Blog about Motivational ,inspirational writing ,public speaking tips,loose weight ,business,interviews, educational,guidance and councelling tips.
Tuesday, May 26, 2020
Friday, May 22, 2020
दगा किसी का सगा नहीं
इंसान कितना भोला हे,,,
जरुरत से ज्यादा सयाना हे,,,
खुद को ज्यादा,,,,
और,,,,,
इश्वर को कम आंकता हे ...
जो की इंसान को ....
पेसो से,,,,
बातो से,,,,
और हरकतों से,,,
हर कदम पे धोखा देता हे,,,
और पल भर की ख़ुशी से झूम जाता हे....
मगर...
ये इंसान .....
बिलकुल भूल जाता हे की,,,,,
ये ,,,कितना वाजिब हे,,,,,
हर एक पल ....
और .......
हर एक अपनी चाल ,,,,
हरकत.....
धोखा सभी का,,,,
इश्वर के दरबार में
हिसाब रहता हे,,,,
उसे ,,,इश्वर कभी नहीं छोड़ता ,,,
आज नहीं तो कल ,,,
कल नहीं तो परसों,,,,
हिसाब जरुर चुकाना हे ,,,
हम किसी सीधे इंसान को ,,
,धोखा देके,,,
खुश हो जाते हे,,,,,,,,,,,,
किसी के पेसे चुराके ,,,
कोई चीज चुरा के ,,,,
किसी की उधारी नहीं देके .......
किसी के साथ छल करके ,,,
हम खुश हो जाते हे,,,,
मगर ,,,,
हम यह भूल जाते हे की ,,,,
हम यह हरकत ,,,,,किसी इन्सान के साथ नहीं ,,,
बल्कि भगवान् के साथ कर रहे हे,,,
जो कभी माफ़ नहीं कर सकता,,,,
यह बात दिमाग से ही हमें निकल देनी हे,,,,
की ,,,,,,
हम जिस इन्सान को धोखा दे रहे हे ,,,
उसका कुछ फर्क पडेगा ,,,,
उसका भगवान् हमेशा ही भला करता हे ,,,,,
उसके घर में साईं बाबा हमेशा ,,,,
खुशियों की बहार लाता हे,,,,,,
इंसान भले ही धोखा दे ,,,
लेकिन इश्वर सब तोल मोल के देता हे,,,,,
और जो इंसान दुसरो को धोखा दे कर
अपना ,,,काम बनाते हे,,,,,,
उनके घर की हालत ...
.खुद अपनी आँखों से देख सकते हे .....
एसे इंसान जिंदगी के कुछ पल ...
जरुर ख़ुशी में काट सकते हे ,,,,
पर जिन्दगी की लम्बी गाड़ी ,,,,,,
उन्हें इतना दुःख देती हे ,,,,,
की ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
वो अपने परिवार और अपनी ,,,,,
जिंदगी की गाड़ी से हर जाते हे ,,,,
""दगा किसी का सगा नहीं
नहीं किया तो कर के देखो ....
और ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
किया उनके घर देखो.......""
जय श्री राम,,,,,
जय श्री राम..
रमेश भाई आँजणा
Important ways to loose weight
Now a days in this time of modern era peoples are very busy in jobs , business , meetings and all other family and social activities . no body have time to take care of self health also , and that resulting in to increasing body weight and health problems .
so if we take little bit of precautions that can save our life from many of the deseases related to body , food and health .
there are few very important ways to loose weight and be free from any type of desease.
- Always make and follow the proper meal descipline .
- Have breakfast on fixed time usually before 9 AM .
- Breakfast must be heavy with fruits and juice .
- Hot , warm water early in the morning when get up at least half ltr.
- Exercise daily early in the morning .
- Eat low carb foods.
- Avoid junk foods.
- Avoid any type of cold drinks.
- Sleep well .
- Take adequate and well rest .
- Avoid stress as you can.
- Use fasting 2 to 4 times in a month.
- Supplements regarding vitamins and protins .
- Maximum use of cearels .
- Maximum use of green vegetables.
- Maximum use of liquids.
- Be continues to any of activity like exercise and all.
- Eat when you feel hungry .
- Never take overdose meals.
- Avoid beer and liquor.
- Use tea in limits , it reduces diet.
- Make a check up chart and monitor your health.
- Make your own self made rules for health and follow them strictly.
- drink adequate water.
- Avoid water before and after meal for minimum 30 minuts.
- Never take a sigle type of food for a long time .
- Continue process of following yog and pranayam.
- Avoid continuous sitting on chair .
- Make your thinking and mind strong that thiese steps will help you.
- Follow these all steps wisely , intelligently and strictly .
thanks
Ramesh Bhai Anjan
आत्मा के सात शरीर होते हैं और जिन जिन परमाणुओं से वे सातों शरीर निर्मित होते हैं,
उन्ही-उन्ही परमाणुओं से सात लोकों का भी निर्माण हुआ है जो निम्न लिखित हैं-
स्थूल या भौतिक या पार्थिव
वासना या प्रेत
सूक्ष्म या प्राण
मनोमय
आत्म
ब्रह्म
निर्वाण
इन सातों लोकों से मनुष्य के सातों शरीरों का सम्बन्ध होता है जिनके प्रवेश द्वारा मानव शरीर में सात चक्र के रूप में विद्यमान होते हैं। ये चक्र प्रवेश के द्वार होने के साथ साथ शक्ति के केंद्र और पदार्थों के केंद्र भी होते हैं।
पहला
भौतिक शरीर और भौतिक जगत* का सम्बन्ध पृथ्वी तत्त्व से होता है जिसका आधार है--मूलाधार चक्र। शरीर में इसकी स्थिति मेरुदण्ड के निचले सिरे पर है।
दूसरा
वासना शरीर और वासना लोक(प्रेत शरीर)* का सम्बन्ध शरीरस्थित लिंगमूल के निकट स्वाधिष्ठान चक्र से होता है। इस चक्र में जल तत्व है।
तीसरा
सूक्ष्म शरीर और सूक्ष्म जगत* का सम्बन्ध नाभि स्थित मणिपूरक चक्र से है । इसमें अग्नि तत्व है।
