Friday, July 10, 2015

जिन्हे समझने  थे राज जिंदगी के
वो  समझ  गए  कोरे  कागज पढ़कर
अनाड़ी घूमते रहे बीच बाजार
पोथियां दबाकर अपनी छाती  में
                        आर बी आँजणा

Thursday, March 26, 2015

लटका   रहने  दो ,, ,,,मुझे   डंडियों   पर
धक के रखा हु तुम्हारे घर की तिजोरिया
घर की  इज्जत ढके हुए ,,,,,,एक पर्दा हु
कोशिश  करोगे   तो ,,, हट  जाऊंगा
पर ,,,,,
तुम साफ़ नजर  आओगे  दुनिया  को
ये छुपाये राज पता चल जायेंगे दुनिया को
                         "आर बी आँजणा"

Saturday, March 21, 2015

"आँजणा कलबी समाज का इतिहास"

इतिहास शब्द एक ऐसा शब्द हे जो इस धरती पर इंसान की उत्पत्ति से लेकर आज तक की हर गति विधि, हर जीव जंतु की उत्तपत्ति ,सब तरह के ज्ञान से सब तरह के बोध से हमें अवगत कराता हे !सर्वप्रथम धरती पर इंसान  की उतपत्ति हुई धीरे धीरे वक्त ने करवट बदली और युग थोड़ा आगे बढ़ा , और इंसानो ने ही अपनी सुविधा के लिए सहूलियत के लिए मानव को उनके कार्य के आधार  पर उन्हें अलग अलग वर्णो में बाँट दिया   गया ! क्षत्रिय,  वैश्य, शूद्र और भ्रामण ,आगे बढ़ते बढ़ते भारत में कई जातिया , कई नख ,कई उपजातिया बन गई और आज जात- पात का एक जंजाल बन गया, हमारे देश में इतनी बड़ी मात्रा में जातियाँ और उपजातिया हे की हर कोई चाह  रखता हे की हमारा भी कोई वजूद रहे ,हमारा भी कोई ,कही वजूद हो ,चाहेगा   भी क्यों नहीं ,चाहना भी जरूरी  हे और लाजमी हे !बिना वजूद के न तो कोई पूछता हे ना कोई जानता हे और बिना पूछे और बिना जाने आज की इस महसशक्कत भरी दुनिया में ज़िंदा रहना तक एक संघर्ष हे ! कई और हजारो  कमजोर शाखाओ का कोई वजूद नहीं होता और मजबूत एक शाखा भी अपना वजूद रख सकती हे अपना परिचय मजबूती के नाम पर दे सकती हे स्थिरता और कठोरता के नाम पर दे सकती हे !
एक चार अक्षर के शब्द इतिहास का इतना बड़ा उल्लेख   करने का मेरा मकसद यही हे की आखिर हमारा आँजणा समाज का क्या हाल हे क्या इतिहास हे आज के समय में हमारी क्या स्तिथि हे हमारा क्या और कहा कहा वजूद हे !
संसार का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश सबसे बड़ा दूसरा जनसंख्या वाला देश हजारो जातियों ,,भाषाओ और बोलियो वाला देश , सभ्यता संस्कृति और ऋषि मुनिओ के देश के नाम से जाना जाने वाला वतन और इस भारत देश के नाम से यदि में आँजणा समाज की तुलना करू तो शायद कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी ,क्युकी आज आँजणा समाज की यही विशेषताए हे जो हमारी पहचान बनाती  हे मेहनत मजदूरी ,सेवा, संस्कार,क्षमा , सहनशीलता यही हे हमारी विशेषताए !
अपनी समाज के इतिहास पर नजर डालने से पहले यह साफ़ करना बेहद जरुरी हे की आखिर मुझे इतने पुराने इतिहास पर एक दृस्टि डालने की जरुरत ही क्यों पड़ी !
क्युकी जब जाती के आधार पर हमारे देश की जनसंख्या की जनगणना होने जा रही थी तब काफी जातियों के संघर्ष को मेने देखा ,उनकी  लड़ाई को देखा !  हम जो की कई नमो से जाने जाते हे, अलग अलग नमो से जाने जाते हे ,,यह फैसला ही नहीं कर पाये की किस नाम को लेकर आगे चले आज भी यही  हाल हे की हम किस नाम से जाने जाये ! कई नमो से हमारी पहचान हे जैसे आँजणा ,पटेल ,पाटीदार , चौधरी , पीतल , कुलबी ,आँजणा पटेल ,आँजणा चौधरी, पटेल चौधरी ,देसाई आदि आदि ! इनमे से काफी तो पदवियाँ हे जो की हम अपने नाम के साथ लगते हे !और अपने आपको गर्वान्वित महसूस करते हे !पर हां कुछ लोग ऐसे भी जरूर मिलेंगे जो अपने नाम के साथ आँजणा कलबी लगाने में बिलकुल भी संकोच नहीं करते  !पर वो बहुत काम हे ,एक जो आवाज गुंजनी चाहिए वो नहीं गूंजती !हमारे कई संगठन      जो की पटेल शब्द से हे कई चौधरी शब्द से हे तो कई आँजना   शब्द से हे !कई पत्रिकाये  हे   वो भी कोई पटेल कोई आँजणा पटेल, तो कोई आँजणा ,नाम से हे ! इन   सब की जगह  यदि आँजणा कलबी शब्द का उल्लेख     होता तो अपनी एक पहचान   बनाने   में ,एक नाम एक समाज कहने  में कोई परेशानी  नहीं होती !अलग अलग नमो से अपनी पहचान देने  से हमें  अपनी आपको   उपस्थित  करने में बड़ी परेसानी  होती  हे ! यदि हमारी सामाज  चाहे की हमारा एक नाम हो एक समाज का एक नाम हो , एक परिचय हो तो हमें अलग अलग नमो की बजाय  एक नाम आंजणा    कलबी ही देना   आरम्भ   कर देना    चाहिए  ! फिर   सब नमो को छोड़कर   हम सिर्फ  आँजणा कलबी ही कहलाने  लग  जायेंगे  फिर  हमें अपने आपको  को अपनी पहचान  के लिए किसी  को कहना  या   उल्लेख  नहीं करना पडेगा   की हम आंजना     हे राजाराम   जी   वाले  आँजणा कलबी हे !और हमारा नाम आँजणा कलबी होने का उल्लेख   कई ग्रंथो   में लिखित    हे  ! और कई समाजसेवियों द्वारा पत्र पत्रिकाओ में हमारे समाज के इस नाम के इतिहास का उल्लेख किया गया हे !
