Tuesday, December 31, 2013

नया साल 2014 मुबारक हो

सुधर जाए ये जींदगी के सारे उबड़ खाबड़ रास्ते
हो पायलो की  झनकार रास्ते   रास्ते
इतनी खुशियाँ मीले आप सभी मेरे मित्रो को
कि    आपका ये साल भी निकल जाये हस्ते हस्ते
आप सभी मित्रो को नए साल कि   ढेरो सुभकामनाये …
एवं ,,,,,,
नया साल 2014 मुबारक हो ,,,,,,,,,,,,,..........
                          आपका अपना
                           रमेश भाई आंजना
                            09413885566 

Friday, December 6, 2013

कभी कभी मुझे लगता हे मेने काफी वक्त बीता दीया ,काफी देर हो गई . एक लंबे  अरसे तक इस भ्रम में रहा की मैं औरों से बेहतर इन्सान हु या नहीं ,में लीख सकता हु की नहीं ,में अपनों की सेवा कर सकता हु की नहीं ,में अपनों के लीये आगे आ सकता हु की नहीं ! मैं ये भी मान कर चलता रहा की मै कमजोर तो नहीं हु ,,नहीं में कमजोर नहीं हु !, बेशक कुछेक कमज़ोरियां मुझ में रही हों। !मैं यह भी सोच रखता हु की में लिख सकता हु ,मै सेवा कर सकता हु , में अपनों के लिए आगे आ सकता हु ,में अपनी लेखनी के हुकुम से जरुर कुछ कर सकता हु !   हा ,मेने अपनी सोच बदली ,अपना नजरिया बदला ,अपने आप को प्रेरित किया कि  नहीं रमेश ,,समय चला जायेगा ,कलम उठाओ  और शुरू करो ,मेरी आत्मा ने गवाही दी ,मेरा साथ दिया और मेने वही किया जो दिल ने कहा और वही  कर रहा हु ! अब तो लिखना  मुझे अच्छा लगता हे !भगवान् ने इंसान बनाया हे ,,मै कवी बनने कि  कोशिश करता हु !इंसान होना भाग्य हे पर कवी होना सौभाग्य हे ! मेरे सभी मित्रो का सहयोग एवं प्यार मुझे एहसास  जरुर करवाता की मैं  दूसरों की निगाह में भी मैं उतना ही श्रेष्ठ, बेहतरीन और अनुकरणीय हूं।
                                                                                                आपका अपना
                                                                                                 रमेश भाई आंजना
                                                                                                  09413885566

Wednesday, December 4, 2013

"बेपनाह दर्द"

जिन दुखो को छुपाने की  कोशीस   हम  करते हे !
बन हंसी वही हमारे होंठो पर आ जाते हे !
वो हंसी ,,,,,ख़ुशी नहीं होती ,,,,,,,,,
लकीर एक बेपनाह दर्द  की होती हे  ……!!
मगर,,,,,,,,,,,,,,,,
नहीं समझ पाती  ये कायनात ,,,,,,,,,,,
बस दुनीया  यही समझ लेती  हे
 की  ,,,,हम  तो सदा मुस्कराते हे ,,,
ना जाने कीतने गम  ,,, दिल से दूर हो गए …
मगर ,,,,,,,,,,,
ये दर्द दिल से जुदा नहीं हो पाया
फिर भी,,,,,,,,,,,,,,,,
ये कर्ज दिल से अदा नहीं हो पाया …।
ये कर्ज दिल से अदा नहीं हो पाया …।
                                आर . बी . आंजना
                                    09413885566

Monday, December 2, 2013

देश में बहुत सारी  धाराये  हे,,,
कुछ सारे  देश  के लीये  हे
तो कुछ धाराये  सीर्फ़  कुछ परिवारो के लीये ।
यही तो इस देश का दुर्भाग्य हे !
क्या जम्मू कश्मीर सच में अब्दुल्ला परिवार की रीयासत  बन गया हे ,,,क्या यह राज्य इस परीवार   की family  property  बन गया हे  … जनता जवाब लेगी और देगी भी ,,
बस जरा थोडा और सब्र करे ????

