Saturday, November 26, 2011

"हम पढ़ना चाहते हें"

संसार की जनसंख्या का आंकड़ा 7 अरब  पार कर चूका हें और इस आंकडे में हमारा मुल्क एक बहुत बड़ी  हिस्सेदारी  का दावा करता हुआ १२१ करोड़ पार कर चूका हें !बहुत  बड़ा देश,अपनी सभ्यता ,संस्कृति,एवं एकता की पहचान बनाये हर जगह अपना झंडा बुलंद रखे हें,क्योकि यह गावो का देश हें और  ये गाव इस देश की सबसे बड़ी ताकत हें,इस मुल्क की अधिकतर जनसँख्या गावो में बसती हें !अनाज,फल ,सब्जिया,दूध,दही,घी,उन,इंसान की जिंदगी में कम आने वाली कई आवस्यक वस्तुए इन गावो से पैदा होती हें!और  ये काम आपने आप नहीं होते,इन्हें करने वाले ,उगाने वाले ,पैदा करने वाले कोई और नहीं हमारे ही माँ-बाप के सामान वो हिन्दुस्तानी परिवार हें जो रात दिन अपने  आप को भूल कर इन कामो  में लगे रहते हें! ये परिवार आपने इस कम में इतने व्यस्त रहते हें की वो अपने बच्चो को एवं उनकी पढाई को भी भूल जाते हें!मेरे शब्दों का मकसद साफ़ हें की क्या इनके बच्चो को अच्छी शिक्षा नहीं मिलनी चाहिए,जब  ये बच्चे गावो की इन स्कुलो में जाये तो वह इन्हें पढाई का अच्छा  माहोल नहीं मिलना चाहिए,क्या इनकी पढाई के लिए स्कुलो में पर्याप्त अध्यापक नहीं होने चाहिए!क्या वो सभी मुलभुत सुविधाए नहीं होनी चाहिए जो इन मासूमो को पढने के लिए जरुरी हें!
सच्चाई  यह हें की गावो मे प्राथमिक शिक्षा के लिए प्राइमरी अध्यापको की भारी कमी हें,और यह कोई हलकी  बात नहीं हें ,हिंदुस्तान  के विकास की रफ़्तार के लिए भारी चिंताजनक बात हें!दोस्तों ये मेरा वादा हें आपसे की यदि हिंदुस्तान को एक विकसित देश का सपना हासिल करना हें तो सबसे पहले गावो की शिक्षा को बढ़ावा देना होगा,इसे शसक्त बनाकर ठोस बुनियादी नीव रखनी होगी!सरकारे हजारो वादे करती रहती हें,सरकारों ने कई ऐसे आंकडे भी दिए हें की गावो मे पर्याप्त अध्यापक हें,दोस्तों किसी की बताई या सुनी हुई बाते नहीं कह रहा हु ,मै गावो की स्कुलो मे  गया हु ,बच्चो के साथ समय गुजारा हें ,शिक्षा के महत्व से उन्हें वाकिफ करने की कोशिस की हें!लेकिन वहा  की हकीकत बहुत दुखदाई हें,इस रिषिमुनियो के देश की ऐसी हकीकत को देख के किसी के भी आँखों मे सावन का आना कोई आश्चर्य की बात नहीं होती!इन गावो की स्कुलो मे ४००-५०० की विधार्थियों की संख्या पर अध्यापको की  संख्या केवल ५ या ६ हें!यह हकीकत हें की शिक्षक पढ़ाना चाहते हें,,शिक्षार्थी पढ़ना चाहते हें,पर आप खुद सोच सकते हें की  क्या ये आंकड़ा एक बुनियादी शिक्षा के लिए सही हें!अध्यापक के दिल की इच्छाये  होती हें की बच्चो को अच्छी शिक्षा दे,पर चाह के भी उनकी दिल इच्छाए ,सिर्फ इच्छाए ही रह जाती हें,,!इसके लिए पर्याप्त अध्यापको का होना   बहुत जरुरी हें,,!
लेकिन आज ये सच हें की सरकार की कानो पे जू नहीं रेंगती,घोटालो के लिए अरबो रुपये उनके पास हें  पर शिक्षा के लिए अध्यापको की भरती के लिए बजट नहीं हें,,!वह रे मेरे हिंदुस्तान वाह क्या तेरी माया हें!प्राथमिक स्तर पर शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए सर्व शिक्षा अभियान लागु किया गया,उसके तहत अध्यापको की कमी को पूरा करने के लिये १८.८९ लाख अध्यापको की मंजूरी दी गई,,पर खली पदों को भरने की बात आये तो सरकार सो जाये,,काफी शोर मचा,रेलिया निकली  फिर भी अभी तक ६.८९ लाख पद खाली हें!आज राज्यों मे कई अच्छे -अच्छे संसथान और कॉलेज  खुले हें जहा से कामयाब अध्यापक अपनी डिग्रीया हासिल कर  सरकार के वादे सच होने का इंतजार कर रहे हें,,,पर इन राज्य सरकारों को अभी -तक कामयाब अध्यापक खोजने मे कामयाबी हासिल नहीं हुई हें!
इस देश के  सभी आम परिवारों के बच्चे इन गावो की प्राथमिक स्कुलो मे पढ़ते हें,,मेने इन बच्चो के बिच समय गुजारके देखा हें की इनमे पढने की ललक हें,,अध्यापको मे पढाने की ललक हें!बच्चो मे प्रतिभा की कोई कमी नहीं हें पर उन्हें उचित माहोल नही मिल रहा ह!मेरे  कई स्कुलो के दोरे हुए ,मेने इन गावो के विधार्थियों के दिल एवं इनकी आँखों मे पढाई की ललक को देखा हें,इनमे पढने का जज्बा हें,वो पढना चाहते हें,आगे  बढ़ना चाहते हें!जब भी मे गावो की स्कुलो मे इन बच्चो  से मिलने जाता हु तो इनकी आंखे मेरी आँखों से मिल जाती हें और फिर इनके दिल से एक ख़ुशी एवं दुःख दोनों से मिली हुई एक आवाज़ आती हें की ,,,,,,,,,,,
हम पढना चाहते हें,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हम पढ़ना चाहते हें,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!!