हमारे समाज के लोगो में अपने नाम के साथ आँजणा कलबी लगाने में कई तरह की भ्रान्तिया हे  और संकोच हे ! इस तरह के संकोच को दूर करने के लिए और एक नाम एक समाज की लड़ाई को बरकरार रखते हुए में समस्त समाज बंधुओ के सामने अपने नाम के इतिहास को लेकर कुछ पंक्तिया प्रकट कर रहा हु जो की मेने भी कही न कही समाज के ही इतिहास में पढ़ी हे  जो हमारे समस्त संकोचों को दूर कर देगी ,,,,,,,,,,,,,,,पुराने समय में कई युगो का अवतरण हुआ कई युगो का आगमन हुआ कई युगो का नाम हुआ उनका राज हुआ ,,,,आज से करीब करीब  ढाई तीन हजार वर्ष पूर्व की बात हे हमारे देश में आर्यो का युग था .उस समय के वैदिक आर्यो के समाज के अपने वर्ण थे और वैदिक आर्यो के चार वर्णो में एक वर्ण था क्षत्रिय वर्ण. उनके क्षत्रिय वर्ण में हमारे पुरखो की गणना की जाती थी .उनके काल में जब युद्ध होते थे आपसी लड़ाईया होती थी तब क्षत्रिय कहलाने वाले हमारे पूर्वज योद्धा बनकर अपनी सेवा देते थे . लेकिन जब शांति का समय होता था ,तब वो लोग अपना पेट पालने के लिए , अपनी रोजी रोटी कमाने के लिए और सभी की सेवा के लिए अन्न उत्त्पन्न करने का कार्य करते थे ,और अन्न उतपन्न करना ,हल चलाना ,,खेती करने के लिए उनका मुख्या औजार हल था  तो उन्हें हली क्षत्रिय के नाम से पुकारा जाने लगा. ! और वो एक ऐसा वक्त था जब भारत का ईरानी लोगो के साथ संपर्क होना सुरु हो गया था , उनके आपसी संपर्क और भाषा का तालमेल था , ईरानी लोग  खेती के औजार हल को कुलबा बोलते थे .और उन्होंने हमारे पुखो को  हाली क्षत्रिय की जगह कुलबी क्षत्रिय  कहना सुरु कर दिया ! उस समय जैसे जैसे उनकी जनसंख्या बढ़ती गई तो अपनी रोजमर्रा की जिंदगी को जारी रखते हुए अपना पेट पालने के लिए घूमते फिरते गुजरात की और रुख किया और गुजरात की किसी आजन्यु यानी की अजान भूमि पर पहुंच गए और वहा रहकर अपनी आजीविका सुरु की! धीरे धीरे उस अजान  भूमि पर उन्होंने अपना सामज्य स्थापित   किया और ब्रजपाल को अपना राजा बनाया ! मध्य काल की सुरुआत हो चुकी थी ! जनसँख्या बढ़ने लगी तो वह से उठ कर कुछ पुरखो ने  अजान प्रदेश के उत्तर यानि की  राजस्थान की तरफ रुख किया और मारवाड़ क्षेत्र के श्रीमाल भाग पर जो की राजस्थान के जालोर जिल्ला के भीनमाल के आसपास का क्षेत्र माना जाता हे ! वह पहुंचकर अपना बसेरा डाला और अपनी आजीविका प्रारम्भ की  इधर के लोगो ने इन्हे आजान भू भाग से आने के कारण उन्हें अजान कहा !
ऐसा होना भी स्वाभाविक था क्यों की आज भी हम जो गुजरात से आता हे उसे गुजराती और पंजाब से आता हे वो पंजाबी आदि आदि कहते हे !  तो इस तरह हमारे पूर्वजो के यहाँ तक पहुँचते पहुँचते "अजान  कुलबी क्षत्रिय" कहा जाने लगा था . और इसके बजाय की उन्होंने क्षत्रिय कर्मो को पूर्ण रूप से त्याग दिया और हल चलना ही अपना मुख्या कर्म बना लिया उसे ही अपनी आजीविका का साधन बना लिया  , धीरे धीरे पुरे राजस्थान ,मध्य प्रदेश और गुजरात तीन राज्यों में  फेल गए और बदलती परिस्थितियों के साथ साथ समाज के काम काज में भी कुछ बदलाव आया और इन्होने व्यापार की तरफ भी रुख किया और इस क्षेत्र    में भी अपनी अच्छी पहचान बना चुके  हे . आज खेती , व्यापार , सरकारी नौकरी , सेवा ,  हर जगह आंजणा कलबी समाज की अच्छी पकड़ हे आज लगभग पुरे भारत के हर कोने में अपना व्यावर क्षेत्र  फैलाये हुए हे ! और समय बदलने के साथ साथ आँजणा कुलबी क्षत्रिय की जगह "आँजणा कुलबी" को ही अपना नाम परिचय रखा कर अपनी पहचान आँजणा कुलबी से ही देने लगे .अतः कुलबी शब्द एक अपभ्रंश शब्द हे तो कुलबी को सिर्फ कलबी ही बोला जाने लगा और "आँजणा कुलबी" की जगह "आँजणा कलबी" ही रह गया .! इस तरह  ग्रंथो में लिखित उलेख बताता हे की आज से लगभग ढाई तीन हजार साल पहले हमारे पूर्वजो को "कलबी क्षत्रिय" के नाम से जाना जाने लगा था और करीब करीब १४०० वर्ष पूर्व वो  आंजना कुलबी के नाम से अपनी पहचान बना चुके थे ! कही कही कुर्मी और कुलबी शब्द का भी काफी जोड़ तोड़कर उल्लेख हे पर वैसे देखा जाये तो दोनों ही शब्द एक हे और इनका काम और मकसद भी एक ही था और हे , खेती करने वाले ! भारत में लगभग 1488  तरह के कुलबियो के होने का उल्लेख हे  जो को हमारी आँजणा कलबी समाज की ही तरह कई तरह की शाखाओ  में विभक्त हे उनका भी उल्लेख हे की उनकी भी उत्पत्ति क्षत्रिय वर्ण से हुई मानी जाती हे पर उनकी वर्ण ,,गोत्र ,,नख हमसे और हमारी समाज से काफी भिन्नता रखते हे ! लेकिन हमारी हमारे क्षत्रिय वर्ग को कुल चौदह शाखाओ में यानि की वर्णो में विभाजित किया गया हे  जो हे ..१. चौहान २.तंवर ,३.चौड़ा ४. झाला ५. सोलंकी ६.सिसोदिया ७ यादव ८.परिहार ९. कच्छवाह १०.राठौर ११. गोयल १२. जेठवा १३. परमार और १४. मकवाना !और चौदह वर्णो को २५० गोत्र के रूप में विभाजित किया गया हे .जैसे ,, काग , कुकल ,कर्ड, कोदली ,बोका ,तरक,भोड़,धूलिया,दुनिया,मोर,मुजी,रातडा,ओड, वागडा,भूरिया, जुडाल,काला,कोदली,फक बूबी,,,केउरी ,,,,,,, ?
इस तरह हमारे समाज के सम्पूर्ण इतिहास के तोर पर हमारी नार्वो के तोर पर और हमारी गोत्रो के तोर पर ,,,सब को मध्येनजर रखते  हुए यह कहा जाना उचित ही होगा की हमारी उत्त्पत्ति वैदिक आर्यो के क्षत्रिय वर्ण से हुई हे !अतः हमें अपना  परिचय आँजणा कलबी नाम से देने में कोई अतिश्योक्ती नहीं होनी चाहिए !
हम ""आँजणा कलबी""  हे और हमारा परिचय हमें ""आँजणा कलबी"" नाम से ही देना   चाहिए !
सारे तथ्य ग्रंथो और समाजसेवियों द्वारा लिखे  गए पत्र पत्रिकाओ का उलेख हे !
और समस्त समाज बंधुओ से विनती हे की यदि और कुछ आँजणा कलबी समाज के इतिहास के तथ्य सामने लाने की कोशिश करके अपना सहयोग देना चाहे तो आपका सहयोग सदेव  सर्वोपरि हे !
                      लेखक :-रमेश भाई आंजणा कलबी
                                 09413885566
                                 भारतीय वायु सेना
                                  M. A. (english )
                                  M. Phil (english)
                                  ACCA
                                  APGDCA
                                   

