your ideas about you wants to know .
thanks.

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का सटीक रामबाण

  जो सोचा नही था , वो समय आज गया । ऐसा समय आया कि लोगो को सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि उस समय क्या किया जाए । आज की लोगो की जीवनशैली की वजह से...