Thursday, August 1, 2013

क्षितिज के छोर के, ,,, स्वर्णिम उजाले के ,लिए,,,,
जिंदगी चलती रहती हे,,,,,भोर लाने के लिए,,,,,,,,

"""""सुप्रभात मित्रो """"""

Wednesday, July 24, 2013

मुझे अपने पेरो पर चलना हे .
 मुझे अपने वादों पर चलना हे
मुझे अपने दर से लड़ना हे
मुझे अपने कर्म पर डटना हे
क्योकि
 मुझे
 दुनिया को वश में करना हे 

Tuesday, July 23, 2013

बस जायेंगे ,,, बन के आंसू  तेरी आँखों में,,,,,,
सज जायेंगे ,,,,बन के फुल  तेरे गजरे में,,,,,,,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

मानव होना भाग्य हे,,,,,,कवी होना सोभाग्य हे,,,,,
                                            "" नीरज ""

Saturday, July 6, 2013

जिसे आदत हो बहने की................


जिसे आदत हो बहने की................

असीम बर्फ हे इस हिमालय में ....
हाथो  में समेत नहीं सकते....
प्यार मोहब्बत ..एक अनोखी चीज हे,,,
क्योकि  इश्क के सताए भुला नहीं सकते...
अजनबी हे हम...
अपनों को जान नहीं पते....
मगर,,,
असमान की छाव में भी उन्हें भुला नहीं सकते ,,,,
जीवन में बहार कई आती हे ....
तितलिया ख्वाबो से हट के...
ख्याली पुलावो से बच के....
सपने सच करो अपने...
दुसरो से पहले खुद को पहचानो...
बहार निकालो ...
सपने देखो   वो जरुरी हे....
क्योकि उन्हें आप रोक नहीं सकते....
मेहनत का जज्बा हे जिनमे ...
पत्थर तोड़ रास्ता वो बनाते हे ....
जीवन की हर बहार को खुश नुमा बनाते हे ...
पहुच जाते हे अडिग रास्तो पर ..
चलके अपनी मंजिल को...
क्योकि वो अपने आप को रोक नहीं सकते ...
कई  तूफ़ान हो ...
या तेज हवाए..
दरिया हमेशा बहता हे...
क्योकि ...
जिसे आदत हो बहने की..
उसे आप रोक नहीं सकते........

Friday, July 5, 2013

बदल गया ये मंजर ....

बदल गया ये मंजर ....
खिल रहा था वो ,,महकते गुलजार की तरह 
दिख रहा हे अब ,,सुने शमसान की तरह 
गूंजती थी यहाँ ,,धुनें 
इश्वर की आरतियो एवं आराधनाओ की //
बदल गई ये धुनें,,,
 लाशो की किलकारियों मे ...
क्या खेल रच मेरे रब ने ......
बिखरे हे आज यहाँ बंजर लाशो के ....
भगवन की मूर्तियों की जगह ,,,,,
बदल गया वो सिंदूर ,,,,,इंसान के खून में ....
बदल गया वो नीर गंगा का ...
इंसान के रक्त में ,,,,,,,,
आती थी खुशबु जहा,
दिया ,,बत्ती ,,एवं धुप की ....
पत्थरो के इस शमसान में ...
महक रही हे ;;;;;
लाशे आज इंसान की 

Thursday, July 4, 2013

उदास हे मन

उदास  हे मन ,रो रही  है आँखे
                              बिन आंसू  .......
बह रही हे नदिया ,भर गया हे दरिया ,
                                        बिन आंसू .......

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का सटीक रामबाण

  जो सोचा नही था , वो समय आज गया । ऐसा समय आया कि लोगो को सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि उस समय क्या किया जाए । आज की लोगो की जीवनशैली की वजह से...