Saturday, February 28, 2015

मार दिया अपनों को अपनों ने ,,,
सिर्फ दो कातिल लफ्जो से ,
वरना गेरो की क्या ओकात ,,
जो बन्दूको से मार    सके...
               "आर बी आँजणा "
दुनिया जब रो रो कर कहती हे
फ़साने .दर्दे -दिलो के ,....
जमाना मुस्कुराता हे मुह फेर के
"आर बी आँजणा "

Thursday, January 29, 2015

The 7 Habits of Highly Effective People in Hindi


The 7 Habits of Highly Effective People, या अतिप्रभावकारी लोगों की 7 आदतें, Stephen R. Covey द्वारा लिखी गयी ये किताब आपने ज़रूर देखी, पढ़ी, या सुनी होगी. आज AchhiKhabar.Com पर मैं आपको इसी best seller book का सार Hindi में share कर रहा हूँ. यह पढकर यदि आपको लगता है कि वाकई करोड़ों लोगों की तरह आप भी इससे लाभान्वित हो सकते हैं तो बिना किसी झिझक के इस book को ज़रूर खरीदें.
यह Post थोड़ी लंबी  है. लगभग 2750 शब्दों की, इसलिए यदि आप चाहें तो AchhiKhabar.Com को Bookmarkया Favouritesमें list कर लें . ताकि यदि आप एक बार में पूरी post  न पढ़ पायें तो आसानी से फिर इस पेज पर आ सकें. वैसे Google में AchhiKhabar.Com search  करने पर भी आप दुबारा इस Page  पर आ सकते हैं.

7 Habits जो बना सकतीं हैं आपको  Super Successful

आपकी ज़िन्दगी बस यूँ ही नहीं घट जाती. चाहे आप जानते हों या नहीं , ये आपही के द्वारा डिजाईन की जाती है. आखिरकार आप ही अपने विकल्प चुनते हैं. आप खुशियाँ चुनते हैं . आप दुःख चुनते हैं.आप निश्चितता चुनते हैं. आप अपनी अनिश्चितता चुनते हैं.आप अपनी सफलता चुनते हैं. आप अपनी असफलता चुनते हैं.आप साहस चुनते हैं.आप डर चुनते हैं.इतना याद रखिये कि हर एक क्षण, हर एक परिस्थिति आपको एक नया विकल्प देती है.और ऐसे में आपके पास हमेशा ये opportunity होती है कि आप चीजों को अलग तेरीके से करें और अपने लिए और positive result produce  करें.
Habit 1 : Be Proactive / प्रोएक्टिव बनिए
Proactive  होने का मतलब है कि अपनी life के लिए खुद ज़िम्मेदार बनना. आप हर चीज केलिए अपने parents  या  grandparents  को नही blame कर सकते . Proactive  लोग इस बात को समझते हैं कि वो “response-able” हैं . वो अपने आचरण के लिए जेनेटिक्स , परिस्थितियों, या परिवेष को दोष नहीं देते हैं.उन्हें पता होताहै कि वो अपना व्यवहार खुद चुनते हैं. वहीँ दूसरी तरफ जो लोग reactive  होते हैं वो ज्यादातर अपने भौतिक वातावरण से प्रभावितहोते हैं. वो अपने behaviour  के लिए बाहरी चीजों को दोष देते हैं. अगर मौसम अच्छा है, तोउन्हें अच्छा लगता है.और अगर नहीं है तो यह उनके attitude और  performance  को प्रभावित करता है, और वो मौसम को दोष देते हैं. सभी बाहरी ताकतें एक उत्तेजना  की तरह काम करती हैं , जिन पर हम react करते हैं. इसी उत्तेजना और आप उसपर जो प्रतिक्रिया करते हैं के बीच में आपकी सबसे बड़ी ताकत छिपी होती है- और वो होती है इस बात कि स्वतंत्रता कि आप  अपनी प्रतिक्रिया का चयन स्वयम कर सकते हैं. एक बेहद महत्त्वपूर्ण चीज होती है कि आप इस बात का चुनाव कर सकते हैं कि आप क्या बोलते हैं.आप जो भाषा प्रयोग करते हैं वो इस बात को indicate  करती है कि आप खुद को कैसे देखते हैं.एक proactive व्यक्ति proactive भाषा का प्रयोग करता है.–मैं कर सकता हूँ, मैं करूँगा, etc. एक reactive  व्यक्ति reactive  भाषा का प्रयोग करता है- मैं नहीं कर सकता, काश अगर ऐसा होता , etc. Reactive  लोग  सोचते हैं कि वो जो कहते और करते हैं उसके लिए वो खुद जिम्मेदार नहीं हैं-उनके पास कोई विकल्प नहीं है.
ऐसी परिस्थितियां जिन पर बिलकुल भी नहीं या थोड़ा-बहुत control किया जा सकता है , उसपर react या चिंता करने के बजाये proactive  लोग अपना time  और  energy  ऐसी चीजों में लगाते हैं जिनको वो  control  कर सकें. हमारे सामने जो भी समस्याएं ,चुनतिया या अवसर होते हैं उन्हें हम दो क्षेत्रों में बाँट सकते हैं:
 
1)Circle of Concern ( चिंता का क्षेत्र )