Sunday, December 1, 2013


बेटा  पेट में हे
और
गेहू खेत में हे
पर  कुछ कोंग्रेसी शादी कि तैयारी  करने चल पड़े हे,,,,,,
तेजपाल को लगी भगवान् की लाठी !
आवाज बहुत दूर तलब चली गई !
अखीर  ईश्वर के आगे अन्याय कब तक!

Saturday, November 30, 2013

कह दो इन बहती हवाओ से की ,,,,
मोहब्बत का दीया तो ,,,
                  जलता रहेगा
                                   अमृता  प्रीतम 

""शेर दहाड़ा डेल्ही में ""

शनीवार  को डेल्ही में मोदीजी  की धुआ धार  हुई तीन रेलियाँ शाहदरा ,, सुल्तानपुर एवं चांदनी चोक  !खूब  गरजा शेर ,कोंग्रेस  कुशाशन  की धज्जीया   उड़ा दी ! अपने अंदाज में बताया की कोंग्रेसियो को भ्रस्टाचार का भ  और   का  तक बोलने सेसे  दर  लगता लगता हे !आखिर नमो का कहना भी वाजीब हे ,,, मेने पांच साल डेल्ही में बिताये हे  कोण सुरक्षित हे डेल्ही में जनता नहीं ,,,सिर्फ कोंग्रेस्सी नेता क्यों ना हो ,,,डेल्ही कि अधि पुलिस  तो इनकी और इनके बंगलो कि रखवाली में व्यस्त हे,,,!महंगाई कि मार,,,बिजली के बिल महंगे  !आम आदमी क्या खाये क्या बचाये !सिर्फ वोट कि राजनीती में व्यस्त हे कोंग्रेस पिछले साठ सालो से ,,,

कुछ भी हो अब तो बदलाव बनता ही हे ,,,,
 नमो   नमो !!

Friday, November 29, 2013

मेरे बीते हुए हालात का तमाशा मत बना ,,,,
आने वाले मेरे हालात बेहतर कर दे  ,,,,,,,,,

मोदी जी ने पोकरण में परमाणु विस्फोट कि तरह गरजते हुए  कोंग्रेस के बीस्तर  समेटने के कड़े संकेत दीये ,,,,,

Wednesday, November 27, 2013

जहाँ देखो वही इंसान  नज़र आता हे …  ,,,
हज़ारो की भीड़ में भी वह क्यों अकेला नज़र आता हे ,,,,,,
तेजपाल को लगी भगवान् की लाठी की गूंज अब बहुत दूर तलब जाएगी ……।

Sunday, November 17, 2013

""मेरा उसूल ""



वादो की खीर बांटना मुझे नहीं आता ,,,,,,,,,,
            हसरतो एवं बुलन्दीओ की उंचाईया ,,,,,,
                       तो पा ली होती कब की मेने ,,,,,
मगर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अपने उसूलो से हटना मुझे नहीं आता ,,,,,,,,,,
                  हर तरह के वादो एवं समझोतो से ,,,,,,,,,,
                                   समझोता करना मुझे नहीं आता,,,,,
                                      आपका आपना
                                  ""आर . बी . आँजना ""
                              09413885566
                                  

Wednesday, November 6, 2013

सबके सुझाव

मेरे मीत्र मेरे साथ अपने वीचार शेयर करना चाहे तो आपका तहे दिल से स्वागत हे ,,,
आप मेरे साथ twitter पर भी जुड़ सकते हे        ,,,,     मेरे साथ twitter  पर जुड़ने   इस लींक पर clik करे  https://twitter.com/101RBAnjana