Tuesday, November 22, 2011

14 Principles of Management:-


The 14 Management Principles from Henri Fayol (1841-1925) are:
1. Division of Work. Specialization allows the individual to build up experience, and to continuously improve his skills. Thereby he can be more productive.
2. Authority. The right to issue commands, along with which must go the balanced responsibility for its function.
3. Discipline. Employees must obey, but this is two-sided: employees will only obey orders if management play their part by providing good leadership.
4. Unity of Command. Each worker should have only one boss with no other conflicting lines of command.
5. Unity of Direction. People engaged in the same kind of activities must have the same objectives in a single plan. This is essential to ensure unity and coordination in the enterprise. Unity of command does not exist without unity of direction but does not necessarily flows from it.
6. Subordination of individual interest (to the general interest). Management must see that the goals of the firms are always paramount.
7. Remuneration. Payment is an important motivator although by analyzing a number of possibilities, Fayol points out that there is no such thing as a perfect system.
8. Centralization (or Decentralization). This is a matter of degree depending on the condition of the business and the quality of its personnel.
9. Scalar chain (Line of Authority). A hierarchy is necessary for unity of direction. But lateral communication is also fundamental, as long as superiors know that such communication is taking place. Scalar chain refers to the number of levels in the hierarchy from the ultimate authority to the lowest level in the organization. It should not be over-stretched and consist of too-many levels.
10. Order. Both material order and social order are necessary. The former minimizes lost time and useless handling of materials. The latter is achieved through organization and selection.
11. Equity. In running a business a ‘combination of kindliness and justice’ is needed. Treating employees well is important to achieve equity.
12. Stability of Tenure of Personnel. Employees work better if job security and career progress are assured to them. An insecure tenure and a high rate of employee turnover will affect the organization adversely.
13. Initiative. Allowing all personnel to show their initiative in some way is a source of strength for the organization. Even though it may well involve a sacrifice of ‘personal vanity’ on the part of many managers.
14. Esprit de Corps. Management must foster the morale of its employees. He further suggests that: “real talent is needed to coordinate effort, encourage keenness, use each person’s abilities, and reward each one’s merit without arousing possible jealousies and disturbing harmonious relations.” 

Wednesday, November 16, 2011

Change Your Life


    “We can change our life”
        If we have in us

1.Be yourself: cultivate desirable qualities.