2)Circle of Influence. (प्रभाव का क्षेत्र )
Proactive  लोग अपना प्रयत्न Circle of Influence पर केन्द्रित करते हैं.वो ऐसी चीजों पर काम करते हैं जिनके बारे में वो कुछ कर सकते हैं: स्वास्थ्य , बच्चे , कार्य क्षेत्र कि समस्याएं. Reactive  लोग अपना प्रयत्न Circle of Concern पर केन्द्रित करते हैं: देश पर ऋण , आतंकवाद, मौसम. इसबात कि जानकारी होना कि हम अपनी energy किन चीजों में खर्च करते हैं, Proactive  बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है
Habit 2: Begin with the End in Mind  अंत को ध्यान में रख कर शुरुआत करें. 
तो , आप बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं? शायद यह सवाल थोड़ा अटपटा लगे,लेकिन आप इसके बारे में एक क्षण के लिए सोचिये. क्या आप अभी वो हैं जो आप बनना चाहते थे, जिसका सपना आपने देखा था, क्या आप वो कर रहे हैं जो आप हमेशा से करना चाहते थे. इमानदारी से सोचिये. कई बार ऐसा होता है कि लोग खुद को ऐसी जीत हांसिल करते हुए देखते हैं जो दरअसल खोखली होती हैं–ऐसी सफलता, जिसके बदले में उससे कहीं बड़ी चीजों को  गवाना पड़ा. यदि आपकी सीढ़ी सही दीवा पर नहीं लगी है तो आप जो भी कदम उठाते हैं वो आपको गलत जगह पर लेकर जाता है.

