Tuesday, February 21, 2012

जय श्री राम,,,,,

इंसान कितना भोला हे,,,
जरुरत से ज्यादा   सयाना हे,,,
खुद को ज्यादा,,,,
और,,,,,
इश्वर को कम आंकता हे ...
जो की इंसान को ....
पेसो से,,,,
बातो से,,,,
और हरकतों से,,,
हर कदम पे धोखा देता हे,,,
और पल भर की ख़ुशी से झूम जाता हे....
मगर...
ये इंसान .....
बिलकुल भूल जाता हे की,,,,,
ये ,,,कितना वाजिब हे,,,,,
हर एक पल ....
और .......
हर एक अपनी चाल ,,,,
हरकत.....
धोखा सभी का,,,,
इश्वर के दरबार में 
हिसाब रहता हे,,,,
उसे ,,,इश्वर कभी नहीं छोड़ता ,,,
आज नहीं तो कल ,,,
कल नहीं तो परसों,,,,
हिसाब जरुर चुकाना हे ,,,
हम किसी सीधे इंसान को ,,
,धोखा देके,,,
खुश हो जाते हे,,,,,,,,,,,,
किसी के पेसे चुराके ,,,
कोई चीज चुरा के ,,,,
किसी की उधारी नहीं देके .......
किसी के साथ छल करके ,,,
हम खुश हो जाते हे,,,,
मगर ,,,,
हम यह भूल जाते हे की ,,,,
हम यह हरकत ,,,,,किसी इन्सान के साथ नहीं ,,,
बल्कि भगवान् के साथ कर रहे हे,,,
जो कभी माफ़ नहीं कर सकता,,,,
यह बात दिमाग से ही हमें निकल देनी हे,,,,
की ,,,,,,
हम जिस इन्सान को धोखा दे रहे हे ,,,
उसका कुछ फर्क पडेगा ,,,,
उसका भगवान् हमेशा ही भला करता हे ,,,,,
उसके घर में साईं बाबा हमेशा ,,,,
खुशियों की बहार लाता हे,,,,,,
इंसान भले ही धोखा दे ,,,
लेकिन इश्वर  सब तोल मोल के देता हे,,,,,
और जो इंसान दुसरो को धोखा दे कर 
अपना ,,,काम बनाते हे,,,,,,
उनके घर की हालत ...
.खुद  अपनी आँखों से देख सकते हे .....
एसे  इंसान जिंदगी के कुछ पल ...
जरुर ख़ुशी में काट सकते हे ,,,,
पर जिन्दगी की लम्बी गाड़ी ,,,,,,
उन्हें इतना दुःख देती हे ,,,,,
की ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
वो अपने परिवार और अपनी  ,,,,,
जिंदगी की गाड़ी से हर जाते हे ,,,,



""दगा किसी का सगा नहीं 
नहीं किया तो कर के देखो ....
और ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
किया उनके घर देखो.......""

जय श्री राम,,,,,
जय श्री राम....
 
जय सिरडी वाले साईं बाबा,,,,,,,,,






Monday, February 20, 2012

जिसे आदत हो बहने की................

असीम बर्फ हे इस हिमालय में ....
हाथो  में समेत नहीं सकते....
प्यार मोहब्बत ..एक अनोखी चीज हे,,,
क्योकि  इश्क के सताए भुला नहीं सकते...
अजनबी हे हम...
अपनों को जान नहीं पते....
मगर,,,
असमान की छाव में भी उन्हें भुला नहीं सकते ,,,,
जीवन में बहार कई आती हे ....
तितलिया ख्वाबो से हट के...
ख्याली पुलावो से बच के....
सपने सच करो अपने...
दुसरो से पहले खुद को पहचानो...
बहार निकालो ...
सपने देखो   वो जरुरी हे....
क्योकि उन्हें आप रोक नहीं सकते....
मेहनत का जज्बा हे जिनमे ...
पत्थर तोड़ रास्ता वो बनाते हे ....
जीवन की हर बहार को खुश नुमा बनाते हे ...
पहुच जाते हे अडिग रास्तो पर ..
चलके अपनी मंजिल को...
क्योकि वो अपने आप को रोक नहीं सकते ...
कई  तूफ़ान हो ...
या तेज हवाए..
दरिया हमेशा बहता हे...
क्योकि ...
जिसे आदत हो बहने की..
उसे आप रोक नहीं सकते........