चौथा
मनोमय शरीर और मनोमय जगत* का शरीरस्थित ह्रदय सेसंबंध है।यहाँ अनाहत चक्र होता है और इसका वायु तत्व से सम्बन्ध है।
पांचवां
शरीर और पांचवां लोक है-आत्मलोक*। इसका सम्बन्ध आकाश तत्व से होता है। इसका शरीर में कंठ स्थित विशुद्ध चक्र से सम्बन्ध है।
छठा
ल शरीर ब्रह्म शरीर है और छठा जगत है ब्रह्म जगत*। यहाँ तक आते आते सारे तत्व और पदार्थों का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। इस शरीर और इस लोक का सम्बन्ध है आज्ञाचक्र से। यह चक्र दोनों भौंह के मध्य है और इसीको तीसरा नेत्र भी कहते हैं।
सातवां
शरीर है निर्वाण शरीर और सातवां लोक है निर्वाण जगत* । इसका स्थान है सहस्रार स्थित ब्रह्मरंध्र।इसीमें एक विशेष प्रकार का द्रव विद्यमान जिसका आधुनिक विज्ञान आजतक पता नहीं लगा सका है। यहीं पर परम तत्व शिव के स्वरुप में विद्यमान है
Thursday, May 21, 2020
असफलता के मुख्य कारण
जय हिन्द , वन्दे मातरम ।
मित्रो आज एक किताब हाथ लगी ,पढ़कर बहुत अच्छा लगा ,बहुत आनन्द आया , बहुत कुछ सीखने को मिला ।
# असफलता सफलता की सीढ़ी है #
लेखक :-श्रीनिवास आर कंडूला
बेहद शानदार किताब है उसके मुख्य बिंदु है जो आपके समक्ष पेश कर रहा हु , कुछ और सामान्य बाते भी रखूंगा साथ मे ।
80% लोग 50% से ज्यादा बार असफल होते है ।
80% लोग उन लोगो से कमतर नही है जो ज्यादा सफल हुए है ।
फिर वो असफल क्यों हुए ,असफल क्यों है । उनके सपने बड़े है , उनकी मेहनत उन सफल लोगो से ज्यादा है जो बहुत ज्यादा सफल हुए है । फिर भी वो 80% लोग असफल क्यों ।
उनके असफल होने के मुख्य कारण वो खुद है , उनकी आदते है ,उनकी आंतरिक भावना है , उनकी सोच है । न कि जमाना । इस किताब में वो कारण लिखे है और ये भी हजारो लोगो पर रिसर्च का परिणाम है ।
आत्म केंद्रित असफलता के मुख्य कारण
1. दिखावा करना
2. अपनी धारणा को सामाजिक सत्य मानना
3. आत्म अज्ञान
4. खुद को शिकार बनाना
5 . आत्म नियंत्रण का अभाव
6 . अत्यधिक आत्म प्रेम
7. आत्म उदासीनता
8. आत्म दमन
9. स्वयं से कम अपेक्षा
10. आत्म सम्मान का अभाव
11. बेचैनी
12. पछतावे की आदत
13. अपने अड़ियलपन पर अड़े रहना
14 . दुसरो पर निर्भरता
15. आत्म स्तुति
16. संतुलन का आभाव
17. लचीलेपन का अभाव
18. डिप्रेशन का विषाद
19. मानसिक अपंगता
20. उत्साह का अभाव
21. नकारात्मक व्यक्तित्व
22. सिर्फ खुद के लिए सोचना
23. सिर्ग अपना काम निकालने की आदत
24. अपना काम निकलने के बाद पलट जाना
25. काम निकालने के लिए बहुत नीचे तक गिर जाना
26. जरूरत से ज्यादा स्वार्थीपन
27. भाषा की मर्यादा
28. संबंधों को आदर नही देना
29. ईश्वरीय शक्ति को मिथ्या मानना
30. लेन देन में पारदर्शिता नही होना
31. दुआओ का अभाव
32. अपने नीचे काम करने वालो को दबाना
33. अपने पर निर्भर लोगो की भावनाओ से खिलवाड़
34. समय प्रबंधन का अभाव
35. तकनीकी ज्ञान की कमी
36. व्यवहारिक ज्ञान की कमी
37. नैतिक मूल्यों की कमी
38. भाषा मे शब्दो का चयन
39. किसी ओर का हक मारने की आदत
40. परिवार से बाते छुपाना
41. काम निकलने के बाद अपना असली रंग दिखाना
42. समय की वैल्यू नही समझना
43. समय बर्बाद करना
44. नशे की लत
45. गलत संगति
46. गलत माहौल
47. नकारात्मक माहौल में रहना
48. अपनी बातों से पलट जाना
49. मेहनत से कतराना
50. शॉर्ट कट मारने की आदत
मित्रो ये बहुत छोटे छोटे कारण ओर बेहद निम्न स्तर की बातें है लेकिन कई सफल उद्योगपति ओर बड़े लोगो की जीवनियों में ये बाते खास तौर पर पाई गई । जिन्होंने इन बातों का पालन किया वो आज शिखर पर है । और जिन लोगो ने इन सबको तवज्जो नही दिया ,शिखर पर पहुच कर भी वहां टिक नही पाए ।
ये बात सेकड़ो सफल लोगो ओर सेकड़ो असफल लोगो के जीवन मे पाई गई ।और सास्वत सत्य है । जो सेकड़ो किताबो का अहम हिस्सा है ।
धन्यवाद लेखक महोदय ।
आभार
जय हिंद जय भारत
रमेश भाई आँजणा
9413885566
मित्रो आज एक किताब हाथ लगी ,पढ़कर बहुत अच्छा लगा ,बहुत आनन्द आया , बहुत कुछ सीखने को मिला ।
# असफलता सफलता की सीढ़ी है #
लेखक :-श्रीनिवास आर कंडूला
बेहद शानदार किताब है उसके मुख्य बिंदु है जो आपके समक्ष पेश कर रहा हु , कुछ और सामान्य बाते भी रखूंगा साथ मे ।
80% लोग 50% से ज्यादा बार असफल होते है ।
80% लोग उन लोगो से कमतर नही है जो ज्यादा सफल हुए है ।
फिर वो असफल क्यों हुए ,असफल क्यों है । उनके सपने बड़े है , उनकी मेहनत उन सफल लोगो से ज्यादा है जो बहुत ज्यादा सफल हुए है । फिर भी वो 80% लोग असफल क्यों ।
उनके असफल होने के मुख्य कारण वो खुद है , उनकी आदते है ,उनकी आंतरिक भावना है , उनकी सोच है । न कि जमाना । इस किताब में वो कारण लिखे है और ये भी हजारो लोगो पर रिसर्च का परिणाम है ।
आत्म केंद्रित असफलता के मुख्य कारण
1. दिखावा करना
2. अपनी धारणा को सामाजिक सत्य मानना
3. आत्म अज्ञान
4. खुद को शिकार बनाना
5 . आत्म नियंत्रण का अभाव
6 . अत्यधिक आत्म प्रेम
7. आत्म उदासीनता
8. आत्म दमन
9. स्वयं से कम अपेक्षा
10. आत्म सम्मान का अभाव
11. बेचैनी
12. पछतावे की आदत
13. अपने अड़ियलपन पर अड़े रहना
14 . दुसरो पर निर्भरता
15. आत्म स्तुति
16. संतुलन का आभाव
17. लचीलेपन का अभाव
18. डिप्रेशन का विषाद
19. मानसिक अपंगता
20. उत्साह का अभाव
21. नकारात्मक व्यक्तित्व
22. सिर्फ खुद के लिए सोचना