Habit 2 
आपके imagination या  कल्पना  पर आधारित है– imagination , यानि आपकी वो क्षमता जो आपको अपने दिमाग में उन चीजों को दिखा सके जो आप अभी अपनी आँखों से नहीं देख सकते. यह इस सिधांत पर आधारित है कि हर एक चीज का निर्माण दो बार होता है. पहला mental creation, और दूसरा physical creation. जिस  तरह blue-print तैयार होने केबाद मकान बनता है , उसी प्रकार mental  creation  होने के बाद ही physical creation होती है.अगर आप खुद  visualize  नहीं करते हैं कि आप क्या हैं और क्या बनना चाहते हैं तो आप, आपकी life कैसी होगी इस बात का फैसला औरों पर और परिस्थितियों पर छोड़ देते हैं. Habit 2  इस बारे में है कि आप किस तरह से अपनी विशेषता को पहचानते हैं,और फिर अपनी personal, moral और  ethical  guidelines के अन्दर खुद को खुश रख सकते और पूर्ण कर सकते हैं.अंत को ध्यान में रख कर आरम्भ करने का अर्थ है, हर दिन ,काम या project  की शुरआत एक clear vision  के साथ करना कि हमारी क्या दिशा और क्या मंजिल होनी चाहिए, और फिर proactively  उस काम को पूर्ण करने में लग जाना.
Habit 2  को practice मेंलाने का सबसे अच्छा तरीका है कि अपना खुद का एक Personal Mission Statement बनाना. इसका फोकस इस बात पर होगा कि आप क्या बनना चाहते हैं और क्या करना चाहते हैं.ये success के लिए की गयी आपकी planning है.ये इस बात की पुष्टिकरता है कि आप कौन हैं,आपके goals को focus  में रखता है, और आपके ideas  को इस दुनिया में लाता है. आपका Mission Statement आपको अपनी ज़िन्दगी का leader बनाता है. आप अपना भाग्य खुद बनाते हैं, और जो सपने आपने देखे हैं उन्हें साकार करते हैं.
Habit 3 : Put First Things First प्राथमिक चीजों को वरीयता दें
एक balanced life  जीने के लिए, आपको इस बात को समझना होगा कि आप इस ज़िन्दगीमें हर एक चीज नहीं कर सकते. खुद को अपनी क्षमता से अधिक कामो में व्यस्त करने की ज़रुरत नहीं है. जब ज़रूरी हो तो “ना” कहने में मत हिचकिये, और फिर अपनी important priorities पर focus  कीजिये.
Habit 1 
कहतीहै कि , ” आप in charge हैं .आप creator हैं”. Proactive होना आपकी अपनी choice है. Habit 2 पहले दिमाग में चीजों को visualize  करने के बारे में है. अंत को ध्यान में रख कर शुरआत करना vision से सम्बंधित है. Habit 3  दूसरी creation , यानि  physical creation  के बारे में है. इस habit में Habit 1 और Habit 2  का समागम होता है. और यह हर समय हर क्षण होता है. यह Time Management  से related कई प्रश्नों को  deal  करता है.
लेकिन यह सिर्फ इतना ही नहीं है. Habit 3  life management  के बारे में भी है—आपका purpose, values, roles ,और priorities. “प्राथमिक चीजें” क्या हैंप्राथमिक चीजें वह हैं , जिसको आप व्यक्तिगत रूप से सबसे मूल्यवान मानते हों. यदि आप प्राथमिक कार्यों को तरजीह देने का मतलब है कि , आप अपना समय , अपनी उर्जा Habit 2  में अपने द्वारा set की गयीं priorities पर लगा रहे हैं.
Habit 4: Think Win-Win  हमेशा जीत के बारे में सोचें
Think Win-Win अच्छा होने के बारे में नहीं है, ना ही यह कोईshort-cut है. यहcharacter पर आधारित एक कोड है जो आपको बाकी लोगों सेinteract और सहयोग करने के लिए है.
हममे से ज्यादातर लोग अपना मुल्यांकन दूसरों सेcomparison और  competition  के आधार पर करते हैं. हम अपनी सफलता दूसरों की असफलता में देखते हैं—यानि अगर मैं जीता, तो तुम हारे, तुम जीते तो मैं हारा. इस तरह life एकzero-sum game बन जाती है. मानो एक ही रोटी हो, और अगर दूसरा बड़ा हिस्सा ले लेता है तो मुझे कम मिलेगा, और मेरी कोशिश होगी कि दूसरा अधिक ना पाए. हम सभी येgame  खेलते हैं, लेकिन आप ही सोचिये कि इसमें कितना मज़ा है?
Win -Win ज़िन्दगी कोco-operation की तरह देखती है, competition कीतरह नहीं.Win-Win दिल और दिमाग की ऐसी स्थिति है जो हमेंलगातार सभी काहित सोचने के लिए प्रेरित करती है.Win-Win का अर्थ है ऐसे समझौते और समाधान जो सभी के लिए लाभप्रद और संतोषजनक हैं. इसमें सभी   खाने को मिलती है, और वो काफी अच्छाtaste  करती है.
एक व्यक्ति या संगठन जोWin-Win attitude  के साथ समस्याओं को हल करने की कोशिश करता है उसके अन्दर तीन मुख्य बातें होती हैं:
  1.  Integrity / वफादारी :अपनेvalues, commitments औरfeelings के साथ समझौता ना करना.
  2. Maturity / परिपक्वता :  अपनेideas औरfeelings  को साहस के साथ दूसरों के सामने रखना और दूसरों के विचारों और भावनाओं की भी कद्र करना.
  3. Abundance Mentality / प्रचुरता की मानसिकता :इस बात में यकीन रखना की सभी के लिए बहुत कुछ है.
बहुत लोग either/or  केterms  में सोचते हैं: या तो आप अच्छे हैं या आप सख्त हैं. Win-Win में दोनों की आवश्यकता होती है. यह साहस और सूझबूझ के बीचbalance  करने जैसा है.Win-Win को अपनाने के लिए आपको सिर्फ सहानभूतिपूर्ण ही नहीं बल्कि आत्मविश्वाश से लबरेज़ भी होना होगा.आपको सिर्फ विचारशील और संवेदनशील ही नहीं बल्कि बहादुर भी होना होगा.ऐसा करनाकि -courage और  consideration मेंbalance  स्थापित हो, यहीreal maturity  है, और Win-Win  के लिए बेहद ज़रूरी है.
Habit 5: Seek First to Understand, Then to Be Understood / पहले दूसरों को समझो फिर अपनी बात समझाओ.
Communication  लाइफ की सबसे ज़रूरी skill  है. आप अपने कई साल पढना-लिखना और बोलना सीखने में लगा देते हैं. लेकिन सुनने का क्या है? आपको ऐसी कौनसी training  मिली है, जो आपको दूसरों को सुनना सीखाती है,ताकि आप सामने वाले को सच-मुच अच्छे से समझ सकें? शायद कोई नहीं? क्यों?
अगर आप ज्यादातर लोगों की तरह हैं तो शायद आप भी पहले खुद आपनी बात समझाना चाहते होंगे. और ऐसा करने में आप दुसरे व्यक्तिको पूरी तरह ignore कर देते होंगे , ऐसा दिखाते होंगे कि आप सुन रहे हैं,पर दरअसल आप बस शब्दों को सुनते हैं परउनके असली मतलब को पूरी तरह से miss  कर जाते हैं.
 सोचिये ऐसा क्यों होता है? क्योंकि ज्यादातर लोग इस intention  के साथ सुनते हैं कि उन्हें reply  करना है, समझना नहीं है.आप अन्दर ही अन्दर खुद को सुनते हैं और तैयारी  करते हैं कि आपको आगे क्या कहना है,क्या सवाल पूछने हैं, etc. आप जो कुछ भी सुनते हैं वो आपके life-experiences  से छनकर आप तक पहुचता है.
आप जो सुनते हैं उसे अपनी आत्मकथा से तुलना कर देखते हैं कि ये सही है या गलत. और इस वजह से आप दुसरे की बात ख़तम होने से पहले ही अपने मन में एक धारणा बना लेते हैं कि अगला क्या कहना चाहता है.  क्या ये वाक्य कुछ सुने-सुने से लगते है?
अरे, मुझे पता है कि तुम कैसा feel  कर रहे हो.मुझे भी ऐसा ही लगा था.” “मेरे साथ भी भी ऐसा ही हुआ था.” ” मैं तुम्हे बताता हूँ कि ऐसे वक़्तमें मैंने क्या किया था.”
चूँकि आप अपने जीवन के अनुभवों के हिसाब से ही दूसरों को सुनते हैं. आप इन चारों में से किसी एक तरीके से ज़वाब देते हैं:
Evaluating/ मूल्यांकन:पहले आप judge करते हैं उसके बाद सहमत या असहमत होते हैं.
Probing / जाँच :आप अपने हिसाब से सवाल-जवाब करते हैं.
Advising/ सलाह :आप सलाह देते हैं और उपाय सुझाते हैं.
Interpreting/ व्याख्या :आप दूसरों के मकसद और व्यवहार को अपने experience के हिसाब से analyze करते हैं.
शायदआप सोच रहे हों कि, अपनेexperience के हिसाब से किसी सेrelate करने में बुराई क्याहै?कुछsituations में ऐसा करना उचित हो सकत है, जैसे कि जब कोई आपसे आपके अनुभवों के आधार पर कुछ बतानेके लिए कहे, जब आप दोनों के बीच एकtrust कीrelationship हो. पर हमेशा ऐसा करना उचित नहीं है.
Habit 6: Synergize / ताल-मेल बैठाना
सरल शब्दों में समझें तो , “दो दिमाग एक से बेहतर हैं ” Synergize करने का अर्थ है रचनात्मक सहयोग देना. यह team-work है. यह खुले दिमाग से पुरानी समस्याओं के नए निदान ढूँढना है.
पर ये युहीं बस अपने आप ही नहीं हो जाता. यह एक process है , और उसी process से, लोग अपनेexperience और expertise को उपयोग में ला पाते हैं .अकेले की अपेक्षा वो एक साथ कहीं अच्छाresult दे पाते हैं. Synergy से हम एक साथ ऐसा बहुत कुछ खोज पाते हैं जो हमारे अकेले खोजने पर शायद ही कभी मिलता. ये वो idea है जिसमे the whole is greater than the sum of the parts. One plus one equals three, or six, or sixty–या उससे भी ज्यादा.
जब लोग आपस में इमानदारी से interact करने लगते हैं, और एक दुसरे से प्रभावित होने के लिए खुले होते हैं , तब उन्हें नयी जानकारीयाँ मिलना प्रारम्भ हो जाता है. आपस में मतभेद नए तरीकों के आविष्कार की क्षमता कई गुना बढ़ा देते हैं.
मतभेदों को महत्त्व देना synergy का मूल है. क्या आप सच-मुच लोगों के बीच जो mental, emotional, और psychological differences होते हैं, उन्हें महत्त्व देते हैं? या फिर आप ये चाहते हैं कि सभी लोग आपकी बात मान जायें ताकि आप आसानी से आगे बढ़ सकें? कई लोग एकरूपता को एकता समझ लेते हैं. आपसी मतभेदों को weakness नहीं strength के रूप में देखना चाहिए. वो हमारे जीवन में उत्साह भरते हैं.
Habit 7: Sharpen the Saw कुल्हाड़ी को तेज करें
Sharpen the Saw का मतलब है अपने सबसे बड़ी सम्पत्ति यानि खुद को सुरक्षित रखना. इसका अर्थ है अपने लिए एक प्रोग्राम डिजाईन करना जो आपके जीवन के चार क्षेत्रों physical, social/emotional, mental, and spiritual में आपका नवीनीकरण करे. नीचे ऐसी कुछ activities केexample दिए गए हैं:
Physical / शारीरिक :अच्छा खाना, व्यायाम करना, आराम करना
Social/Emotional /:सामजिक/भावनात्मक :औरों के ससाथ सामाजिक और अर्थपूर्ण सम्बन्ध बनाना.
Mental / मानसिक :पढना-लिखना, सीखना , सीखना.
Spiritual / आध्यात्मिक :प्रकृति के साथ समय बीताना , ध्यान करना, सेवा करना.
आप जैसे -जैसे हर एक क्षेत्र में खुद को सुधारेंगे, आप अपने जीवन में प्रगति और बदलाव लायेंगे.Sharpen the Saw आपको fresh रखता है ताकि आप बाकी की six habits अच्छे से practice कर सकें. ऐसा करने से आप challenges face करने की अपनी क्षमता को बढ़ा लेते हैं. बिना ऐसा किये आपका शरीर कमजोर पड़ जाता है , मस्तिष्क बुद्धिरहित हो जाता है, भावनाए ठंडी पड़ जाती हैं,स्वाभाव असंवेदनशील हो जाता है,और इंसान स्वार्थी हो जाता है. और यह एक अच्छी तस्वीर नहीं है, क्यों?
आप अच्छा feel करें , ऐसा अपने आप नहीं होता. एक balanced life जीने काअर्थ है खुद कोrenew करने के लिए ज़रूरी वक़्त निकालना.ये सब आपके ऊपरहै .आप खुद को आराम करकेrenew कर सकते हैं. या हर काम अत्यधिक करके खुद को जला सकते हैं . आप खुद को mentallyऔर spiritually प्यार कर सकते हैं , या फिर अपने well-being से बेखबर यूँ ही अपनी ज़िन्दगी बिता सकते हैं.आप अपने अन्दर जीवंत उर्जा का अनुभव कर सकते हैं या फिर टाल-मटोल कर अच्छे स्वास्थ्य और व्यायाम के फायदों को खो सकते हैं.
आप खुद को पुनर्जीवित कर सकते हैं और एक नए दिन का स्वागत शांति और सद्भावके साथ कर सकते हैं.या फिर आप उदासी के साथ उठकर दिन को गुजरते देख सकतेहैं. बस इतना याद रखिये कि हर दिन आपको खुद को renew करने का एक नया अवसरदेता है, अवसर देता है खुद को recharge करने का. बस ज़रुरत है Desire (इच्छा),Knowledge( ज्ञान)और Skills(कौशल) की.




