Sunday, October 27, 2013

बजाता  रहूँगा धुनें सच्चाई की …
                                          इस बस्ती में ,,,,,
चाहे कोई सुने या ना सुने  मेरी सच्चाई को,,,,
                                         इस बस्ती में ,,,,
                                  आर .बी . आंजना

Thursday, October 17, 2013

स्वामी विवेकानंद :विश्‍वधर्म-महासभा, शिकागो, 27 सितंबर 1893





विश्‍वधर्म महासभा एक मूर्तिमान तथ्य सिद्‌ध हो गई हैं और दयामय प्रभु ने उन लोगों की सहायता की हैं, तथा उनके परम निःस्वार्थ श्रम को सफलता से विभूषित किया हैं, जिन्होंने इसका आयोजन किया।

उन महानुभावों को मेरा धन्यवाद हैं, जिनके विशाल हृदय तथा सत्य के प्रति अनुराग ने पहले इस अद‌‍भुत स्वप्न को देखा और फिर उसे कार्यरूप में परिणत किया। उन उदार भावों को मेरा धन्यवाद, जिनसे यह सभामंच आप्लावित होता रहा हैं। इस प्रबुद्‌ध श्रोतृमंडली को मेरा धन्यवाद, जिसने मुझ पर अविकल कृपा रखी हैं और जिसने मत-मतांतरों के मनोमालिन्य को हल्का करने का प्रयत्‍न करने वाले हर विचार का सत्कार किया। इस समसुरता में कुछ बेसुरे स्वर भी बीच बीच में सुने गये हैं। उन्हें मेरा विशेष धन्यवाद, क्योंकि उन्होंने अपने स्वरवैचिञ्य से इस समरसता को और भी मधुर बना दिया हैं।


धार्मिक एकता की सर्वसामान्य भित्ति के विषय में बहुत कुछ कहा जा चुका हैं। इस समय मैं इस संबंध में अपना मत आपके समक्ष नहीं रखूँगा। किन्तु यदि यहाँ कोई यह आशा कर रहा हैं कि यह एकता किसी एक धर्म की विजय और बाकी धर्मों के विनाश से सिद्ध होगी, तो उनसे मेरा कहना हैं कि ‘भाई, तुम्हारी यह आशा असम्भव हैं।’ क्या मैं यह चाहता हूँ कि ईसाई लोग हिन्दू हो जाएँ? कदापि नहीं, ईश्‍वर भी ऐसा न करे! क्या मेरी यह इच्छा हैं कि हिदू या बौद्ध लोग ईसाई हो जाएँ? ईश्‍वर इस इच्छा से बचाए।

बीज भूमि में बो दिया गया और मिट्टी, वायु तथा जल उसके चारों ओर रख दिये गये। तो क्या वह बीज मिट्टी हो जाता हैं, अथवा वायु या जल बन जाता हैं? नहीं, वह तो वृक्ष ही होता हैं, वह अपनी वृद्‌धि के नियम से ही बढ़ता हैं — वायु , जल और मिट्टी को पचाकर, उनको उद्‌भित पदार्थ में परिवर्तित करके एक वृक्ष हो जाता हैं।

ऐसा ही धर्म के संबंध में भी हैं। ईसाई को हिंदू या बौद्ध नहीं हो जाना चाहिए, और न ही हिंदू अथवा बौद्ध को ईसाई ही। पर हाँ, प्रत्येक को चाहिए कि वह दूसरों के सारभाग को आत्मसात् करके पुष्टिलाभ करें और अपने वैशिष्ट्य की रक्षा करते हुए अपनी निजी बुद्‌धि के नियम के अनुसार वृद्‌धि को प्राप्‍त हो।

