Thursday, December 22, 2011

पत्थरो का शहर

चलते रहो दोस्तों
सफ़र अभी सुरु हुआ हे
काफिला बन जाओ
अगर कोई रोके तुम्हारा रास्ता
मसअला बन कर खड़े हो जाओ
अगर कोई तुम्हे गिरा दे
हादसों से मत घबराओ
नहीं तो,,,,
वो तुम्हे अपना बना लेंगे
ठोकरे तो जिंदगी का हिस्सा हे
जो इंसान को चलना सिखाती हे
पत्थरो के शहर में रहते हो
कब तक आईने संभालोगे
हजारो गलिया आती हे
बीच राह.............
सच कहता हु ....
सच से टकराना सिख लो...
ये दुनिया बड़ी अजब हे...
याद रखना,,,,,,,
कभी मुंसिफ .बने...
सच नहीं कह पाओगे..
बहुत बांटते हो अपनापन
मगर.........
तन्हाई में अकेले पड़ जाओगे...
मोको की तलाश  करो ...
हर कदम पे नई सिख लो,,,,,
सितारों से भी आगे बढ़ो...
क्योकि ....
उनसे भी आगे
जहाँ और भी हे
जमीं और आसमां और भी हे
अपनी मंजिल खुद तलाशो
काफिले की भीड़ का सहारा मत लो
नहीं तो....
इस भीड़ में खो जाओगे
इस भीड़ में खो जाओगे

1 comment:

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thanks.

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