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Pleasant Personality Develop करने के 10 Tips

Personality Development in Hindi
Develop your personality !
हम रोज़ाना बहुत से लोगों से मिलते हैं पर कुछ -एक लोग ही ऐसे होते हैं जो हमें प्रभावित कर जाते हैं . ऐसे लोगों के लिए ही हम कहते हैं कि , the person has got a pleasant personality. ऐसी personality वाले लोग अक्सर खुशहाल होते हैं और उनकी हर जगह respect होती है , उन्हें like किया जाता है , parties में invite किया जाता है और job में इन्हें promotion भी जल्दी मिलता है . Naturally, हम सभी ऐसी personality possess करना चाहेंगे और आज मैं अपने इस article में ऐसे ही 10 points share कर रहा हूँ जो आपको एक आकर्षक व्यक्तित्व पाने में help कर सकते हैं .
1. लोगों को genuinely like करिए :
जब हम किसी से मिलते हैं तो मन में उस person की एक image बना लेते हैं . ये image positive, negative या neutral हो सकती है . पर अगर हम अपनी personality improve करना चाहते हैं तो हमें इस image को intentionally positive बनाना होगा . हमें अपने mind को train करना होगा कि वो लोगों में अच्छाई खोजे बुराई नहीं . ये करना इतना मुश्किल नहीं है , अगर आप mind को अच्छाई खोजने के लिए निर्देश देंगे तो वो खोज निकालेगा .
हमें लोगों के साथ patient होना चाहिए, उनकी किसी कमी या shortcoming से irritate होने की बजाये खुद को उनकी जगह रख कर देखना चाहिए. क्या पता अगर हम भी उन्ही जैसे circumstnaces में पले-बढे होते तो उन जैसे ही होते!!! इसलिए differences को सेलिब्रेट करिए उनसे irritate मत होइये.
Friends, हमारे चारो -तरफ फैली negativity हमें बहुत प्रभावित करती है , हम रोज़ चोरी , धोखा -धडी , fraud की खबरें सुनते हैं और शायद इसी वजह से आदमी का आदमी पर से विश्वास उठता जा रहा है . मैं ये नहीं कहता की आप आँख -मूँद कर लोगों पर trust करिए , पर ये ज़रूर कहूँगा कि आँख -मूँद कर लोगों पर distrust मत करिए . ज्यादातर लोग अच्छे होते हैं ; कम से कम उनके साथ तो होते ही हैं जो उनके साथ अच्छा होता है , आप लोगों के साथ अच्छा बनिए , उन्हें like करिए और बदले में वे भी आपके साथ ऐसा ही करेंगे .
Ralph Waldo Emerson ने कहा भी है , “मैं जिस व्यक्ति से भी मिलता हूँ वह किसी ना किसी रूप में मुझसे बेहतर है.”
तो जब हर कोई हमसे किसी न किसी रूप में बेहतर है तो उसे like तो किया ही जा सकता है!
2. मुसकुराहट के साथ मिलिए :
जब आप अपने best friend से मिलते हैं तो क्या होता है ? आप एक दूसरे को देखकर smile करते हैं , isn’t it ?
मुस्कराना जाहिर करता है कि आप सामने वाले को पसंद करते हैं . यही बात हर तरह की relations में लागू होती है ; इसलिए आप जब भी किसी से मिलें ( of course कुछ exceptions हैं ) तो चहरे पर एक genuine smile लाइए , इससे लोग आपको पसंद करेंगे , आपसे मिलकर खुश होंगे .आपकी मुस्कराहट के जवाब में मुस्कराहट न मिले ऐसा कम ही होगा , और होता भी है तो let it be आपको अपना part अच्छे से play करना है बस .
ये सुनने में काफी आसान लग रहा होगा , करना ही क्या है , बस हल्का सा smile ही तो करना है , बहुत से log naturally ऐसा करते भी हैं ; पर बहुत से लोग इस छोटी सी बात पर गौर नहीं करते , और अगर आप भी नहीं करते तो इसे अपनी practice में लाइए . एक मुस्कुराता चेहरा एक flat या stern face से कहीं अधिक आकर्षक होता है , और आपकी personality को attractive बनाने में बहुत मददगार होता है .
मुस्कुराने से एक और फायदा भी है , as per some research; जब हम अन्दर से खुश होते हैं तो हमारे एक्सटर्नल expressions उसी हिसाब से change हो जाते हैं , हमें देखकर ही लोग समझ जाते हैं कि हम खुश हैं ; और ठीक इसका उल्टा भी सही है , यानि जब हम अपने बाहरी expressions खुशनुमा बना लेते हैं तो उसका असर हमारे internal mood पर भी पड़ता है और वो अच्छा हो जाता है .
So, don’t forget to carry a sweet smile wherever you go.
3. नाम रहे ध्यान :
किसी व्यक्ति के लिए उसका नाम दुनिया के बाकी सभी नामों से ज्यादा importance रखता है . इसिलए जब आप किसी से बात करें तो बीच -बीच में उसका नाम लेते रहिये . Of course अगर व्यक्ति आपसे senior है तो आपको नाम के साथ ज़रूरी suffix या prefix लगाना होगा .
बीच -बीच में नाम लेने से सामने वाला अपनी importance feel करता है और साथ ही आपकी तरफ ध्यान भी अधिक देता है . And definitely वो इस बात से खुश होता है कि आप उसके नाम को importance दे रहे हैं .
Friends, नाम याद रखने में मैं भी थोडा कच्चा था , यहाँ तक कि कई बार नाम जानने के 2 minute बाद ही वो ध्यान से उतर जाता था . ऐसा basically इसलिए होता था क्योंकि मैं नाम याद रखने की कोशिश ही नहीं करता था ; पर अब मैं intentionally एक बार नाम सुनने के बाद उसे याद रखने की कोशिश करता हूँ . आप भी “नाम की महत्ता को समझिये ” , नाम याद रखना आपको एक बहुत बड़ी edge दे देता है .
4. “I” से पहले “You” को रखिये:
आप किसे अधिक पसंद करेंगे : जो अपने मतलब की बात करे या उसे जो आपके मतलब की बात करे ?
Of course आप दूसरा option choose करेंगे …हर एक इंसान पहले खुद को रखने में लगा हुआ है …मैं ऐसा हूँ , मुझे ये अच्छा लगता है , मैं ये करता हूँ ….isn’t it . पर आप इससे अलग करिए आप “I” से पहले “You” को रखिये .
आप कैसे हैं “, आपको क्या अच्छा लगता है ? , आप क्या करते हैं , ?
I bet, ऐसा करने से लोग आपको कहीं अधिक पसंद करेंगे . अगर अपनी बात करूँ तो अगर आप मुझसे AKC के बारे में बात करेंगे तो मैं आपको बहुत पसंद करूँगा. :)
सिर्फ actors, cricketers, या writers ही नहीं एक आम आदमी भी audience चाहता है …जब आप एक आम आदमी के audience बनते हैं तो आप उसके लिए ख़ास हो जाते हैं . और जब आप बहुत से लोगों के साथ ऐसा करते हैं तो आप बहुत से लोगों के लिए ख़ास हो जाते हैं and in the process आप एक Person से बढ़कर एक Personality बन जाते हैं , एक ऐसी personality जिसे सभी पसंद करते हैं , जिसका charisma सभी को influence कर जाता है .
5. बोलने से पहले सुनिए:
इसे आप पॉइंट 4 का extension कह सकते हैं . जब आप दूसरे में interest लेते हैं तो इसमें इमानदारी होनी चाहिए . आपने “ आप क्या पसंद करते हैं ?” इसलिए नहीं पूछा कि बस वो जल्दी से अपना जवाब ख़तम करे और आप अपनी राम -कथा सुनाने लग जाएं .
