कुछ इंसान कलंक हे समाज के नाम पर
बड़ी बाते करते हे बड़ा होने के नाम पर
ड्रामेबाजी चलती हे उनकी
पहचान के नाम पर
जो कलंक हे बेटा- बेटी परिवार के लिए
सिक्का चलाते हे वो समाज में
इंसानियत के नाम पर
वो भी खोटे , सिक्का भी खोटा
घूम कर वही आता हे , उन्ही के पास
खोटा होने के नाम पर