23. सिर्ग अपना काम निकालने की आदत
24. अपना काम निकलने के बाद पलट जाना
25. काम निकालने के लिए बहुत नीचे तक गिर जाना
26. जरूरत से ज्यादा स्वार्थीपन
27. भाषा की मर्यादा
28. संबंधों को आदर नही देना
29. ईश्वरीय शक्ति को मिथ्या मानना
30. लेन देन में पारदर्शिता नही होना
31. दुआओ का अभाव
32. अपने नीचे काम करने वालो को दबाना
33. अपने पर निर्भर लोगो की भावनाओ से खिलवाड़
34. समय प्रबंधन का अभाव
35. तकनीकी ज्ञान की कमी
36. व्यवहारिक ज्ञान की कमी
37. नैतिक मूल्यों की कमी
38. भाषा मे शब्दो का चयन
39. किसी ओर का हक मारने की आदत
40. परिवार से बाते छुपाना
41. काम निकलने के बाद अपना असली रंग दिखाना
42. समय की वैल्यू नही समझना
43. समय बर्बाद करना
44. नशे की लत
45. गलत संगति
46. गलत माहौल
47. नकारात्मक माहौल में रहना
48. अपनी बातों से पलट जाना
49. मेहनत से कतराना
50. शॉर्ट कट मारने की आदत
मित्रो ये बहुत छोटे छोटे कारण ओर बेहद निम्न स्तर की बातें है लेकिन कई सफल उद्योगपति ओर बड़े लोगो की जीवनियों में ये बाते खास तौर पर पाई गई । जिन्होंने इन बातों का पालन किया वो आज शिखर पर है । और जिन लोगो ने इन सबको तवज्जो नही दिया ,शिखर पर पहुच कर भी वहां टिक नही पाए ।
ये बात सेकड़ो सफल लोगो ओर सेकड़ो असफल लोगो के जीवन मे पाई गई ।और सास्वत सत्य है । जो सेकड़ो किताबो का अहम हिस्सा है ।
धन्यवाद लेखक महोदय ।
आभार
जय हिंद जय भारत
रमेश भाई आँजणा
9413885566
दुनिया बदल गई
एक दिन ठहरा मेहमान बुरा लगता हे
शराब की बोतलों से सजा घर अच्छा लगता हे
गंगाजल की दो बून्द का होना ना मुमकिन लगता हे
विदेशी कुत्ते पालना अमीरों का शोक बन गया हे
जिसके मल मूत्र से ओषधियाँ बनती हे
उस गो माता को रोटी का टुकड़ा देना अभिशाप लगता हे
दुआ सलाम , भाई राम राम बोले वो इंसान गंवार लगता हे
हाय, हेलो ,गुड मॉर्निंग सर बोले वो बन्दा समझदार लगता हे
कौन ख्याल रखता हे भाई- बहन ,, साधु- संतो का
आजकल तो बूढ़े माँ बाप का फरमान भी बुरा लगता हे
आर. बी. आँजणा
09413885566
Wednesday, May 20, 2020
The 7 Habits of Highly Effective People in Hindi
The 7 Habits of Highly Effective People, या अतिप्रभावकारी लोगों की 7 आदतें, Stephen R. Covey द्वारा लिखी गयी ये किताब आपने ज़रूर देखी, पढ़ी, या सुनी होगी. आज मैं आपको इसी best seller book का सार Hindi में share कर रहा हूँ. यह पढकर यदि आपको लगता है कि वाकई करोड़ों लोगों की तरह आप भी इससे लाभान्वित हो सकते हैं तो बिना किसी झिझक के इस book को ज़रूर खरीदें.
7 Habits जो बना सकतीं हैं आपको Successful
आपकी ज़िन्दगी बस यूँ ही नहीं घट जाती. चाहे आप जानते हों या नहीं , ये
आपही के द्वारा डिजाईन की जाती है. आखिरकार आप ही अपने विकल्प चुनते हैं.
आप खुशियाँ चुनते हैं . आप दुःख चुनते हैं.आप निश्चितता चुनते हैं. आप अपनी
अनिश्चितता चुनते हैं.आप अपनी सफलता चुनते हैं. आप अपनी असफलता चुनते
हैं.आप साहस चुनते हैं.आप डर चुनते हैं.इतना याद रखिये कि हर एक क्षण, हर एक परिस्थिति आपको एक नया विकल्प देती है.और ऐसे में आपके पास हमेशा ये opportunity होती है कि आप चीजों को अलग तेरीके से करें और अपने लिए और positive result produce करें.
Habit 1 : Be Proactive / प्रोएक्टिव बनिए
Proactive होने का मतलब है कि अपनी life के लिए खुद ज़िम्मेदार बनना. आप हर चीज केलिए अपने parents या grandparents को नही blame कर सकते . Proactive लोग इस बात को समझते हैं कि वो “response-able” हैं . वो अपने आचरण के लिए जेनेटिक्स , परिस्थितियों, या परिवेष को दोष नहीं देते हैं.उन्हें पता होताहै कि वो अपना व्यवहार खुद चुनते हैं. वहीँ दूसरी तरफ जो लोग reactive होते हैं वो ज्यादातर अपने भौतिक वातावरण से प्रभावितहोते हैं. वो अपने behaviour के लिए बाहरी चीजों को दोष देते हैं. अगर मौसम अच्छा है, तोउन्हें अच्छा लगता है.और अगर नहीं है तो यह उनके attitude और performance को प्रभावित करता है, और वो मौसम को दोष देते हैं. सभी बाहरी ताकतें एक उत्तेजना की तरह काम करती हैं , जिन पर हम react करते हैं. इसी उत्तेजना और आप उसपर जो प्रतिक्रिया करते हैं के बीच में आपकी सबसे बड़ी ताकत छिपी होती है- और वो होती है इस बात कि स्वतंत्रता कि आप अपनी
प्रतिक्रिया का चयन स्वयम कर सकते हैं. एक बेहद महत्त्वपूर्ण चीज होती है
कि आप इस बात का चुनाव कर सकते हैं कि आप क्या बोलते हैं.आप जो भाषा प्रयोग
करते हैं वो इस बात को indicate करती है कि आप खुद को कैसे देखते हैं.एक proactive व्यक्ति proactive भाषा का प्रयोग करता है.–मैं कर सकता हूँ, मैं करूँगा, etc. एक reactive व्यक्ति reactive भाषा का प्रयोग करता है- मैं नहीं कर सकता, काश अगर ऐसा होता , etc. Reactive लोग सोचते हैं कि वो जो कहते और करते हैं उसके लिए वो खुद जिम्मेदार नहीं हैं-उनके पास कोई विकल्प नहीं है.
ऐसी परिस्थितियां जिन पर बिलकुल भी नहीं या थोड़ा-बहुत control किया जा सकता है , उसपर react या चिंता करने के बजाये proactive लोग अपना time और energy ऐसी चीजों में लगाते हैं जिनको वो control कर सकें. हमारे सामने जो भी समस्याएं ,चुनतिया या अवसर होते हैं उन्हें हम दो क्षेत्रों में बाँट सकते ह
Habit 2: Begin with the End in Mind अंत को ध्यान में रख कर शुरुआत करें.
