Friday, January 24, 2014

रहमत का द्वार

यह सोच कर आये थे ,,,,
इस दर पे ,,,,,,
की ,,,,,,शायद यही से कुछ रहमत मिलेगी !
रहमत तो क्या मिली …..
मित्रो यह पता नहीं था हमें ,,,,
यहाँ से तो सिर्फ शर्मिंदगी मिलेगी !!
आर . बी . आंजना

अजीब हे दुनिया

ना रहमती कि हे ,,,ना सहमति कि हे
दुनिया सिर्फ मतलब कि हे
ना अपनों कि ,,,, ना परयो कि ,,
दुनिया सिर्फ मतलब कि हे
कह कर वार करना कोई घाट नहीं ,,,
पर ,, बिन कहे वार करती हे दुनिया
साथ ना दे तो कोई बात नहीं ,,,
पर ,,,मंझधार में डुबोती हे दुनिया
नहीं चाहिए हमें रहमत किसी से ,,
मगर ,, बुलाकर शर्मिंदगी देती हे ये दुनिया,,
नहीं मरता कोई किसी कि जुदाई से
पर ,,, जानबूझकर जुड़ा करती हे दुनिया
कोई जरुरत नहीं हमें कि कोई ,,,,
हमारे मिलने कि दुआ करे ,,,
पर ,,, भूले हुओ को जरुर याद दिलाती हे दुनिया
किसी को क्या नुमाइश करे रमेश …
सियासते बाज़ार में सहायता मांगो तो ,,, सलाह मिलती हे
इंसान को बाँटने वाली यह दुनिया,,,,
नाज करती हे अपने इस काम पर ,,,
केसे नुमाइश करे हम इस दुनिया से ,,,
धर्म का चस्मा लगाकर घूमती हे यह दुनिया,,,
ना रहमती कि हे ,,,ना सहमति कि हे
दुनिया सिर्फ मतलब कि हे
ना अपनों कि ,,,, ना परयो कि ,,
दुनिया सिर्फ मतलब कि हे
                           आर . बी . आंजना

Monday, January 20, 2014

नमो का विज़न २०१४ ,,,,,

  नमो का विज़न २०१४ ,,,,,
ब्रांड इंडिया के फाइव टी ...
टैलेंट
ट्रेडिशन
टूरिज्म
ट्रेड
टेक्नोलॉजी
देश में १०० नै स्मार्ट सिटी बनाने का सपना
हर राज्य में IIT ,, आईआईएम ,,ईम्स
पुरे देश को बुलेट ट्रैन से जोड़ा जाना चाहिए
नदियो को जोड़कर पानी कि कमी को दूर किया जायेगा
हेल्थ इन्शुरन्स नहीं ,,,, हेल्थ असुरंस चाहिए ,,
उनको ६० साल दिए ,,, हमें ६० महीने देकर देखो ,,,

Saturday, January 18, 2014

पता नहीं लोग क्या क्या बोलते हे ,,, में इतना नहीं जनता पर हां , इतना कहूंगा कि केजरीवाल मुकरने से अपने आप को नही रोक पाते ,, तो मोदी को क्या रोक ,पाएंगे ,,

यकीं नहीं हे तो,,,, आजमा के देख लेना

यकीं नहीं हे तो,,,, आजमा के देख लेना
कोई फर्क नहीं हे इंसान में ,,, जरा लहू निकल के देख लेना
अपनी दौलत पे इतराने वालो ,,,
बहुत कुछ हे दौलत ,,,, पर भगवान् नहीं
इतना ही गुरुर हे तो ,,,, साथ ले जाके देख लेना
फर्क तो हमने किया हे ,,,,यहाँ आने के बाद
पर ,, खुद ने तो सबको एक ही हाथ से तराशा हे
अगर शक हे तो ,,, बेशक खुदा से रु-ब-रु हो के देख लेना
ना कोई अमीर – न गरीब ,,, ना उंच न नीच
विश्वास ना हो तुम्हे ,,तो जरा ,,,
अपनी आत्मा से पूछ के देख लेना
यकीं नहीं हे तो,,,, आजमा के देख लेना
                               आर . बी . आंजना

ये वक्त का तमाशा हे

वक्त आपको भी जनता हे और वक्त हमें भी जनता हे
ये वक्त का तमाशा हे ,,, वक्त सबको जनता हे
आप हमें जानते हो ,,, हम आपको जानते हे
सब सबको जानते हे ,,, वक्त को कोई नहीं जनता
जरुरी हे वक्त को वक्त से पहले जानना
जब तक कि यह हमारा हिसार कर दे
जकड के थम लो बाह इसकी
कही हम इससे पीछे ना रह जाये
पता नहीं कोनसा उसूल हे यह इस दुनिया का
कि ,,,,
कहना तो सब जानते हे ,,,,,
मगर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
करना कोई नहीं जनता हे
             आर . बी . आंजना

Tuesday, January 7, 2014

हर तरफ ख़ामोशी का साया हे

क्या हो गया हे इस इंसान को
जिसे देखो वही पराया हे
हज़ारो की भीड़ में भी
बस अपनों का सिर्फ साया हे
उजाली राहो में अन्धेरा छाया हे
कोई ईश्वर के प्रेम में मग्न हे
तो ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
कोई खुद के ही गम में गम हे
कोई मोहब्बत कि भूख से मरा हे
तो ,,,,,,,
कोई ,, लगता हे पीकर आया हे
जहाँ देखो वही बस
सिर्फ ख़ामोशी का साया हे
जिसे देखो वही पराया हे

ना किसी से लेना ,,, ना देना
ना कोई अपना ,,, ना पराया
ना बैठक , बाते ,,, ना चोपाल
पता नहीं किस दुश्मनी का ये साया हे
पता नहीं किस मालिक की ये माया हे
जिसे देखो वही पराया हे
हर तरफ बस ख़ामोशी का साया हे

जब टूटती हे ख़ामोशी तो ,,,,
फूटता हे लावा ,,,,,,
इंसान के कंठ से ,,,,
भड़कते हे दंगे ,,,
दंगो से घिरा यह इंसान
बस ,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सिर्फ पुतला बन कर रह गया हे
ना हिन्दू ,,,,,ना मुसलमान
ना सिख ,,, ना ईसाई
विश्व विरीह कातर हे
कत्ल होते गुलाब ,,,,,
एवं,,,,,,,,,,,
नई सदी की चीख का साया हे
जहाँ देखो वही इंसान का साया हे
हर तरफ ख़ामोशी का साया हे
सच्ची सभ्यता एवं संस्कृति के चेहरे पर ,,,
पुती कालिख का यह साया हे
दंगो में फंसा यह देश ,,,
सिर्फ,,,,,,,
दहशत भरी हिमाकत क्यों हे

बँट गए धर्म – मजहब
बँट गए समाज – समुदाय
बस ,,, रह गई हे तो ,,,
बनके अखबार कि सुर्खिया

क्या हो गया हे इंसान को
जिसे देखो वही पराया हे
हर तरफ ख़ामोशी का साया हे
हर तरफ ख़ामोशी का साया हे

                               आर . बी . आँजना

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का सटीक रामबाण

  जो सोचा नही था , वो समय आज गया । ऐसा समय आया कि लोगो को सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि उस समय क्या किया जाए । आज की लोगो की जीवनशैली की वजह से...