


लेकिन आज ये सच हें की सरकार की कानो पे जू नहीं रेंगती,घोटालो के लिए अरबो रुपये उनके पास हें पर शिक्षा के लिए अध्यापको की भरती के लिए बजट नहीं हें,,!वह रे मेरे हिंदुस्तान वाह क्या तेरी माया हें!प्राथमिक स्तर पर शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए सर्व शिक्षा अभियान लागु किया गया,उसके तहत अध्यापको की कमी को पूरा करने के लिये १८.८९ लाख अध्यापको की मंजूरी दी गई,,पर खली पदों को भरने की बात आये तो सरकार सो जाये,,काफी शोर मचा,रेलिया निकली फिर भी अभी तक ६.८९ लाख पद खाली हें!आज राज्यों मे कई अच्छे -अच्छे संसथान और कॉलेज खुले हें जहा से कामयाब अध्यापक अपनी डिग्रीया हासिल कर सरकार के वादे सच होने का इंतजार कर रहे हें,,,पर इन राज्य सरकारों को अभी -तक कामयाब अध्यापक खोजने मे कामयाबी हासिल नहीं हुई हें!
इस देश के सभी आम परिवारों के बच्चे इन गावो की प्राथमिक स्कुलो मे पढ़ते हें,,मेने इन बच्चो के बिच समय गुजारके देखा हें की इनमे पढने की ललक हें,,अध्यापको मे पढाने की ललक हें!बच्चो मे प्रतिभा की कोई कमी नहीं हें पर उन्हें उचित माहोल नही मिल रहा ह!मेरे कई स्कुलो के दोरे हुए ,मेने इन गावो के विधार्थियों के दिल एवं इनकी आँखों मे पढाई की ललक को देखा हें,इनमे पढने का जज्बा हें,वो पढना चाहते हें,आगे बढ़ना चाहते हें!जब भी मे गावो की स्कुलो मे इन बच्चो से मिलने जाता हु तो इनकी आंखे मेरी आँखों से मिल जाती हें और फिर इनके दिल से एक ख़ुशी एवं दुःख दोनों से मिली हुई एक आवाज़ आती हें की ,,,,,,,,,,,
हम पढना चाहते हें,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हम पढ़ना चाहते हें,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!!