तो , आप बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं? शायद यह सवाल थोड़ा अटपटा लगे,लेकिन आप इसके बारे में एक क्षण के लिए सोचिये. क्या आप अभी वो हैं जो आप बनना चाहते थे, जिसका सपना आपने देखा था, क्या
आप वो कर रहे हैं जो आप हमेशा से करना चाहते थे. इमानदारी से सोचिये. कई
बार ऐसा होता है कि लोग खुद को ऐसी जीत हांसिल करते हुए देखते हैं जो दरअसल
खोखली होती हैं–ऐसी सफलता, जिसके बदले में उससे कहीं बड़ी चीजों को गवाना पड़ा. यदि आपकी सीढ़ी सही दीवार पर नहीं लगी है तो आप जो भी कदम उठाते हैं वो आपको गलत जगह पर लेकर जाता है.
Habit 2 आपके imagination या कल्पना पर आधारित है– imagination , यानि आपकी वो क्षमता जो आपको अपने दिमाग में उन चीजों को दिखा सके जो आप अभी अपनी आँखों से नहीं देख सकते. यह इस सिधांत पर आधारित है कि हर एक चीज का निर्माण दो बार होता है. पहला mental creation, और दूसरा physical creation. जिस तरह blue-print तैयार होने केबाद मकान बनता है , उसी प्रकार mental creation होने के बाद ही physical creation होती है.अगर आप खुद visualize नहीं करते हैं कि आप क्या हैं और क्या बनना चाहते हैं तो आप, आपकी life कैसी होगी इस बात का फैसला औरों पर और परिस्थितियों पर छोड़ देते हैं. Habit 2 इस बारे में है कि आप किस तरह से अपनी विशेषता को पहचानते हैं,और फिर अपनी personal, moral और ethical guidelines के अन्दर खुद को खुश रख सकते और पूर्ण कर सकते हैं.अंत को ध्यान में रख कर आरम्भ करने का अर्थ है, हर दिन ,काम या project की शुरआत एक clear vision के साथ करना कि हमारी क्या दिशा और क्या मंजिल होनी चाहिए, और फिर proactively उस काम को पूर्ण करने में लग जाना.
Habit 2 को practice मेंलाने का सबसे अच्छा तरीका है कि अपना खुद का एक Personal Mission Statement बनाना. इसका फोकस इस बात पर होगा कि आप क्या बनना चाहते हैं और क्या करना चाहते हैं.ये success के लिए की गयी आपकी planning है.ये इस बात की पुष्टिकरता है कि आप कौन हैं,आपके goals को focus में रखता है, और आपके ideas को इस दुनिया में लाता है. आपका Mission Statement आपको अपनी ज़िन्दगी का leader बनाता है. आप अपना भाग्य खुद बनाते हैं, और जो सपने आपने देखे हैं उन्हें साकार करते हैं.
Habit 3 : Put First Things First प्राथमिक चीजों को वरीयता दें
एक balanced life जीने के लिए, आपको
इस बात को समझना होगा कि आप इस ज़िन्दगीमें हर एक चीज नहीं कर सकते. खुद
को अपनी क्षमता से अधिक कामो में व्यस्त करने की ज़रुरत नहीं है. जब ज़रूरी
हो तो “ना” कहने में मत हिचकिये, और फिर अपनी important priorities पर focus कीजिये.Habit 1 कहतीहै कि , ” आप in charge हैं .आप creator हैं”. Proactive होना आपकी अपनी choice है. Habit 2 पहले दिमाग में चीजों को visualize करने के बारे में है. अंत को ध्यान में रख कर शुरआत करना vision से सम्बंधित है. Habit 3 दूसरी creation , यानि physical creation के बारे में है. इस habit में Habit 1 और Habit 2 का समागम होता है. और यह हर समय हर क्षण होता है. यह Time Management से related कई प्रश्नों को deal करता
Habit 4: Think Win-Win हमेशा जीत के बारे में सोचें
Think Win-Win अच्छा होने के बारे में नहीं है, ना ही यह कोईshort-cut है. यहcharacter पर आधारित एक कोड है जो आपको बाकी लोगों सेinteract और सहयोग करने के लिए है.
हममे से ज्यादातर लोग अपना मुल्यांकन दूसरों सेcomparison और competition के आधार पर करते हैं. हम अपनी सफलता दूसरों की असफलता में देखते हैं—यानि अगर मैं जीता, तो तुम हारे, तुम जीते तो मैं हारा. इस तरह life एकzero-sum game बन जाती है. मानो एक ही रोटी हो, और अगर दूसरा बड़ा हिस्सा ले लेता है तो मुझे कम मिलेगा, और मेरी कोशिश होगी कि दूसरा अधिक ना पाए. हम सभी येgame खेलते हैं, लेकिन आप ही सोचिये कि इसमें कितना मज़ा है?
Win -Win ज़िन्दगी कोco-operation की तरह देखती है, competition कीतरह नहीं.Win-Win दिल और दिमाग की ऐसी स्थिति है जो हमेंलगातार सभी काहित सोचने के लिए प्रेरित करती है.Win-Win का अर्थ है ऐसे समझौते और समाधान जो सभी के लिए लाभप्रद और संतोषजनक हैं. इसमें सभी खाने को मिलती है, और वो काफी अच्छाtaste करती है.
एक व्यक्ति या संगठन जोWin-Win attitude के साथ समस्याओं को हल करने की कोशिश करता है उसके अन्दर तीन मुख्य बातें होती
बहुत लोग either/or केterms में सोचते हैं: या तो आप अच्छे हैं या आप सख्त हैं. Win-Win में दोनों की आवश्यकता होती है. यह साहस और सूझबूझ के बीचbalance करने जैसा है.Win-Win को
अपनाने के लिए आपको सिर्फ सहानभूतिपूर्ण ही नहीं बल्कि आत्मविश्वाश से
लबरेज़ भी होना होगा.आपको सिर्फ विचारशील और संवेदनशील ही नहीं बल्कि
बहादुर भी होना होगा.ऐसा करनाकि -courage और consideration मेंbalance स्थापित हो, यहीreal maturity है, और Win-Win के लिए बेहद ज़रूरी है.
Habit 5: Seek First to Understand, Then to Be Understood / पहले दूसरों को समझो फिर अपनी बात समझाओ.
Communication लाइफ की सबसे ज़रूरी skill है. आप अपने कई साल पढना-लिखना और बोलना सीखने में लगा देते हैं. लेकिन सुनने का क्या है? आपको ऐसी कौनसी training मिली है, जो आपको दूसरों को सुनना सीखाती है,ताकि आप सामने वाले को सच-मुच अच्छे से समझ सकें? शायद कोई नहीं? क्यों?
अगर
आप ज्यादातर लोगों की तरह हैं तो शायद आप भी पहले खुद आपनी बात समझाना
चाहते होंगे. और ऐसा करने में आप दुसरे व्यक्तिको पूरी तरह ignore कर देते होंगे , ऐसा दिखाते होंगे कि आप सुन रहे हैं,पर दरअसल आप बस शब्दों को सुनते हैं परउनके असली मतलब को पूरी तरह से miss कर जाते हैं.