आपको सामने वाले को सिर्फ पहले बोलने का मौका ही नहीं देना है , बल्कि उसकी बात को ध्यान से सुनना भी है और बीच -बीच में उससे related और भी बातें करनी हैं . For ex: अगर कोई कहता है कि उसे घूमने का शौक है , तो आप उससे पूछ सकते हैं कि उसकी favourite tourist destination क्या है , और वहां पर कौन -कौन सी जगह अच्छी हैं .
अच्छे listeners की demand कभी कम नहीं होती आप एक अच्छा listener बनिए और देखिये कि किस तरह आपकी demand बढ़ जाती है .
6. क्या कहते हैं से भी ज़रूरी है कैसे कहते हैं :
आप जो बोलते हैं उससे भी अधिक महत्त्व रखता है कि आप कैसे बोलते हैं . For ex. आपसे कोई गलती हुई और आप मुंह बना कर sorry बोलते हैं तो उस sorry का कोई मतलब नहीं . हमें न सिर्फ सही words use करने हैं बल्कि उन्हें किस तरह से कहा जा रहा है इस बात का भी ध्यान रखना है .
इसलिए आप अपनी tone और body language पे ध्यान दीजिये , जितना हो सके polite और well-mannered तरीके से लोगों से बात करिए .
यहाँ मैं ये भी कहना चाहूँगा कि बहुत से लोग English बोलने की ability को Personality से relate कर के देखते हैं , जबकि ऐसा नहीं है , आप बिना A,B,C जाने भी एक प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले इंसान बन सकते हैं .
7. बिना अपना फायदा सोचे लोगों की help करिए :
कई बार हम ऐसी स्थिति में होते हैं कि दूसरों की help कर सकें , पर out of laziness या फिर ये सोचकर कि इसमें हमारा कोई फायदा नहीं है हम help नहीं करते . पर एक pleasant personality वाला व्यक्ति लोगों की help के लिए तैयार रहता है . हाँ , इसका ये मतलब नहीं है कि आप अपने ज़रूरी काम छोड़ कर बस लोगों की help ही करते रहे , लेकिन अगर थोडा वक़्त देने पर आप किसी के काम आ सकते हैं तो ज़रूर आएं . आपकी एक selfless help आपको दूसरों की ही नहीं अपनी नज़रों में भी उठा देगी और आप अच्छा feel करेंगे .
आपने सुना भी होगा ; “A little bit of fragrance always clings to the hands that gives you roses”
8. अपने external appearance को अच्छा बनाइये :
चूँकि हमारा पहला impression हमारी appearance की वजह से ही बनता है इसलिए इस point पर थोडा ध्यान देने की ज़रुरत है .
Appearance से मेरा ये मतलब नहीं है कि आप Gym जाने लगिए और body बनाइये , या फिर beauty –parlour के चक्कर लगाते रहिये , it simply means कि आप occasion के हिसाब से dress-up होइये और personal hygiene पर ध्यान द्जिये . छोटी –छोटी बातें जैसे कि आपका hair-cut , nails और polished shoe आपकी personality पर प्रभाव डालते हैं .
9. क्या appreciate कर सकते हैं खोजिये :
चाहे मैं हूँ , आप हों , या फिर Mr. Bachchan , तारीफ सुनना सबको पसंद है . लोगों का दिल जीतने का और अपना friend बनाने का ये एक शानदार formula है …प्रशंशा कीजिये , सच्ची प्रशंशा कीजिये .
India में ना जाने क्यों किसी की तारीफ़ करना इतना कठिन हो जाता है … शादियों में जो ऑर्केस्ट्रा होती है उसमे ज़रूर गए होंगे ….बेचारा गायक एक शानदार गीत गाता है है और तालियाँ बजाने की बजाये लोग एक -दूसरे के चेहरे देखने लगते हैं …; अच्छा हुआ मैं orchestra में नहीं गाता नहीं तो ऐसी audience की वजह से depression में चला जाता . :)
खैर , मैं यहाँ individual level पे praise करने की बात कर रहा हूँ . अगर आप खोजेंगे तो हर इंसान में आपको तारीफ करने के लिए कुछ न कुछ दिख जाएगा ….वो कुछ भी हो सकता है …उसका garden, coins का collection, बढियां से सजाया कमरा , उसकी smile, उसका नाम , कुछ भी , खोजिये तो सही आपको दिख ही जायेगा . और जब दिख जाए तो दब्बू बन कर मत बैठे रहिये , किसी की तारीफ़ करके आप उसे वो देंगे जो वो दिल से चाहता है …आप उसकी ख़ुशी को बढ़ा देंगे , उसका दिन बना देंगे , और सबसे बड़ी चीज आप उसे वो काम आगे भी carry करने के लिए fuel दे देंगे . अगर सामने बोलने से हिचकते हैं तो बाद में एक sms कर दीजिये , मेल से बता दीजिये , पर अगर कुछ praiseworthy है तो उसे praise ज़रूर करिए .
हाँ अगर बहुत कोशिश करने पर भी वो ना मिले तो don’t try to fake it…बच्चे भी समझ जाते हैं कि आप सच्ची तारीफ कर रहे हैं या झूठी .
10. लगातार observe और improve करते रहिये :
Personality development एक on-going process है . हम सब में improvement का infinite scope है , इसलिए कभी ये मत समझिये कि बस अब जिंतना improvement होना था हो गया , बल्कि अपने लिए कुछ समय निकाल कर अपनी activities, अपने words को minutely observe करिए , आपने क्या किया , आप उसे और अच्छा कैसे कर सकते हैं , कहीं ऐसा तो नहीं कि आप किसी चीज को लेकर खुद को तीस-मारखां समझ रहे हैं और हकीकत में लोग आपकी इस बात को पसंद नहीं करते .
For ex. कुछ साल पहले मैंने realize किया कि लोगों में जल्दी improvement लाने के चक्कर में मैं इतने अधिक mistakes point out कर देता कि उनका confidence कम हो जाता ; so I improved on this point और अब मैं patiently ये काम करता हूँ .आप भी इस रास्ते पर बढ़ते हुए खुद को observe करते चलिए , और लगातार improve करते जाइये .
I hope ये 10 बातें आपको अपनी personality pleasant बनाने में help करेंगी .
अब क्या करना है ?
अब आपको इन दस बातों की बारी-बारी से प्रैक्टिस करनी है. To start with आप अपनी पसंद का कोई एक point choose कर लें , ध्यान रहे कि एक बार में सिर्फ और सिर्फ एक point पर ही focus करना है . Choose करने के बाद इसे real life में apply करें . अपनी day-today activities में खुद पर नज़र रखें और देखें कि आप सचमुच उसे apply कर पा रहे हैं या नहीं . जब एक हफ्ते ऐसा कर लें तो दूसरे point को उठाएं और अब उसकी practice करें . इस दौरान आप पहले point को भी apply करते रहे , पर अगर वो miss भी हो जाता है to don’t worry फिलहाल आपका focus point 2 है , और वो नहीं miss होना चाहिए .
इसी तरह से आप बाकी points की भी practice करते रहिये , और कुछ ही महीनो में आप पाएंगे कि एक साथ सारी बातों पर ध्यान दे पा रहे हैं . Just be patient and keep on moving , and surely आप जल्द ही एक pleasant personality के मालिक होंगे .
All the best