2. Be alert: look for opportunities to express yourself.

3. Be positive: determine your goal and the route to it.

4. Be systematic: take one step at a time.

5.Be a punctual in your life……

6. Be persistent: hold to your course.

7.Be a human with positive attitude,,,attitude matters more than caliber

8. Be a worker: work your brain more than your body.

9.Be a good manager…..manage very carefully, your own life

10. Be a student: know your job.

11. Be fair: treat the other man as you would be treated.

12. Be temperate: avoid excess in anything.

13.Be honest …….honesty is the best policy

14. Be confident: have faith that cannot be weakened..........................!!!

15.Be a self motivated man…….believe in yourself,,have faith in yourself

16.Be truth to your self …never deceive yourself

God bless you…………………………

If the path is beautiful ,,,first confirm where it leads to….
But,,,
If the destination is beautiful don’t bother ,,,,,
How the path is…..
Just keep on walkingggggggggggggggggg

हिंदुस्तान वर्सेज आंजना


""नए साल की एक नई सीख""
(एक समाज -एक नाम)
""हिंदुस्तान""
  में गर्व से कहता हु की  मेने हिंदुस्तान में जन्म लिया !और में भाग्यशाली हु की में आंजना हु!
जिस तरह संसार के नक़्शे में हिंदुस्तान की एक अनोखी जगह हे,एवं अलग ही पहचान हे!
वही स्थति हिंदुस्तान में आंजना समाज की हे !
पुरे संसार में ये मुल्क अपनी पहचान रखता हे,जिसे सुरों.वीरो.महात्माओ,देवी - देवताओ की  एवं संतो की ,शांति,संयम,एवं पवित्र भूमि के नाम से जाना जाता हे !हर देश अपनी  अपनी  पहचान बनाने में अपनी -अपनी पुरजोर कोशिस कर रहा हे!अमेरिका अंपने  डॉलर  की ताकत से जाना जाता हे ,जापान अपनी तकनिकी के कारण,छोटा सा देश इजरायल बड़े-बड़े देशो को लोहा मनवाता लेता हे,तो चीन अपनी आर्थिक स्तिथि को मजबूत करके अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा हे!लेकिन हमारा ये मुल्क सबसे ऊपर हे,सबसे शिखर पर अपना अस्तित्व रखता हे,क्योकि हमारी असीम ताकत हे हमारी सभ्यता ,संस्कृति,परिवारवाद ,मैत्रीपूर्ण भावना ,अनेकता में एकता की भावना,हजारो धर्म,हजारो जातिया,लाखो बोलिया,लाखो वेश,एवं गावो का देश................!
और देश की बढती तकनिकी एवं आर्थिक स्तिथि की बात करे तो हम आज एक बहुत अछे पायदान पर हे!कई देशो के साथ अच्छी -अच्छी डील हुई हे और जारी हे,विकाश की गति अपने रफ़्तार पर हे!ये हमारी ताकत हे की जिन्होंने २०० साल तक जिस मुल्क पर राज किया वो आज यहाँ आकर विकाश करने एवं आगे बढ़ने के तरीके हमसे सिख रहे हे!
इन सब अनोखी विशेस्ताओ के कारण आज भी ये ऋषि -मुनियों की पवित्र धरती सबसे प्यारी हे...यह देश सबसे पवित्र एवं प्यारा हे!!!!!!
""आंजना""