और मेरे blog के जरिये भी मेरे साथ जुड़ सकते हे ,,,www. rameshbhaianjana.blogspot.com
दोस्तों  आप सभी से में तहे दिल से गुजारिश करता हु की हर मुद्दे पर अपने वीचार  शेयर करे ,,,,,,,,,,
सुझाव दे ,,,,,,समाज के लीये  , शीक्षा के लीये , देश के लीये ,,,,युवा वर्ग के लीये ,,,
कई मेरे दोस्तों के आर्टिकल्स ,,e -mails ,messages  आये हे ,,,काफी लोगो ने बहुत अच्छे वीचार  प्रकट करने कि  कोशिश  कि हे ////////में उनका आभारी हु ।//////
आपके वीचारो से रु - ब -रु  होकर  हम   सभी को एक नई  दीशा  मील सकती हे ,,,नया  रास्ता नया पैगाम मिल सकता हे ,,,,,,,,,,,,,,
आप सभी का बहुत बहुत शुक्रीया ,,,
आपका अपना
               आर . बी . आँजना

Tuesday, November 5, 2013

मंगल  पर जीवन की सम्भावनाये  ढूंढने नीकले  इस मंगल यान  की महान उपलब्धी पर सारे  देश एवं
"" इसरो""   को ढेरो बधाईया ,,,,

Monday, November 4, 2013


कांग्रेस का सेकुलरिज्म




अभी कोई आदमी गरीबी,,भ्रस्टाचार ,वीकास ,जॉब, देश  कोई किसी तरह  की बात नहीं करेगा ,,
 देश पे सेकुलरिज्म का कोहरा छाया हुआ हे ,,
और  कोंग्रेसी सेकुलरिज्म के बुखार से पीडीत  हे ,,,

Sunday, November 3, 2013

""मेरा उसूल ""


वादो की खीर बांटना मुझे नहीं आता ,,,,,,,,,,
           हसरतो एवं बुलन्दीओ की  उंचाईया ,,,,,,
                               तो पा ली होती कब की मेने ,,,,,
मगर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अपने उसूलो से हटना मुझे नहीं आता ,,,,,,,,,,
                    हर तरह के वादो एवं समझोतो से ,,,,,,,,,,
                                  समझोता करना मुझे नहीं आता,,,,,
                                                         आपका आपना
                                                     ""आर . बी . आँजना ""

Saturday, November 2, 2013

शुभ संदेश



शुभ दीपावली के शुभ अवसर पर
मेरे  सारे मीत्रो के नाम  हे ये मेरा शुभकामना संदेश   ,,,


चमकता रहे ये सूरज तुम्हारे सर पर
                           मेरे दोस्तों
पीछड़ जाए ये तूफानी हवाए
                      तुम्हारी रफ़्तार के आगे
ओछे पड़  जाए ये समुद्रो के तूफ़ान
                          तुम्हारी बाहो  के मुकाबले
नीची पड़  जाये ये पहाड़ो की  चोटिया
                       तुम्हारी नीगाहो  के नीचे
नीकालो  खुद को अपने अंदर से
और ,,,,,
फेला दो अपनी महक अपनी खुशबु
सारी दुनीया में ,,,,
हँसी ,,,,,धुप ,,,,और हवा की तरह ,,,,,,

                           "आर.बी. आँजना "

 आप सभी दोस्तों को और आपके परीवार  को मेरी और मेरे परीवार की और से दीपावली की  ढेरो बधाईया




Wednesday, October 30, 2013

बदल जाये वो  उससे पहले की ,,
                           समय उनका हीसार का दे …
संभल जाये वो उससे पहले की ,,
                            वक्त उनका हीसार  कर दे ……।
                               आर .बी . आँजना 

Sunday, October 27, 2013

बजाता  रहूँगा धुनें सच्चाई की …
                                          इस बस्ती में ,,,,,
चाहे कोई सुने या ना सुने  मेरी सच्चाई को,,,,
                                         इस बस्ती में ,,,,
                                  आर .बी . आंजना

