संसार की जनसंख्या का आंकड़ा 7 अरब पार कर चूका हें और इस आंकडे में हमारा मुल्क एक बहुत बड़ी हिस्सेदारी का दावा करता हुआ १२१ करोड़ पार कर चूका हें !बहुत बड़ा देश,अपनी सभ्यता ,संस्कृति,एवं एकता की पहचान बनाये हर जगह अपना झंडा बुलंद रखे हें,क्योकि यह गावो का देश हें और ये गाव इस देश की सबसे बड़ी ताकत हें,इस मुल्क की अधिकतर जनसँख्या गावो में बसती हें !अनाज,फल ,सब्जिया,दूध,दही,घी,उन,इंसान की जिंदगी में कम आने वाली कई आवस्यक वस्तुए इन गावो से पैदा होती हें!और ये काम आपने आप नहीं होते,इन्हें करने वाले ,उगाने वाले ,पैदा करने वाले कोई और नहीं हमारे ही माँ-बाप के सामान वो हिन्दुस्तानी परिवार हें जो रात दिन अपने आप को भूल कर इन कामो में लगे रहते हें! ये परिवार आपने इस कम में इतने व्यस्त रहते हें की वो अपने बच्चो को एवं उनकी पढाई को भी भूल जाते हें!मेरे शब्दों का मकसद साफ़ हें की क्या इनके बच्चो को अच्छी शिक्षा नहीं मिलनी चाहिए,जब ये बच्चे गावो की इन स्कुलो में जाये तो वह इन्हें पढाई का अच्छा माहोल नहीं मिलना चाहिए,क्या इनकी पढाई के लिए स्कुलो में पर्याप्त अध्यापक नहीं होने चाहिए!क्या वो सभी मुलभुत सुविधाए नहीं होनी चाहिए जो इन मासूमो को पढने के लिए जरुरी हें!
सच्चाई यह हें की गावो मे प्राथमिक शिक्षा के लिए प्राइमरी अध्यापको की भारी कमी हें,और यह कोई हलकी बात नहीं हें ,हिंदुस्तान के विकास की रफ़्तार के लिए भारी चिंताजनक बात हें!दोस्तों ये मेरा वादा हें आपसे की यदि हिंदुस्तान को एक विकसित देश का सपना हासिल करना हें तो सबसे पहले गावो की शिक्षा को बढ़ावा देना होगा,इसे शसक्त बनाकर ठोस बुनियादी नीव रखनी होगी!सरकारे हजारो वादे करती रहती हें,सरकारों ने कई ऐसे आंकडे भी दिए हें की गावो मे पर्याप्त अध्यापक हें,दोस्तों किसी की बताई या सुनी हुई बाते नहीं कह रहा हु ,मै गावो की स्कुलो मे गया हु ,बच्चो के साथ समय गुजारा हें ,शिक्षा के महत्व से उन्हें वाकिफ करने की कोशिस की हें!लेकिन वहा की हकीकत बहुत दुखदाई हें,इस रिषिमुनियो के देश की ऐसी हकीकत को देख के किसी के भी आँखों मे सावन का आना कोई आश्चर्य की बात नहीं होती!इन गावो की स्कुलो मे ४००-५०० की विधार्थियों की संख्या पर अध्यापको की संख्या केवल ५ या ६ हें!यह हकीकत हें की शिक्षक पढ़ाना चाहते हें,,शिक्षार्थी पढ़ना चाहते हें,पर आप खुद सोच सकते हें की क्या ये आंकड़ा एक बुनियादी शिक्षा के लिए सही हें!अध्यापक के दिल की इच्छाये होती हें की बच्चो को अच्छी शिक्षा दे,पर चाह के भी उनकी दिल इच्छाए ,सिर्फ इच्छाए ही रह जाती हें,,!इसके लिए पर्याप्त अध्यापको का होना बहुत जरुरी हें,,!
लेकिन आज ये सच हें की सरकार की कानो पे जू नहीं रेंगती,घोटालो के लिए अरबो रुपये उनके पास हें पर शिक्षा के लिए अध्यापको की भरती के लिए बजट नहीं हें,,!वह रे मेरे हिंदुस्तान वाह क्या तेरी माया हें!प्राथमिक स्तर पर शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए सर्व शिक्षा अभियान लागु किया गया,उसके तहत अध्यापको की कमी को पूरा करने के लिये १८.८९ लाख अध्यापको की मंजूरी दी गई,,पर खली पदों को भरने की बात आये तो सरकार सो जाये,,काफी शोर मचा,रेलिया निकली फिर भी अभी तक ६.८९ लाख पद खाली हें!आज राज्यों मे कई अच्छे -अच्छे संसथान और कॉलेज खुले हें जहा से कामयाब अध्यापक अपनी डिग्रीया हासिल कर सरकार के वादे सच होने का इंतजार कर रहे हें,,,पर इन राज्य सरकारों को अभी -तक कामयाब अध्यापक खोजने मे कामयाबी हासिल नहीं हुई हें!
इस देश के सभी आम परिवारों के बच्चे इन गावो की प्राथमिक स्कुलो मे पढ़ते हें,,मेने इन बच्चो के बिच समय गुजारके देखा हें की इनमे पढने की ललक हें,,अध्यापको मे पढाने की ललक हें!बच्चो मे प्रतिभा की कोई कमी नहीं हें पर उन्हें उचित माहोल नही मिल रहा ह!मेरे कई स्कुलो के दोरे हुए ,मेने इन गावो के विधार्थियों के दिल एवं इनकी आँखों मे पढाई की ललक को देखा हें,इनमे पढने का जज्बा हें,वो पढना चाहते हें,आगे बढ़ना चाहते हें!जब भी मे गावो की स्कुलो मे इन बच्चो से मिलने जाता हु तो इनकी आंखे मेरी आँखों से मिल जाती हें और फिर इनके दिल से एक ख़ुशी एवं दुःख दोनों से मिली हुई एक आवाज़ आती हें की ,,,,,,,,,,,
हम पढना चाहते हें,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हम पढ़ना चाहते हें,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!!
achcha vichar hai keep it up..........
ReplyDelete