ये मेरी एक छोटी सी कविता श्री सुजारामजी महाराज को श्रद्धांजलि के तोर पर संबोधित हे
एक ऐसे महान पुरुष जो आज हमारे बिच नहीं हे पर उनकी खुश्बू आज भी हमारे बिच ही हे !उनकी जीवन क़ि कहानी हमारे लिए एक बहुत बड़ी प्रेरणा की स्रोत हे.! लूनी के पास ही एक छोटे से गाव दुन्दादा में पैदा हुए और १० साल क़ि उम्र में ही शिकारपूरा अस्राम पहुचकर अपनी पढाई वही पूरी करी और अपना जीवन आँजना समाज को समर्पित कर दिया ,छोटी सी उम्र में समाज के लिए कई कार्य किये ,तन मन और धन से समाज की सेवा करते हुए वो अमर हो गए ,,यह एक हकीकत हे क़ि जिंदगी की गाड़ी चलती रहती हे ,,जन्म और मरण तो एक प्रक्रिया हे जीवन क़ि ,,लेकिन यदि यह समय से पहले हो तो हमें दुःख होता हे ,,और वो भी एक ऐसे महान पुरुष जिनके कंधो पे पुरे आँजना समाज क़ि जिम्मेदारी हो !
मै २००५ में एक बार पश्चिम बंगाल जा रहा था तो शिकारपुरा होते हुए गया था ,उस समय में श्री सुजारामजी जी महाराज से सिर्फ ७-या ८ मिनट्स के लिए ही मुलाकात कर पाया था ,पर इतने कम समय में उन्होंने अपने समाज के विकास के लिए जो बाते की,, वो आज भी मेरे दिमाग में घर किये हुए हे !उन्होंने शिक्षा,एकता, बाल विवाह,मत्र्यु भोज,खासकर बालिका शिक्षा !इन सब पे बात क़ि!ये मेरा बहुत बड़ा दुर्भाग्य हे क़ि में उनसे फिर कभी नहीं मिल पाया!लेकिन में उनकी बातो को याद करके में अपना सब कुछ भूल जाता हु !और उन्ही क़ि जिंदगी क़ि राह पर पड़े उनके अमर कदमो को अपना आदर्श मानकर में समाज की सेवा कर रहा हु !सब समस्याओ का मूल शिक्षा की कमी ही हे ,,इसलिए में शिक्षा पर कम करते हुए समाज को आपना थोडा सा समय निकाल कर मेरी एक छोटी सी कोशिस कर रहू हु विधार्थियो से मिलकर उन्हें शिक्षा के प्रति मोटिवेटकरके ,उन्हें आगे बढ़ने के सही रास्ते बताने की कोशिस कर रहा हु ,, क़ि अपने समाज के युवा आगे आये और पढाई करे ताकि आने वाले समय में एक आदर्श ,शिक्षित ,संगठित एवं सुद्रढ़ समाज का सपना सच कर सके!
मेरी उस मुलाकात में मुझे श्री सुजारामजी के शब्दों में ये सपना नजर आया था !मेरा भाग्य साथ नहीं दे पाया ,,दोबारा उनसे मिलने में !पर मै सभी आंजना बंधुओ से सहयोग की उम्मीद करते हुए एक महापुरुष के बताये रास्तो पर चलते हुए ,,उन सपनो को साकार करने की पुरजोर कोशिस जारी रखूंगा !!
धन्याद !!!!!
मेरी उस मुलाकात में मुझे श्री सुजारामजी के शब्दों में ये सपना नजर आया था !मेरा भाग्य साथ नहीं दे पाया ,,दोबारा उनसे मिलने में !पर मै सभी आंजना बंधुओ से सहयोग की उम्मीद करते हुए एक महापुरुष के बताये रास्तो पर चलते हुए ,,उन सपनो को साकार करने की पुरजोर कोशिस जारी रखूंगा !!
धन्याद !!!!!
आपका सहयोग सर्वोपरि हे !!!!
में आपका आभारी हु ???
जय श्री राजेस्वर भगवान
आपका अपना छोटा भाई .....:"रमेश भाई आंजना "
ये मेरी स्वरचित कविता हे ------
दिल- ए -आँजना
क्या हँसी दिन था,खिलती दीपावली की तरह !
पैदा हुए आप , खिलते गुलाब की तरह !
खुशिया मनाई उन्होंने ,आपके जन्म पर !
लेख लिखे विधाता ने आपके जीवन पर !
स्याही ख़त्म हुई या पन्ना कम पड़ गया !
पता नहीं क्यों विधाता का हाथ अड़ गया !
छोटी सी इस जिंदगी ने,,,,
मेहफूज बनाया इस समाज को !
जिंदगी जीने और आगे बढ़ने का,,,,
रास्ता बताया इस समाज को !!
रोशन रहे आप ,सदा आपने नाम की तरह!
हँसता रहा चेहरा आपका ,खिलते गुलजार की तरह !
फेलाते रहे खुशबू अपनों एवं परायों के बिच !
देते रहे सन्देश जीने का ,,
सभी को अपनी तरह !!
बहुत आये कांटे ,जिंदगी की हर रह पर,
मगर,,,,,,
काँटों में भी रहे आप एक गुलाब की तरह!
संसार में सितारे लाखो हुए ,,,,,
मगर,,,,,,,
ऐ--दिल -ऐ -आँजना ,,,,,,
रहे आप एक चाँद की तरह !
हे श्री राजेश्वर भगवान,,,,,,,
हम सब आँजना भाइयो की ये आरजू हे आपसे,,,
क़ि,,,,,
वो जहा भी रहे ,,,,,
रहे हमारे दिल में एक जान क़ि तरह ,,,,,,,,,,,,,,,,,,!
रहे हमारे दिल में एक जान क़ि तरह ,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!
लेखक:-रमेश भाई आंजना
नोट:-(copy right reserved )liable to legal action
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