Thursday, October 17, 2013

स्वामी विवेकानंद :विश्‍वधर्म-महासभा, शिकागो, 27 सितंबर 1893





विश्‍वधर्म महासभा एक मूर्तिमान तथ्य सिद्‌ध हो गई हैं और दयामय प्रभु ने उन लोगों की सहायता की हैं, तथा उनके परम निःस्वार्थ श्रम को सफलता से विभूषित किया हैं, जिन्होंने इसका आयोजन किया।

उन महानुभावों को मेरा धन्यवाद हैं, जिनके विशाल हृदय तथा सत्य के प्रति अनुराग ने पहले इस अद‌‍भुत स्वप्न को देखा और फिर उसे कार्यरूप में परिणत किया। उन उदार भावों को मेरा धन्यवाद, जिनसे यह सभामंच आप्लावित होता रहा हैं। इस प्रबुद्‌ध श्रोतृमंडली को मेरा धन्यवाद, जिसने मुझ पर अविकल कृपा रखी हैं और जिसने मत-मतांतरों के मनोमालिन्य को हल्का करने का प्रयत्‍न करने वाले हर विचार का सत्कार किया। इस समसुरता में कुछ बेसुरे स्वर भी बीच बीच में सुने गये हैं। उन्हें मेरा विशेष धन्यवाद, क्योंकि उन्होंने अपने स्वरवैचिञ्य से इस समरसता को और भी मधुर बना दिया हैं।


धार्मिक एकता की सर्वसामान्य भित्ति के विषय में बहुत कुछ कहा जा चुका हैं। इस समय मैं इस संबंध में अपना मत आपके समक्ष नहीं रखूँगा। किन्तु यदि यहाँ कोई यह आशा कर रहा हैं कि यह एकता किसी एक धर्म की विजय और बाकी धर्मों के विनाश से सिद्ध होगी, तो उनसे मेरा कहना हैं कि ‘भाई, तुम्हारी यह आशा असम्भव हैं।’ क्या मैं यह चाहता हूँ कि ईसाई लोग हिन्दू हो जाएँ? कदापि नहीं, ईश्‍वर भी ऐसा न करे! क्या मेरी यह इच्छा हैं कि हिदू या बौद्ध लोग ईसाई हो जाएँ? ईश्‍वर इस इच्छा से बचाए।

बीज भूमि में बो दिया गया और मिट्टी, वायु तथा जल उसके चारों ओर रख दिये गये। तो क्या वह बीज मिट्टी हो जाता हैं, अथवा वायु या जल बन जाता हैं? नहीं, वह तो वृक्ष ही होता हैं, वह अपनी वृद्‌धि के नियम से ही बढ़ता हैं — वायु , जल और मिट्टी को पचाकर, उनको उद्‌भित पदार्थ में परिवर्तित करके एक वृक्ष हो जाता हैं।

ऐसा ही धर्म के संबंध में भी हैं। ईसाई को हिंदू या बौद्ध नहीं हो जाना चाहिए, और न ही हिंदू अथवा बौद्ध को ईसाई ही। पर हाँ, प्रत्येक को चाहिए कि वह दूसरों के सारभाग को आत्मसात् करके पुष्टिलाभ करें और अपने वैशिष्ट्य की रक्षा करते हुए अपनी निजी बुद्‌धि के नियम के अनुसार वृद्‌धि को प्राप्‍त हो।

इस धर्म -महासभा ने जगत् के समक्ष यदि कुछ प्रदर्शित किया हैं, तो वह यह हैं: उसने सिद्‌ध कर दिया हैं कि शुद्‍धता, पवित्रता और दयाशीलता किसी संप्रदायविशेष की ऐकांतिक संपत्ति नहीं हैं, एवं प्रत्येक धर्म मे श्रेष्‍ठ एवं अतिशय उन्नतचरित स्‍त्री-पुरूषों को जन्म दिया हैं। अब इन प्रत्यक्ष प्रमाणों के बावजूद भी कोई ऐसा स्वप्न देखें कि अन्याम्य सागे धर्म नष्‍ट हो जाएँगे और केवल उसका धर्म ही जीवित रहेगा, तो उस पर मैं अपने हृदय के अंतराल से दया करता हूँ और उसे स्पष्‍ट बतलाए देता हूँ कि शीघ्र ही सारे प्रतिरोधों के बावजूद प्रत्येक धर्म की पताका पर यह लिखा रहेगा — ‘सहायता करो, लडो मत’ ; ‘परभाव-ग्रहण, न कि परभाव-विनाश’ ; ‘समन्वय और शांति , न कि मतभेद और कलह!’