सोचिये ऐसा क्यों होता है? क्योंकि ज्यादातर लोग इस intention के साथ सुनते हैं कि उन्हें reply करना है, समझना नहीं है.आप अन्दर ही अन्दर खुद को सुनते हैं और तैयारी करते हैं कि आपको आगे क्या कहना है,क्या सवाल पूछने हैं, etc. आप जो कुछ भी सुनते हैं वो आपके life-experiences से छनकर आप तक पहुचता है.
आप
जो सुनते हैं उसे अपनी आत्मकथा से तुलना कर देखते हैं कि ये सही है या
गलत. और इस वजह से आप दुसरे की बात ख़तम होने से पहले ही अपने मन में एक
धारणा बना लेते हैं कि अगला क्या कहना चाहता है. क्या ये वाक्य कुछ सुने-सुने से लगते है?
“अरे, मुझे पता है कि तुम कैसा feel कर रहे हो.मुझे भी ऐसा ही लगा था.” “मेरे साथ भी भी ऐसा ही हुआ था.” ” मैं तुम्हे बताता हूँ कि ऐसे वक़्तमें मैंने क्या किया था.”
चूँकि आप अपने जीवन के अनुभवों के हिसाब से ही दूसरों को सुनते हैं. आप इन चारों में से किसी एक तरीके से ज़वाब देते हैं:
चूँकि आप अपने जीवन के अनुभवों के हिसाब से ही दूसरों को सुनते हैं. आप इन चारों में से किसी एक तरीके से ज़वाब देते हैं:
शायदआप सोच रहे हों कि, अपनेexperience के हिसाब से किसी सेrelate करने में बुराई क्याहै?कुछsituations में ऐसा करना उचित हो सकत है, जैसे कि जब कोई आपसे आपके अनुभवों के आधार पर कुछ बतानेके लिए कहे, जब आप दोनों के बीच एकtrust कीrelationship हो. पर हमेशा ऐसा करना उचित नहीं है.
Habit 6: Synergize / ताल-मेल बैठाना
सरल शब्दों में समझें तो , “दो दिमाग एक
से बेहतर हैं ” Synergize करने का अर्थ है रचनात्मक सहयोग देना. यह
team-work है. यह खुले दिमाग से पुरानी समस्याओं के नए निदान ढूँढना है.
पर ये युहीं बस अपने आप ही नहीं हो जाता.
यह एक process है , और उसी process से, लोग अपनेexperience और expertise को
उपयोग में ला पाते हैं .अकेले की अपेक्षा वो एक साथ कहीं अच्छाresult दे
पाते हैं. Synergy से हम एक साथ ऐसा बहुत कुछ खोज पाते हैं जो हमारे अकेले
खोजने पर शायद ही कभी मिलता. ये वो idea है जिसमे the whole is greater
than the sum of the parts. One plus one equals three, or six, or
sixty–या उससे भी ज्यादा.
जब लोग आपस में इमानदारी से interact करने
लगते हैं, और एक दुसरे से प्रभावित होने के लिए खुले होते हैं , तब उन्हें
नयी जानकारीयाँ मिलना प्रारम्भ हो जाता है. आपस में मतभेद नए तरीकों के
आविष्कार की क्षमता कई गुना बढ़ा देते हैं.
मतभेदों को महत्त्व देना synergy का मूल
है. क्या आप सच-मुच लोगों के बीच जो mental, emotional, और psychological
differences होते हैं, उन्हें महत्त्व देते हैं? या फिर आप ये चाहते हैं कि
सभी लोग आपकी बात मान जायें ताकि आप आसानी से आगे बढ़ सकें? कई लोग
एकरूपता को एकता समझ लेते हैं. आपसी मतभेदों को weakness नहीं strength के
रूप में देखना चाहिए. वो हमारे जीवन में उत्साह भरते हैं.
Habit 7: Sharpen the Saw कुल्हाड़ी को तेज करें
Sharpen the Saw का मतलब है अपने सबसे
बड़ी सम्पत्ति यानि खुद को सुरक्षित रखना. इसका अर्थ है अपने लिए एक
प्रोग्राम डिजाईन करना जो आपके जीवन के चार क्षेत्रों physical,
social/emotional, mental, and spiritual में आपका नवीनीकरण करे. नीचे ऐसी
कुछ activities केexample दिए गए हैं:
Physical / शारीरिक :अच्छा खाना, व्यायाम करना, आराम करना
Social/Emotional /:सामजिक/भावनात्मक :औरों के ससाथ सामाजिक और अर्थपूर्ण सम्बन्ध बनाना.
Mental / मानसिक :पढना-लिखना, सीखना , सीखना.
Spiritual / आध्यात्मिक :प्रकृति के साथ समय बीताना , ध्यान करना, सेवा करना.
Social/Emotional /:सामजिक/भावनात्मक :औरों के ससाथ सामाजिक और अर्थपूर्ण सम्बन्ध बनाना.
Mental / मानसिक :पढना-लिखना, सीखना , सीखना.
Spiritual / आध्यात्मिक :प्रकृति के साथ समय बीताना , ध्यान करना, सेवा करना.
आप जैसे -जैसे हर एक क्षेत्र में खुद को
सुधारेंगे, आप अपने जीवन में प्रगति और बदलाव लायेंगे.Sharpen the Saw आपको
fresh रखता है ताकि आप बाकी की six habits अच्छे से practice कर सकें. ऐसा
करने से आप challenges face करने की अपनी क्षमता को बढ़ा लेते हैं. बिना
ऐसा किये आपका शरीर कमजोर पड़ जाता है , मस्तिष्क बुद्धिरहित हो जाता है,
भावनाए ठंडी पड़ जाती हैं,स्वाभाव असंवेदनशील हो जाता है,और इंसान स्वार्थी
हो जाता है. और यह एक अच्छी तस्वीर नहीं है, क्यों?
आप अच्छा feel करें , ऐसा अपने आप नहीं
होता. एक balanced life जीने काअर्थ है खुद कोrenew करने के लिए ज़रूरी
वक़्त निकालना.ये सब आपके ऊपरहै .आप खुद को आराम करकेrenew कर सकते हैं. या
हर काम अत्यधिक करके खुद को जला सकते हैं . आप खुद को mentallyऔर
spiritually प्यार कर सकते हैं , या फिर अपने well-being से बेखबर यूँ ही
अपनी ज़िन्दगी बिता सकते हैं.आप अपने अन्दर जीवंत उर्जा का अनुभव कर सकते
हैं या फिर टाल-मटोल कर अच्छे स्वास्थ्य और व्यायाम के फायदों को खो सकते
हैं.