 सोने पे सुहागा तो तब होता हे जब कोई इतना प्यारा मुल्क हो और उस मुल्क में इसी तरह की खास विशेस्ताये लिए कोई समाज हो ...जिसे दुनिया आंजना कहती हे!आज से करीब-करीब २५०० साल पहले वैदिक आर्यों के युग में भी इस समाज की एक अलग पहचान थी ,चाहे क्षत्रियता की बात हो,शांति एवं संयम की बात हो,या मेहनत करके पेट भरने की बात हो !और चलती घडी के काँटों एवं बदलते हुए समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाली ये समाज आज भी उन्ही आदर्शो पर चलती हे एवं उन विशेस्ताओ को बरकरार रखे हुए हे!यही कारण हे की यह समाज हिंदुस्तान में शांति,संयम, एकता ,मेहनत ,सभ्यता , संस्कृति एवं अपनी क्षमाँदान की भावना  के लिए जानी जाती हे!
इतना ही नहीं ,हिंदुस्तान के विकाश की सीढ़ी में भी चार चाँद लगाकर विकाश की रफ़्तार को तेज़ कर रही हे!चाहे पशुपालन हो,खेती हो,या हर तरह का व्यापार हो,हर जगह भारत के विकाश में अपनी अहम् भूमिका निभाती हे ये समाज!
 हमें गर्व हे की हम  हिन्दुस्तानी हे ,,, और हम भाग्यशाली हे की हम आंजना हे !
क्योकि ये दोनों गोरव हमारे हिस्से में हे!
आंजना बंधुओ ,इन तथ्यों को उजागर करने के पीछे मेरा मकसद हे की इतनी अच्छाइयो के बिच,कुछ और अछे तथ्य हे जो बहुत जरुरी हे और वो सत्य हे,,,उन्हें क्यों नाकारा जाये.!क्योकि ,,जब कोई इतना प्यारा इतिहास एवं  अछ्छाइया पढ़े और एसे तथ्य जो हकीकत से रूबरू करते हो और सत्य हो तो जेठ के महीने में आँखों में सावन का आना नजमी हे !में मेरे शब्दों का मकसद साफ़ करता हु कि....आंजना बंधुओ .फिर क्यों हम अलग-अलग नामों से जाने जाते हे,कही कलबी,कही पटेल,कही पाटीदार,कही चौधरी,कही देसाई, कही पीटल,कही पाटीदार चौधरी,कही आंजना ,,,,,,,,तो कुछ बंधू  तो अपने नाम के साथ अपनी गोत्र लगाते हे !
क्या हमारी समाज एक नाम पर नहीं आ सकती???
क्या हम एक नाम से  नहीं जाने जी सकते ???
क्यों नही ,,हो सकता हे,,,एक नाम से हम जाने जा सकते हे ,,,??
आंजना बंधुओ हमारा मकसद कोई एक नाम के पीछे टाइटल  लिखना नहीं हे,,इसके पीछे कई उपयोगी तथ्य हे,जो हमारे लिए  आज भी उपयोगी हे और आने वाले समय में भी उपयोगी सिद्ध होंगे !
नए साल की नई उम्मीद,नई किरण,नया सवेरा,नई आशाए एवं नए समय से नई सिख लेते हुए नए साल की मुबारकबाद देते हुए, सभी आंजना बंधुओ से हाथ जोड़कर सभी से विनती  करते हुए एवं सहयोग कि उम्मीद करते हुए मेरे शब्दों  को विराम देता हु !!!!!!!
नया साल आप सभी के लिए एक नया सवेरा लाये,नई उम्मीद एवं नई सिख दे,जहा हे उससे भी आगे बढ़ने का जोश ,जज्बा,एव जूनून दे,,,,,,,
कल जहा थे,उससे कुछ आगे बढे,,,
अतीत को ही सही,थोडा भविष्य को भी पढ़े,,,,
गढ़ा तो था सुनहरा इतिहास ,हमारे पुरखो ने,,,
आओ उससे आगे का हम इतिहास गढ़े,,,,,,,,,,,
आओ उससे आगे का हम इतिहास गढ़े,,,,,,,,,,,
""""जय श्री राजेश्वर """"   
में देश प्रेमी,समाज प्रेमी,एवं इंसान प्रेमी व्यक्ति हु!
मेरे विचारो के एवं लेखनी के हुकुम का गुलाम हु !इसलिए मेरे लिखते हुए कोई गलतिया  हुई हो तो माफ़ करे!उसे सही पढ़कर सुधार करे!    
रमेश भाई आंजना
                 