Saturday, October 12, 2013

ईश्वर से मेरी प्रार्थना   हे की आज इस मुश्कील वक्त मैं  उन सभी लोगो को और उनकी सहायता  के  ळीये  तैनात हुए सभी लोगो को एक एसी  ताकार   दे की वो इस फेलीन तुफान कि आपदा को सहन  कर सके और अपने आप  को इस मुश्कील वक्त से निकाल सके "
 वहा  ईश्वर इसका प्रभाव काम करे और सबकी सहायत करे,,,,,,,

Tuesday, October 8, 2013


""कडवी बात""




छा गया हे देश पे ,,,,,,
अंधेरी रातो का  मंजर  ….
अगर
यही हाल और यही शासन ,,,,,,
रहा  इस देश मैं ,,,,
तो ,,,,,,,,
शायद
कुछ बरसो मैं
देश के अस्थी पंजर दीखने  ळगे ,,,,,,,,,,



मित्रों खुशखबरी अब आप सीधें भाजपा की प्रदेशाध्यक्षा वसुंधरा राजे से जुड़ सकते है। बस आप निचे दिए गए लिंक को खोले और आपकी आईड़ी बनाए उसके निचे लिखा होगा आपकों किसने रैफ्रेंस दिया है उसकी रैफें्रस आईडी लिखें तो आप उसमें आप लिखें VRFANS_3801और आप अपनी आईड़ी बना दें। उसके बाद आप सीधे वसुंधरा राजे से जुड़ जाएंगे तथा आप भाजपा के सदस्य भी बन जाएंगे और आपको भाजपा की और से एक टी सर्ट,एक पेन,एक,डायरी,केप व स्टीकर फ्री में आपके द्वारा दिए गए पते पर आ जाएगा। तो देर किस बात की अभी बनाए अपनी आईड़ी।

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इन्तजार -ए -प्यार


रो रो  कर जीना,,,,,,,,,,,
 जब आदत  बन  जाती हे 
ख्वाबो की दुनीया ,,,,,,,
बेरंग नजर आती हे 
झर्ने शोर मचाते हे ,,,,,
मगर ,,,,,,,,,
नदीया शान्त बहती हे,,,,,,,
सुनो ओ मेह्बुबा ,,,,,,
प्यार मे  खुद को महफुज मान्ना 
इसे खुदा का दीया,,,,,,,,,,,,,
एक ताबीज  मान्ना 
ए बेवफा सनम ,,,,,,
उसुल- ए -जीन्दगी से … 
खफा मत होना ,,,,,
क्योकी,,,,, 
कोइ इन्तजार कर्ता हे 
कीसी का  जीन्दगी भर ,,,,,,
तो,,,,,,,,
कीसी की जीन्दगी ,,,,,
सीर्फ   इन्तजार मे गुजर जाती हे ,,,,,  
                              
                            आर .बी. आंजना 


Monday, August 19, 2013

आज भी में  तनहा हु 


कितनी सर्द राते गुजारी
मेने। ……
तेरे इंतजार में
कितने हसीन  पल बिताये
अकेलेपन में ,,,,
पहुच  के महखाने
हर पल याद किया तुजे
तन्हाई में ,,,,
रोती  रही आँखे ,,,,
बिलखता रहा मन
 सेकड़ो बहाने ढूंढे
मेने ,,,,,
खुश रहने के  लिए
 पर
फिर भी
तुम ,,,,,,,,,
नहीं धुंध पी
वो   एक पल
कि ,,,,,,,,
पीछे मुद
के
देख सको
मेरी  इस तन्हाई को /////////