आप खुद को पुनर्जीवित कर सकते हैं और एक नए दिन का स्वागत शांति और
सद्भावके साथ कर सकते हैं.या फिर आप उदासी के साथ उठकर दिन को गुजरते देख
सकतेहैं. बस इतना याद रखिये कि हर दिन आपको खुद को renew करने का एक नया
अवसरदेता है, अवसर देता है |————————————————————————————
ईश्वर की माया ही अलग है ।
नमस्कार दोस्तों मैं आज आपके समक्ष एक ऐसी घटना को प्रस्तुत कर रहा हूं जिससे आप सभी भलीभांति वाकिफ हैं कुछ ही दिनों पहले हमारे प्रवासी भाइयों के साथ में एक घटना हुई ,हम मानते हैं प्रवासी भाई मारवाड़ से बाहर बैठा हर बिजनेसमैन हमारे मारवाड़ की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी हैं उनको सम्मान पूर्वक घर लाना ,उनको सम्मान पूर्वक वापस बिजनेस तक पहुंचाना यह सरकार, की प्रशासन की औऱ हम सब की एक सामूहिक जिम्मेदारी बनती है ।कुछ कारण रहे होंगे मारवाड़ी भाई वहां से निकले वहां से रवाना हुए कुछ मजबूरियां रही होगी उनकी भी कि जल्दी जल्दी घर पहुंच जाते हैं क्या पता कल को फिर क्या हो जाए और आदमी जब जल्दी बाजी में होता है जब परेशानी में होता है तो फिर वह अपने हिसाब से निर्णय भी लेता है और अपने हिसाब से वह काम भी करता है खैर इस घटना में सरकार को प्रशासन को घर वालों को दोस्तों को साथ वालों को प्रवासियों को खुद को किसी को भी दोष देना शायद उचित नहीं होगा । इस स्थिति में वह कहते हैं ना कि होनी क्या होनहार जब मां के पेट में बच्चा गर्भ धारण करता है उसी समय उसकी जीवन की सम्पूर्ण रचना विधाता द्वारा रच दी जाती है । मां विधाता को इतना ही पसंद था मैं बहुत दुखी हो गया जब इस घटना के बारे में सुना बेलगाम में भी काफी प्रवासी भाइयों से बात की । बंधुओं से बात हुई तो बोला कि हां घटना सच है फिर भी मुझे लगा कि भगवान राजेश्वर और ईश्वर की कृपा से सारे बंदे बस जाएंगे । लेकिन ईश्वर की माया तो वही जानता है हमारी कोई औकात तक नही की हम कुछ ईश्वर की माया का अंदाजा तक लगा सके। मित्र घटना ऐसी हुई कि एक लड़का भोलाराम चौधरी नाम का ईश्वर को प्यारा हो गया । कुछ वीडियो सामने आए वो उसने वीडियो कब बनाए हैं कब नहीं बनाये है । तथ्यात्मक ओर प्रमाणिक जानकारी तो मैं नहीं कह सकता लेकिन वह वीडियो जो सामने आ रहे हैं ऐसा कहा जा रहा है कि इस बच्चे ने बेंगलुरु से रवाना होने से पहले बना करके अपने अकाउंट पर डाले थे । जो वीडियो बनाये है वो साबित करते है कि उसकी आत्मा को सब कुछ पता चल गया था कि यहां से निकलने के बाद मेरे साथ क्या होने वाला है । मेने सब वीडियो सुने ,बेहद सन्देशपूर्ण , बेहद समझदारी ओर सूझबूझ भरे , संदेशवाहक वीडियो , सुनकर बहुत दुख हुआ ।मैं इस बच्चे को किसी एक्टर से कम नहीं मानता, मैं इस बच्चे को किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं मानता, कितना प्यारा कम उम्र का लड़का लड़का होगा । झकझोर दिया इस घटना ने परिवार पर जो बीती होगी उसका अंदाजा भी हमारे बस की बात नही सकते आज हिम्मत करके इनके बड़े भाई साब गणेशाराम जी से बात हुई । हिम्मत दी , समझाया, ईश्वर की अमाया है , होनी क्या होनहार , होनी थी हो गई कोई टाल नही पाया । उन्हें ढांढस बंधाया । बड़े भाई साहब से काफी लंबी बात करके समझाया मां-बाप को हिम्मत देने की बात कही उन्हें भी अच्छा लगा । उन्होंने बताया काफी उत्साही ओर हौसले वाला कही नही अटकने वाला भाई था मेरा , बहुत ही मार्मिक ओर गहरी बात सुनकर आंखों ने जवाब दे दिया । परिवार से बात करके मेरा भी कुछ दिल हल्का हुआ ।
मैं आपसे हाथ जोड़कर विनती करना चाहता हूं एक कविता के माध्यम से आपको कुछ अनुभूतियां करवाना चाहता हूं कि जब इस दुनिया में परिवार का साथ देने वाला मेंबर हो या भाई हो या छोटा हो या बड़ा हुआ जब दुनिया से चला जाता है तब का साथ भाई को नहीं रहता तब क्या स्थितियां बनती है वह भाई किस तरीके से उनकी याद में तड़प तड़प कर रोता है
मेरे भाई साहब स्वर्गीय भभुतारामजी (2000) ओर भाई स्वर्गीय भोलाराम चौधरी को समर्पित ।
"" मेरा भाई ""
याद ने आज फिर सताया है
फिर वही किस्सा याद आया है
वही जगह ,वही पेड़ ,वही समय
सब तो आज वही हो आया है
बस आज भाई नहीं आया है
वही खेत, वही खलिहान
वहीं पेड़ की छाया है
वही खेत की फसलें हैं
बस कंधे पर भाई का हाथ नहीं
सब तो आज वही हो आया है ।
बस आज भाई नहीं आया है ।।
आज गांव की पाठशाला कक्ष गया
उसी पेड़ की छाया तले पहुंच गया
वही जगह, वही कोना, वही कक्ष
वही समय, वही घड़ी, वही माहौल
सब तो आज वही हो आया है ।
बस आज भाई नहीं आया है ।।
घर के आंगन में टूटी खटाई पर
दोनों एक साथ वही मस्ती
वही नोकझोंक ,वही लड़ाई
वही रूठना और वही मनाना
आज फिर से सब कुछ वही हो आया है ।
हमेशा की तरह मनाने वाला
बस आज भाई नहीं आया है ।।
वही घर ,वही आंगन वही ,परिवार
वही पारिवारिक नोकझोंक
वही बढ़ती जिम्मेदारियां
वही बिन बदलने वाला रवैया
सब कुछ तो आज वही हो आया है
बस जिम्मेदारीयां लेकर
मेरा हौसला बढ़ाने वाला
आज भाई नहीं आया है ।।
बिन रुके समय बीत गया
देखते-देखते परिवार बढ़ गया
