दोस्तों आज एक ऐसे शख्स से बात हुई जो काफी दुखी था अपनी असफल जिंदगी को लेकर , काफी उम्र ढल चुकी हे ,मुलाकात में उन्होंने अपनी जिंदगी के सारे पहलु सुनाये , सारी नाकामयाबियां सुनाई और जिस तरह हर असफल आदमी कारन भी जरुर बताता हे ,, वही काम उन्होंने भी बखूबी किया ,और काफी कुछ अपने सर पे मढ़ते हुए खुद को जिम्मेदार माना ,, यह बात मुझे बहुत अच्छी लगी की अपनी आत्मा कि सुनी और आत्मा कि अव्वाज को बहार निकाला , क्युकी आत्मा कभी जूठ नहीं बोलती !मित्रो उनकी सारी बाते सुनकर मेंने तो यही निस्कर्ष निकाला की हमें जो करना हे बस लग जाओ , निकल जाओ घर से , रास्ते अपने आप बनते जायेंगे , मंजिल खुद बी खुद नजर आयेगी ! कही ऐसा ना हो की फिर हमें भी इसी तरह पछताना पड़े , ऐसा नहीं होगा मित्रो !मेरी हर दुआ , हर शुभकामना मेरे मित्रो के साथ हे !
हमारी मुलाकात में उनकी कही बातो को में मेरे मित्रो के सामने चार पंक्तियो में पेश करने कि कोशिस की हे ,,,,,,
वक्त से पहले हो गई आज भोर
रह गई मेरी निंद्रा अधूरी
अब में शिकवा किससे करू !
रह गए मेरे सपने , ढहकर मेरे दिल में
नहीं कर पाया इन्हे सच
अब में शिकवा किससे करू !
जिंदगी रह गई बन के ,मेरी नाकामी का सबब
मुझ पर ही आ गया सारा इल्जाम
अब में शिकवा किससे करू !
ढाल गई ये जवानी , हो गए बाल सफ़ेद
आ गया ये मंजर बुढ़ापे का
अब में शिकवा किससे करू !
ढह गए सरे मंजर मेरी आँखों के सामने
बस सिर्फ देखते ही रह गया
अब में शिकवा किससे करू !
सोच कर भी नहीं सोच पाया की में क्या करू
जब में ही कुछ नहीं कर पाया तो फिर
अब में शिकवा किससे करू !
आर. बी. आंजना
हमारी मुलाकात में उनकी कही बातो को में मेरे मित्रो के सामने चार पंक्तियो में पेश करने कि कोशिस की हे ,,,,,,
वक्त से पहले हो गई आज भोर
रह गई मेरी निंद्रा अधूरी
अब में शिकवा किससे करू !
रह गए मेरे सपने , ढहकर मेरे दिल में
नहीं कर पाया इन्हे सच
अब में शिकवा किससे करू !
जिंदगी रह गई बन के ,मेरी नाकामी का सबब
मुझ पर ही आ गया सारा इल्जाम
अब में शिकवा किससे करू !
ढाल गई ये जवानी , हो गए बाल सफ़ेद
आ गया ये मंजर बुढ़ापे का
अब में शिकवा किससे करू !
ढह गए सरे मंजर मेरी आँखों के सामने
बस सिर्फ देखते ही रह गया
अब में शिकवा किससे करू !
सोच कर भी नहीं सोच पाया की में क्या करू
जब में ही कुछ नहीं कर पाया तो फिर
अब में शिकवा किससे करू !
आर. बी. आंजना