पहली बार दो राहो का मिलना था,
कुदरत को मिलाने का बहाना खोजना था!
चलती हवा में एक सन्देश का आना था,
दिल के सन्देश का दिल तक पहुचना था !
फोन एवं सन्देश तो ज़माने का एक बहाना था,
दो राहों के लिए मोहब्बत का एक तरीका था!
रातो को ख्वाबो में आना एवं जगाना था,
मेरी उजड़ी हुई जिन्दगी के रंगों को सजाना था!
मेरे पतझड़ जीवन में सावन तुम्हे लाना था,
मेरे बुजे जीवन के दीपक में लोह तुम्हे जगाना था!
मेरे जीवन के कोरे कागज पर नाम तुम्हे लिखना था,
जा रहे बेराह जीवन को राह तुम्हे दिखाना था !
मेरी जिंदगी के हर रोम में बसना एवं इसे महकाना था,
मेरे दिल,प्यार एवं जिंदगी में आकर मेहफूज इसे बनाना था!
"" रमेश पटेल रानीवाडा ""
achcha likh rahe ho...agar likhne ka shauk hai to kisi se seekhna ye mera suggestion rahega....keep it up...............Badhai
ReplyDeleteBahut aachha my dear... Apki soch ko me daad deta hu...
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