सब कुछ भूल भुलाकर हसरतें जवान हो गई
दुख दर्द भुलाकर संताने नौजवान हो गई
सब भूल गए वह किस्से
जमाने के लिए मात्र कहानियां हो गई
आज भी याद नहीं जाती मुझसे
हर पल ,हर जगह ,हर साल
बस मुझ में आप ही आप हो
जीवन की नैया में सबकुछ हो आया
पर आज तक मेरा भाई
कभी सपने में भी नहीं आया है ।
सब कुछ तो वही होने आया है ।
बस आज फिर भाई नहीं आया है ।।
आपका अपना छोटा भाई
लेखक -- रमेश भाई आँजणा
मित्रो मैं आप सभी इस स्तिथि में हाथजोडकर विनती करना चाहता हु की जो होना है वो होगा ही होगा लेकिन आप सभी जहां हो वही रहो , शासन प्रशासन , सरकार , समाजसेवी सभी लोग अपनी पूरी कोशिश में है कि सबकी मदद की जाए । लेकिन अपना निर्णय अपने हाथ है ।
सुरक्षित रहे ।
वाहन सम्भलकर चलाये ।
अपना ओर परिवार का पूरा पूरा ख्याल रखे । जहां हो वही अपना घर है , सुरक्षित रहिए , बुरा समय आता जरूर है लेकिन आखिर कट ही जायेगा , धैर्य के साथ थोड़े दिन खुद की रक्षा करे ।
बस जीवन है तो सब पा लेंगे ।
स्वर्गीय भाई भोलाराम की आत्मा को ईश्वर शांति प्रदान करे और इस परिवार को यह सदमा सहन करने की शक्ति दे ।
आपका अपना
रमेश भाई आँजणा
9413885566
Saturday, May 2, 2020
"भारत के गावो का जीवन
"भारत के गावो का जीवन "
भारतवर्ष प्रधानतः गांवों का देश है। यहाँ की दो-तिहाई से अधिक जनसँख्या गांवों में रहती है।इसका एक मुख्य कारण कि उनका मुख्य निर्भरता वाला व्यवसाय खेती हे और इस पर वो निर्भर है। भारत में लगभग छह लाख गाव हे ! जहा देश की दो तिहाई जनसंख्या निवास करती हो उस जगह का विकाश नहीं हो तो देश के विकाश की कल्पना तक करना एक विचार मात्र होगा इसलिए गांवों के विकास के बिना देश का विकास किया जा सकता है, ऐसा सोचा भी नहीं जा सकता।क्योकि गाव भारत का आइना हे यहाँ भारत की वास्तविक छवि उभरती हे ! में तो यही कहूँगा की गाव ही भारत हे , यहाँ के गाव ही ये देश हे ! लेकिन कहने के लिए बहुत कुछ पर हकीकत में कुछ थोड़ा सा काम अभी बाकि हे !गावो की जनता अभी भी झोपड़ी में निवास करती हे घास फुस की बनी वो छप्पर, कीचड़ मिटटी के बने वो कच्चे आँगन ! अब भी वो कच्ची टूटी हुई सड़के जो हमें गावो का रास्ता दिखाती हे !हरियाली से घिरे वो गाव ,सब्जी ,फलों एवं पेड़ पोधो की छटाएं अपनी हरियाली के नखरे बिखेरती और अपनी खुशबु से आने जाने वालो को सराबोर करती वो रौनक , और इन छायादार पेड़ो की रौनक के बीच इनके निचे बैठकर गावो के लोगो की वो जुगल बंदी वो विश्राम वो प्यार वो चौपाल वो हुका परस्ती और अपने सुख दुःख की वार्तालाप , बस ये सब और कही नहीं बल्कि भारत के गावो में आज भी मौजूद हे ! गाव के बाहर का वो कुआ जहाँ गाव की सारी पनहारिया अपना घड़ा कमर में पकड़ के एक साथ बाते करती हुई पानी भरने जाती हे प्रात काल और साँझ की बेला की वो रौनक केवल गाव के कुओ पर ही पाई जा सकती हे और कही नहीं ! भारत की संस्कृस्ति की शान घूँघट निकाले वो पनहारिया तीन तीन मटके अपने हाथो में पकडे ,अपने ही अंदाज में अपने समूहों में बाते करती और साथ ही साथ उनकी पायलों की वो झंकार उस जगह का माहोल ही अलग बना देती हे !यहाँ के गावो का ये माहोल और कही नहीं पाया जा सकता !ताजी प्रदुषण रहित हवा का आनंद,खुले मैदान ,हरे भरे खेत , भरे पुरे खलिहान यहाँ का रमणीय दृश्य प्रस्तुत करते हे ! यहाँ का सात्विक एवं पोस्टिक भोजन उम्र दराज लोगो की सेहत तक का परिचय करवाता हे !गावो का विद्यालय जिसमे कमरो का अभाव और साथ ही साथ अध्यापको का भी अभाव होता हे और गावो की निचे पेड़ की छाया में कट्टे , बोरी बिछा कर बैठने की प्रथा का आनंद डेल्ही पब्लिक स्कूल में भी नहीं मिल सकता ! बेशक शाम तक कपडे गंदे हो जाते हे ! सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय एवं प्रकृति की गोद में निवास करते गावो के लोग अपने जीवन का एक अलग ही आनंद लेते हे ,किसानो को सुबह और शाम अपने पशुओ को खेतो में चराने ले जाते और ले आते पशुओ के गले में बंधी उस घंटी की मधुर आवाज एक संगीतमय शाम का अहसास करवाती हे ! इन सब अद्भुत आकर्षण दृश्यों का अनुभव सिर्फ और सिर्फ भारत के गावो में ही लिया जा सकता हे और कही नहि !
यह एक सास्वत सत्य हे कि हर एक बुरा पहलु एक अच्छाइ लिए होता हे तो अच्छा पहलु कोई कमजोरी भी लिये होता हे!हर अँधेरे के पीछे एक उजाले की किरण होती हे तो उस उजाले के पीछे एक अँधेरे की की घनी छाव भी जरूर नजर आती हे ! गावो की इन सब बातो के बावजूद कुछ सुने अनसुने ऐसे भी पहलु हे की यदि यही देश की आत्मा हे यही देश की शान हे यही देश का मान हे तो फिर यहाँ इन कई सारी समस्याओं का बोलबाला क्यों !पुलिस स्टेशन का अभाव, पोस्ट ऑफिस का अभाव ,स्वस्थ्य सेवाओ का अभाव काफी सारी असुविधाये जो हमें एक कठिन जीवन का अहसास जरूर कराती हे ! साथ ही साथ अशिक्षा के कारन लोगो के उस एक डर के कारन कुछ असामाजिक तत्वों का खुले आम घूमना ! कई सारी अच्छाइयों के साथ साथ कई सारी समस्याएं भी हर जगह रहती हे ! जो हर सिक्के का एक पहलु होता हे इस बात से गाव भी अछूते नहीं रह सकते !