Sunday, February 19, 2012

चाणक्य के 15 सूक्ति वाक्य ----


1) "दूसरो की गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी."
2)"किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए ---सीधे बृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं."
3)"अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए वैसे दंश भले ही न दो पर दंश दे सकने की क्षमता का दूसरों को अहसास करवाते रहना चाहिए. "
4)"हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है --यह कडुआ सच है."
5)"कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछो ---मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ? इसका क्या परिणाम होगा ? क्या मैं सफल रहूँगा ?"
6)"भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये इस पर हमला करदो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो ."
7)"दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है."
8)"काम का निष्पादन करो , परिणाम से मत डरो."
9)"सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज़ होता है पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है."
10)"ईस्वर चित्र में नहीं चरित्र में बसता है अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ."
11) "व्यक्ति अपने आचरण से महान होता है जन्म से नहीं."
12) "ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से ऊपर या नीचे के हैं उन्हें दोस्त न बनाओ,वह तुम्हारे कष्ट का कारण बनेगे. सामान स्तर के मित्र ही सुखदाई होते हैं ."
13) "अपने बच्चों को पहले पांच साल तक खूब प्यार करो. छः साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार दो .सोलह साल से उनके साथ मित्रवत व्यवहार करो.आपकी संतति ही आपकी सबसे अच्छी मित्र है."
14) "अज्ञानी के लिए किताबें और अंधे के लिए दर्पण एक सामान उपयोगी है ."
15) "शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है. शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य दोनों ही कमजोर हैं ."

Monday, February 6, 2012

पहली मुलाकात

पहली मुलाकात  एक याद थी ,,,
वो समय...
वो जगह,,,,
वो पल...
एक खास मोसम ,
वो एक कवायद थी,,,
उस खँडहर पर बेठना ....
उन हवाओ का चलना
सावन की बहारे,,,,,जुल्फों का लहराना
आँखों ही आँखों में मुलाकात का होना,,
हाथो में हाथ,,
धड़कन का तेज होना
ना समय की पाबन्दी,,,
न इंतज़ार,,,ना दुरी,,,
बस,,,,,,,
ज़वा होते दो दिलो की तमन्ना,,,
सिर्फ बिछुड़ने की मज़बूरी,,,,
वो आंखे ,,,वो पलके,,,
वो बाते,,,,वो प्यार,,,
वो एहसास,,वो इकरार,,,
दो दिलो का ज़वा होना,,,
दिलो का गम,दूरिया एवं हिचकिया
थोथी मुस्कान चेहरे पर,दिल एवं सिसकिया
पहली मुलाकात एक याद थी,,
वो समय,,,
वो जगह,,,
वो पल,,,,
एक खास मोसम ,,,
वो एक कवायद थी,,,,,,

Wednesday, February 1, 2012

दिल के इरादे

सपनो को सपने समझकर ,,,
                    छोड़ ना देना....
दिल के इरादे को ,,,,
                   तोड़ ना देना....
आप में कशिस हे ,,,
                  सब पाने की ,,,,
नामुमकिन समझकर ,,,,कुछ 
                  छोड़ ना देना ..

Tuesday, January 31, 2012

राजस्थान सामान्य ज्ञान

1. अकबर ने चित्तौड़ पर कब आक्रमण कर कब्जा किया?

Ans. 1567 ई. में

2. अकबर के चित्तौड़ पर आक्रमण के समय किसके नेतृत्व में हजारों राजपूतों ने मुगल सेना का मुकाबला किया?