Thursday, August 1, 2013

हर चुनोती ,,,हर आपदा ,,,हर मुस्किल से हमें लड़ना हे,,,
घने कुहरे एवं पहाड़ो को चीरकर,,,,रास्ता हमें बनाना हे 
क्षितिज के छोर के, ,,, स्वर्णिम उजाले के ,लिए,,,,
जिंदगी चलती रहती हे,,,,,भोर लाने के लिए,,,,,,,,

"""""सुप्रभात मित्रो """"""

Wednesday, July 24, 2013

मुझे अपने पेरो पर चलना हे .
 मुझे अपने वादों पर चलना हे
मुझे अपने दर से लड़ना हे
मुझे अपने कर्म पर डटना हे
क्योकि
 मुझे
 दुनिया को वश में करना हे 

Tuesday, July 23, 2013

बस जायेंगे ,,, बन के आंसू  तेरी आँखों में,,,,,,
सज जायेंगे ,,,,बन के फुल  तेरे गजरे में,,,,,,,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

मानव होना भाग्य हे,,,,,,कवी होना सोभाग्य हे,,,,,
                                            "" नीरज ""

Saturday, July 6, 2013

जिसे आदत हो बहने की................


जिसे आदत हो बहने की................

असीम बर्फ हे इस हिमालय में ....
हाथो  में समेत नहीं सकते....
प्यार मोहब्बत ..एक अनोखी चीज हे,,,
क्योकि  इश्क के सताए भुला नहीं सकते...
अजनबी हे हम...
अपनों को जान नहीं पते....
मगर,,,
असमान की छाव में भी उन्हें भुला नहीं सकते ,,,,
जीवन में बहार कई आती हे ....
तितलिया ख्वाबो से हट के...
ख्याली पुलावो से बच के....
सपने सच करो अपने...
दुसरो से पहले खुद को पहचानो...
बहार निकालो ...
सपने देखो   वो जरुरी हे....
क्योकि उन्हें आप रोक नहीं सकते....
मेहनत का जज्बा हे जिनमे ...
पत्थर तोड़ रास्ता वो बनाते हे ....
जीवन की हर बहार को खुश नुमा बनाते हे ...
पहुच जाते हे अडिग रास्तो पर ..
चलके अपनी मंजिल को...
क्योकि वो अपने आप को रोक नहीं सकते ...
कई  तूफ़ान हो ...
या तेज हवाए..
दरिया हमेशा बहता हे...
क्योकि ...
जिसे आदत हो बहने की..
उसे आप रोक नहीं सकते........

Friday, July 5, 2013

बदल गया ये मंजर ....

बदल गया ये मंजर ....
खिल रहा था वो ,,महकते गुलजार की तरह 
दिख रहा हे अब ,,सुने शमसान की तरह 
गूंजती थी यहाँ ,,धुनें 
इश्वर की आरतियो एवं आराधनाओ की //
बदल गई ये धुनें,,,
 लाशो की किलकारियों मे ...
क्या खेल रच मेरे रब ने ......
बिखरे हे आज यहाँ बंजर लाशो के ....
भगवन की मूर्तियों की जगह ,,,,,
बदल गया वो सिंदूर ,,,,,इंसान के खून में ....
बदल गया वो नीर गंगा का ...
इंसान के रक्त में ,,,,,,,,
आती थी खुशबु जहा,
दिया ,,बत्ती ,,एवं धुप की ....
पत्थरो के इस शमसान में ...
महक रही हे ;;;;;
लाशे आज इंसान की 

Thursday, July 4, 2013

उदास हे मन

उदास  हे मन ,रो रही  है आँखे
                              बिन आंसू  .......
बह रही हे नदिया ,भर गया हे दरिया ,
                                        बिन आंसू .......

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का सटीक रामबाण

  जो सोचा नही था , वो समय आज गया । ऐसा समय आया कि लोगो को सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि उस समय क्या किया जाए । आज की लोगो की जीवनशैली की वजह से...