Monday, November 14, 2011

MANAGEMENT


Definition, Meaning and characteristics of Principles of good  Management.
Management as "the art of getting things done through people".[2] One can also think of management functionally, as the action of measuring a quantity on a regular basis and of adjusting some initial plan; or as the actions taken to reach one's intended goal. This applies even in situations where planning does not take place. From this perspective, Frenchman Henri Fayol[3] considers management to consist of five functions:

  1. planning
  2. organizing
  3. leading
  4. co-ordinating
  5. controlling
A principle is a fundamental truth and is generally stated in the form of cause and effect inter-relationship. Management principles are the statement of general truth providing guide to thought or action. In the words of Herbert G. Hicks, "Principles of management are the guiding rules of laws for managerial action."
In the words of Kantooz and O' Donnell, "Management principles are fundamental truth of general validity." These truths are the guiding pillars in the managerial execution of functions and solution to problems. Every social science has developed its own principles. Management is also a social science and thus it has developed a number of management principles from time to time.
Henry Foyol, a French industrialist, offered fourteen principles of management for the first time in 1916. During the period of 1920-40s in the USA many authors did hard work in developing and testing various principles of management. Today, there is a very lengthy list of management principles and it is not possible to give an exhaustive list of them.
In order to derive principles following steps are taken as:
·         Observation and study of the problem.
·         Testing the principles.
·         Choice of the problem or opportunity.
·         Making hypothesis.
·         Conclusion and forecasting.
Observing and study of the problem: Researchers in management observe the problems carefully in different situations .and from different angles. They have to study deeply the problem, its causes, magnitude, consequences and find their solutions.
Testing the Principles: The principles formed must be scientifically tested and verified. Before generalization of the principles testing under different situations is a must.
Choice of the problem or opportunity: The researchers in management science identify the area where general principles of business management are lacking or need modification.
Making hypothesis: On the basis of observation and the data collection a hypothesis is formed, under assumed situation what is expected to happen. For example, there will be more output, as wages are paid according to piece-rate system.
Conclusion and forecasting: The next step will be to reach the logical conclusion and predict the specific happenings under assumed situations. Thus, the management principles are not as exact as principles of physical sciences, because management is a social science and thus a victim of the nearness of social sciences. It deals with the human beings whose behaviors are always unpredictable, because they have go individually different socio-economic status, needs and perceptions. Secondly, it deals with the complex problems about which to little is known, though a lot of principles have been derived out of experiments, observation and enquiry. These principles are being satisfactorily applied but we cannot say that we have attained the perfection stage. Invention and improvement of theories in every discipline is a continuous process. The existing management principles are satisfactorily effective in understanding the complex management problems. These principles are applied in the real situations of managing business enterprises and achieving handsome results.
Nature/ Characteristics features of principles of management
Nature of management principles stands for special features or characteristics of management principles. Following are the important features of the management principles:
Universal application: Principles of management are applied in every situation, where the objectives are attained through group efforts. All organizations such as social, political, cultural or even religious organizations apply for the successful operations of their activities. Every organization must make the best possible use of its available resources by the application of management principles i.e., planning, organizing, staffing, directing and controlling effectively and achieve the desired result.
Flexibility: Management principles are dynamic guidelines and not satic rules. management helps the business in multiplying its profit at minimum cost. The business situation and its socio-economic environment is enough to suit the size, nature, needs and situations of the business. Improvement and modification of management principles is a continuing process, so the principles of management is always flexible.
General Statement: Management principles are concerned mostly with human behavior which cannot be tested under controlled conditions i.e., a laboratory. Human behavior is always unpredictable. So, management principles are not as exact as the principles of physical science. In this way, the management principles are merely statements.
It influences human behavior: Human element is an essential factor of production. It activities and extracts work form other factor also. Every worker is individually different from the other workers as regards his ability, knowledge, skill, socio-economic status, attitudes and ideologies. Management is concerned with the integration of individual efforts and how to decentralize them towards achieving the desired results. so, management principles is said to be a work and group activity. Thus, management principles aim at influencing individual efforts and directing them to the minimization of profit with the minimum wattage and the best possible utilization of available resources.
Cause and effect relationship: The management principles also form cause and effect relationship. It indicates the consequences of its principles, for instance if wages are paid on the basis of piece-rate system the quantity of work will be more, but the quality will suffer. If the principles of unity of command is adopted, the confusion, duplication and overlapping will be avoided. In the same way, other principles also, indicate the relationship between principles, their consequences and results.
Equal importance: There is no inferiority or superiority between the principles no one principle has greater significance than the other. We cannot say the principles of unity of command is more important than the principle of unity of direction. In this way all the principles of management are equally important.
Careful and discreet application: Principles of management cannot be applied blindly, because there principles are relative, not absolute. Thus these principles should be according to organizational needs and situations.
Decision-making: Management in always concerned with decision making factors of production are scarce and they also have alternative uses. So, management has to decide the best possible combination of available resources, and most suitable techniques of production applied. In this way, management principles are therefore the basis of decision making.
Management principles and its importance
Principles of management are very important for the successful management of organisation in its real situations. These are important guidelines to the management. These principles point out the areas where management should concentrate immediate attention. They simplify the process of management, increase the overall efficiency and help in achieving the desired objective of the business. Following factors are summarized below irrespective of significance of management principles:
·      It increases the efficiency of the management: Principles of management provides guidelines to the manager for handling complex problems more effectively. It also facilitates managers in performing this duties smoothly. Thus the efficiency of the management is increased and the managers adopts systematic and scientific approach towards the solution of the problem.
It   helps in achieving social objective: Management develops spirit of co-operation and co-ordination among workers and their employees. It also helps in the optimum utilization of social resources. It eliminates unnecessary wastage of resources. These days, principles of management are directed at maximum profit without loss of social values. Thus, the management must supply commodities at fair price, not including the adulteration and make payment of reasonable wages to their workers.
        It generates sound understanding: The management principles generate sound understanding of the difficult problems of business enterprises. The management applies scientific approach for the solution of the complex problem. In this regard, managing the enterprise and incur wastage of resources.
·         It directs the areas of training: the principles of management identify the present and prospective areas of management. For this managers should be specially trained. Business situations are themselves difficult and they change considerably with the change in social, political and economic situations. So, the principle of management make significance in finding the areas and impart requisite training program to their executives.
·         It guides to research work in management: The management principles needed to make guidelines which requires necessary modifications with the changing situations. In order to make management meaningful and practical utility, researchers examine these principles justify this utility and suggest various modification, if necessary.