भारत का इतिहास भी एक गौरवशाली और काफी गहन हे कई पड़ावों वाला इतिहास हम कह सकते हे एक लम्बे अरसे तक अंग्रेजी हुकूमतों के साथ साथ कई और हुकूमतों ने भी इस देश पर शासन किया ! इस काल में उन्होंने जैसे चाहा वैसे किया ! वो उनका समय था , होना लाजमी था ! स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के गावो ने बहुत हद तक उन्नति की हे! यह स्तिथि अंग्रेजो के जाने के बाद के समय के गावो को आज के गावो से तुलना करके देखा जा सकता हे ! स्वतंत्र भारत की सरकार ने गावो की उन्नति के लिए काफी प्रयत्न किये ! लेकिन फिर भी आज से कुछ समय पहले तक की स्तिथि को देखा जाये तो कई सारी समस्याएं सर उठाये खड़ी थी अपना एक पूर्ण दबदबा बनाये खड़ी थी ! उनका कारण उसी सिक्के का दुसरा ही पहलु था ना की दूसरे सिक्के का कोई पहलु !
अंग्रेजी हुकूमत के जाने के बाद स्वाधीन भारत ने अपने सिरे से देश का विकास सुरु किया और खेती के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। 1952 में जब पहली पंचवर्षीय योजना का आरम्भ हुआ तो उसमें खेती के विकास पर सबसे अधिक ध्यान दिया गया।
खेती के विकास के साथ-साथ ग्राम-विकास कि गति भी बढ़ी। आज भारत के अधिकाँश गांवों में पक्के मकान पाये जाते हैं। लगभग सभी किसानों के पास अपने हल और बैल हैं। बहुतों के पास ट्रेक्टर आदि भी पाये जाते हैं।कुछ किसानो ने अपनी व्यवसाय से बढ़ती आय के कारन थोड़ा और आगे बढ़कर कुछ नए खेती के उपकरणों का उपयोग भी सुरु किया हे जिससे किसानों कि आय भी बढ़ी है। पहले की तुलना में आज के भारत के गावो में ग्राम-सुधार की दृष्टि से शिक्षा पर भी पर्याप्त ध्यान दिया जा रहा है। आज अधिकाँश गांवों में प्राथमिक पाठशालाएँ हैं। जहाँ नहीं हैं, वहाँ भी पाठशाला खोलने के प्रयत्न चल रहे हैं। काफी सारी सरकारी योजनाओ के बावजूद भी किसान की स्तिथि में ज्यादा सुधार नहीं आया हे ,, हां ये जरूर हे की सरकार की कुछ योजनाये काफी हद तक अच्छा कुछ करने में सफल हुई हे ! लेकिन किसानों की दयनीय स्थिति का एक प्रमुख कारण ऋण है। जैसा मेने पहले उजागर किया की किसानो की स्तिथि को दयनीय बनाने में अपने ही लोगो की अपने ही सिक्के के एक पहलु की ही भूमिका हे वो हे सेठ-साहूकार जो थोडा सा क़र्ज़ किसान को देकर उसे अपनी फसल बहुत कम दाम में बेचने को मजबूर कर देते हैं। हां सरकार ने इस तरफ अपना ध्यान आकर्षिक करके अपना काम सुरु किया हे जो काफी सफल भी हो रहा हे इसलिए गांवों में बैंक खोले जा रहे हैं जो मामूली ब्याज पर किसानों को ऋण देते हैं। और भी इससे थोड़ा सा आगे बढ़कर सरकार ने किसानो को और गावो को आधुनिकता से जोड़कर कई नई योजनाओ की सुरुआत भी की हे जो एक हद तक सार्थक हो रही हे ,, पर पूर्ण रूप से नहीं !
जिसमे की ग्रामीण व्यक्तियों को विभिन्न व्यवसायों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। हथकरघा और हस्त-शिल्प की ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। विचार यह है कि छोटे उद्योगों व कुटीर उद्योगों की स्थापना से किसानों को लाभ हो।
पहले गांवों में यातायात के साधन बहुत कम थे। गांव से पक्की सड़क 15-20 किलोमीटर दूर तक हुआ करती थी। कहीं-कहीं रेल पकड़ने के लिए ग्रामीणों को 50-60 किलोमीटर तक पैदल जाना पड़ता था। अब धीरे-धीरे यातायात के साधनो का विकास किया जा रहा है।
फिर भी ग्राम-सुधार की दिशा में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। अभी भी अधिकाँश किसान निरक्षर हैं। गांवों में उद्योग धंधों का विकास अधिक नहीं हो सका है। ग्राम-पंचायतों और न्याय-पंचायतों को धीरे-धीरे अधिक अधिकार प्रदान किये जा रहे हैं। इसलिए यह सोंचना भूल होगी कि जो कुछ किया जा चुका है, वह बहुत है। वास्तव में इस दिशा में जितना कुछ किया जाये, कम है।
हमें यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि गांवों के विकास पर ही देश का विकास निर्भर है। यहाँ तक कि बड़े उद्योगों का माल भी तभी बिकेगा जब किसान के पास पैसा होगा। थोड़ी सी सफाई या कुछ सुविधाएँ प्रदान कर देने मात्र से गांवों का उद्धार नहीं हो सकेगा। गांवों की समस्याओं पर पूरा-पूरा ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
मै तहे दिल से अपना आभार प्रकट करता हु मेरे अजीज मित्र और पत्रकार श्री रुद राम चौधरी का की उनके के इस नेक कार्य एवं आग्रह पर मुझे ये लेख लिखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ! क्युकी सरकार बहुत सी योजनाये और कई सारी नीतिया पास करती हे पर भारत के उस अंतिम छोर तक वो नहीं पहुंच पति क्योकि शिक्षा की कमी के कारण ,,इसलिए ग्रामीण राजस्थान के लिए शुरू ये पहल इस दिशा में भी एक अहम् और मिल का पथ्थर साबित होगी ,! गावो के किसान भाइयो को , उम्र दराज माता पिताओ को ,, और अशिक्षित माता बहनो को अपने अभिकरो का और अपने लिए निकाली गई सरकारी योजनाओ का पता चलेगा और वो इसका फायदा उठा पाएंगे !
अंतत में इतना ही कह पाउँगा की आज तक भारत के गावो का जो विकाश हुआ हे वो केवल ऊट के मुह में जीरा ही कहा जा सकता यह! अभी बहुत कुछ करना होगा और देश के कर्णधारो को ये समझना होगा की भारत को विकसित देश बनाना हे तो सुरुआत गावो से ही करनी होगी ! क्योकि देश को खाना देने वाले दान दाता अन्न दाता गावो में ही बसते हे ! यहाँ देश की आत्मा निवास करती हे , यही देश का ह्रदय हे !
जय हिन्द जय भारत ! जय जवान जय किसान !
लेखक :- रमेश भाई आँजणा
Subscribe to:
Posts (Atom)
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का सटीक रामबाण
जो सोचा नही था , वो समय आज गया । ऐसा समय आया कि लोगो को सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि उस समय क्या किया जाए । आज की लोगो की जीवनशैली की वजह से...
-
“Jai Hind” ”Jai Bharat” If the path is beautiful ,first confirm Where it leads to……………….. But ,if the destination is beaut...
-
The Education SHARE The Lack of quality access education is preventing millions of people from escaping the cycle of ex...
-
mai, meri jindagi aur mera desh Yes its fact that the caliber has to be there,caliber of a human can take him or her to the great height,ca...