Ans. वीर जयमल और पत्ता ने

3. महाराणा प्रताप का राजतिलक कब व कहाँ हुआ?

Ans. 1572 ई. में गोगुंदा में

4. राणा प्रताप और अकबर की सेना के मध्य हल्दीघाटी का प्रसिद्ध युद्ध किस दिन प्रारंभ हुआ?

Ans. 18 जून 1576 को

5. हल्दीघाटी के युद्ध में किस मैदान में राणा प्रताप मुगल सेना से घिर गए थे?

Ans. खमनोर गाँव के रक्त तलाई के मैदान में

6. हल्दीघाटी युद्ध में शहीद हुए राणा प्रताप के सेनापति पठान हकीम खाँ सूरी की समाधि (मजार) कहाँ स्थित है?

Ans. खमनोर गाँव के रक्त तलाई के मैदान में

7. हल्दीघाटी के पास स्थित खमनोर गाँव के रक्त तलाई के मैदान में ग्वालियर के किस राजकुमार ने अपने प्राण उत्सर्ग किए जिसकी समाधि (छतरी) भी वहाँ स्थित है?

Ans. राम सिंह तंवर

8. हल्दीघाटी युद्ध के शुरू होने से पूर्व अकबर की शाही सेना ने जिस स्थान पर डेरा डाला था, उसे क्या कहा जाता है?

Ans. शाही बाग

9. राणा प्रताप के घोड़े की समाधि कहाँ स्थित है?

Ans. हल्दीघाटी में

10. हल्दीघाटी युद्ध में प्रताप के घोड़े चेतक घायल हो जाने पर परिस्थिति को समझते हुए किस वीर राजपूत ने राजचिन्ह और ध्वज अपने हाथ में ले लिया और प्रताप के स्थान पर स्वयं लड़ कर प्रताप को युद्ध मैदान से बाहर निकाला था?


Ans. राजराणा वीदा (झाला मान)

Saturday, January 28, 2012

दंभी





~*साईं चरणों में मेरा नमन*~




एक पढ़ा-लिखा दंभी व्यक्ति नाव में सवार हुआ। वह घमंड से भरकर नाविक से पूछने लगा, ‘‘क्या तुमने व्याकरण पढ़ा है, नाविक?’’

नाविक बोला, ‘‘नहीं।’’

दंभी व्यक्ति ने कहा, ‘‘अफसोस है कि तुमने अपनी आधी उम्र यों ही गँवा दी!’’

थोड़ी देर में उसने फिर नाविक से पूछा, “तुमने इतिहास व भूगोल पढ़ा?”

नाविक ने फिर सिर हिलाते हुए ‘नहीं’ कहा।

दंभी ने कहा, “फिर तो तुम्हारा पूरा जीवन ही बेकार गया।“

मांझी को बड़ा क्रोध आया। लेकिन उस समय वह कुछ नहीं बोला। दैवयोग से वायु के प्रचंड झोंकों ने नाव को भंवर में डाल दिया।

नाविक ने ऊंचे स्वर में उस व्यक्ति से पूछा, ‘‘महाराज, आपको तैरना भी आता है कि नहीं?’’

सवारी ने कहा, ‘‘नहीं, मुझे तैरना नही आता।’’

“फिर तो आपको अपने इतिहास, भूगोल को सहायता के लिए बुलाना होगा वरना आपकी सारी उम्र बरबाद होने वाली है क्योंकि नाव अब भंवर में डूबने वाली है।’’ यह कहकर नाविक नदी में कूद तैरता हुआ किनारे की ओर बढ़ गया।

मनुष्य को किसी एक विद्या या कला में दक्ष हो जाने पर गर्व नहीं करना चाहिए।
thanks to writer

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का सटीक रामबाण

  जो सोचा नही था , वो समय आज गया । ऐसा समय आया कि लोगो को सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि उस समय क्या किया जाए । आज की लोगो की जीवनशैली की वजह से...