Wednesday, November 9, 2011

मै,मेरी जिंदगी और मेरा देश ,,,

मै,मेरी जिंदगी और मेरा देश ,,,
हर किसी के अपने अपने ख्वाब और सपने होते हे ,,,
मै भी  इस जाल एक प्राणी हु ,
कभी कभी कुछ ख्याल और सपने,,,,,,,,,,,,,,,, मुझे भी आ जाते हे ,,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,उन्हें सजा लेता हु ,,
कोशिस करता हु  उन्हें ,,,,,,
सच करने की ,........................................
,,,,,,,,,,,,,,,,,,महापुरुषों के रास्ते अपनाने की कोशिस कर लेता हु ,,
चले गए वो,,,,,,,,,, 
जिन्होंने,,,,,,,,,,
अपनी   पूरी जिंदगी अर्पण कर दी इस देश को ,,,,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,समय निकाल कर उनकी जीवनी पढ़ लेता हु ,,
हे ,, भगवान मेरी ये आरजू हे ,,उन्हें स्वर्ग में भी स्वतंत्र रखना ,,,, 
कोई हर्ज़ नहीं ,,,,,,,,,चाहे मेरी देह का इस्तेमाल  भी करना पड़े ,,,
उनके सुनहरे नाम लिखने में भी मेरा जीवन धन्य हो जाता हे,,,,
,,,,,,,महात्मा गाँधी ,,,नेहरु जी,,,,,मदर टेरेसा ,,,,,
लाल,,, बाल  एवं पाल ,,,,भगत सिंह ,,,,सुखदेव,,,,
और भी इसे सितारे कई थे ,,,,,जिन्हें आज भुला जा रहा हे ,,,,,,
पर ,,,,पर ,,,,,,,,,में थोड़ी उनकी यादे ताज़ा करने की कोशिस कर लेता हु ,
हां ,,,,
कभी ,,कभी ,,,समय निकल कर ,,,,,,,
अपने  तरीके से ,,,,जितना हो सके ,,,,,,,,,
,,,,,,,हिन्दुस्तानी होने का थोड़ा सा  क़र्ज़ अदा कर की कोशिस कर लेता हु 
ये सच  हे की समय नहीं मिलता ,,,,,,
पर ,,,,,समय निकाल  लेता हु,,,,
और मेरी जिंदगी की साथी ,,,,,,,
मेरे अकेलेपन की जरुरत ,,,,
अकेलेपन की साथी ,,,,,,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,उन सुनहरी किताबो को पढ़ लेता हु 
उन महापुरुषों के सपने वाले इस सुनहरे देश का,,,,,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, एक वासी होने का गर्व महसूस कर लेता हु 

में,मेरी जिंदगी और मेरा देश 

Tuesday, November 8, 2011

फूलो पर लाखो की नज़र

 फूलो पर लाखो की नज़र ,,,,,,
              कांटो से मुहब्बत कोन करे,,,,,,,,
इन अमीरों की दुनिया में ,,,,,,,
              गरीबो की क़द्र कोन करे ,,,,,,,,,

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का सटीक रामबाण

  जो सोचा नही था , वो समय आज गया । ऐसा समय आया कि लोगो को सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि उस समय क्या किया जाए । आज की लोगो की जीवनशैली की वजह से...