इस धर्म -महासभा ने जगत् के समक्ष यदि कुछ प्रदर्शित किया हैं, तो वह यह हैं: उसने सिद्‌ध कर दिया हैं कि शुद्‍धता, पवित्रता और दयाशीलता किसी संप्रदायविशेष की ऐकांतिक संपत्ति नहीं हैं, एवं प्रत्येक धर्म मे श्रेष्‍ठ एवं अतिशय उन्नतचरित स्‍त्री-पुरूषों को जन्म दिया हैं। अब इन प्रत्यक्ष प्रमाणों के बावजूद भी कोई ऐसा स्वप्न देखें कि अन्याम्य सागे धर्म नष्‍ट हो जाएँगे और केवल उसका धर्म ही जीवित रहेगा, तो उस पर मैं अपने हृदय के अंतराल से दया करता हूँ और उसे स्पष्‍ट बतलाए देता हूँ कि शीघ्र ही सारे प्रतिरोधों के बावजूद प्रत्येक धर्म की पताका पर यह लिखा रहेगा — ‘सहायता करो, लडो मत’ ; ‘परभाव-ग्रहण, न कि परभाव-विनाश’ ; ‘समन्वय और शांति , न कि मतभेद और कलह!’

Saturday, October 12, 2013

ईश्वर से मेरी प्रार्थना   हे की आज इस मुश्कील वक्त मैं  उन सभी लोगो को और उनकी सहायता  के  ळीये  तैनात हुए सभी लोगो को एक एसी  ताकार   दे की वो इस फेलीन तुफान कि आपदा को सहन  कर सके और अपने आप  को इस मुश्कील वक्त से निकाल सके "
 वहा  ईश्वर इसका प्रभाव काम करे और सबकी सहायत करे,,,,,,,

Tuesday, October 8, 2013


""कडवी बात""




छा गया हे देश पे ,,,,,,
अंधेरी रातो का  मंजर  ….
अगर
यही हाल और यही शासन ,,,,,,
रहा  इस देश मैं ,,,,
तो ,,,,,,,,
शायद
कुछ बरसो मैं
देश के अस्थी पंजर दीखने  ळगे ,,,,,,,,,,



मित्रों खुशखबरी अब आप सीधें भाजपा की प्रदेशाध्यक्षा वसुंधरा राजे से जुड़ सकते है। बस आप निचे दिए गए लिंक को खोले और आपकी आईड़ी बनाए उसके निचे लिखा होगा आपकों किसने रैफ्रेंस दिया है उसकी रैफें्रस आईडी लिखें तो आप उसमें आप लिखें VRFANS_3801और आप अपनी आईड़ी बना दें। उसके बाद आप सीधे वसुंधरा राजे से जुड़ जाएंगे तथा आप भाजपा के सदस्य भी बन जाएंगे और आपको भाजपा की और से एक टी सर्ट,एक पेन,एक,डायरी,केप व स्टीकर फ्री में आपके द्वारा दिए गए पते पर आ जाएगा। तो देर किस बात की अभी बनाए अपनी आईड़ी।

http://vrfans.in/index.phpLike · ·
               
                

इन्तजार -ए -प्यार


रो रो  कर जीना,,,,,,,,,,,
 जब आदत  बन  जाती हे 
ख्वाबो की दुनीया ,,,,,,,
बेरंग नजर आती हे 
झर्ने शोर मचाते हे ,,,,,
मगर ,,,,,,,,,
नदीया शान्त बहती हे,,,,,,,
सुनो ओ मेह्बुबा ,,,,,,
प्यार मे  खुद को महफुज मान्ना 
इसे खुदा का दीया,,,,,,,,,,,,,
एक ताबीज  मान्ना 
ए बेवफा सनम ,,,,,,
उसुल- ए -जीन्दगी से … 
खफा मत होना ,,,,,
क्योकी,,,,, 
कोइ इन्तजार कर्ता हे 
कीसी का  जीन्दगी भर ,,,,,,
तो,,,,,,,,
कीसी की जीन्दगी ,,,,,
सीर्फ   इन्तजार मे गुजर जाती हे ,,,,,  
                              
                            आर .बी. आंजना 


रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का सटीक रामबाण

  जो सोचा नही था , वो समय आज गया । ऐसा समय आया कि लोगो को सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि उस समय क्या किया जाए । आज की लोगो की जीवनशैली की वजह से...