thanks writer

दिल  की  सुनने  में  आने  वाले  7 challenges !

Listen To Your Heart in Hindi
सुनें दिल की आवाज़
हम  अक्सर  सुनते  हैं  कि  हमें  अपने  दिल की सुननी चाहिए …जिस  काम  में  मन  लगे  वो  करना  चाहिए …अपने  passion को  follow करना  चाहिए …, उसी को अपना career बनाना चाहिए …etc.  ये  बातें  बिलकुल  सही  हैं , मैंने  खुद  भी  अपने  कुछ  articles में  इन चीजों पर जोर दिया है ,  पर एक सच ये भी है कि  हममे  से  ज्यादातर  लोग  ऐसा  नहीं  करते. तो सवाल उठता है कि क्यों ज्यादातर लोग लाइफ में जो आसानी से मिल जाता है उसे ही अपनी किस्मत मान लेते हैं और  बस  यूँही  सस्ते  में  अपनी  ज़िन्दगी  बिता  देते  हैं ?
ऐसा शायद   इसलिए  होता  है  क्योंकि  दिल  की  सुनना   आसान  नहीं  होता …इसमें  कई  challenges आते  हैं , और  आज  मैं  ऐसे  ही  कुछ  challenges के  बारे में  आपसे  अपनी  thoughts share कर  रहा  हूँ .  इन्हें  share करने  का  मेरा  motive ये  है  कि  यदि  आप  उनमे  से  हैं  जो   अपने  सपनो   को  पूरा  करने  में  लगे  हैं  या future में लगने वाले हैं तो   इन  challenges से  घबराएं  नहीं …आप  अकेले  इनका  सामना  नहीं  कर  रहे  हैं …आपकी  gene का  हर  आदमी  more or less in challenges को  face करता है ,  कुछ इनके आगे निकल  जाते  हैं तो कुछ हार मान लेते  हैं. अब ये आप पर depend करता है कि आप क्या करते हैं!!!
तो आइये जानते हैं इन 7 challenges को :
1)      Society का  opposition:
यदि  आपका  passion लीक  से   हटकर  हो  तो  आप  को  समाज  के  विरोध  के  लिए  तैयार  रहना  चाहिए . सबसे  ज्यादा  opposition तो  आपकी  family से  ही  हो सकता है …क्योंकि  वही  आपकी   सबसे  अधिक  चिंता  करते  हैं . ख़ास  तौर  पर  middle class families जहाँ  job को  ही  सबसे  safe माना  जाता  है  वहां  यदि  आप  कुछ  entrepreneurial करने  का  सोचते  हैं  तो  family आपके  खिलाफ  हो  जाती  है . उनका विरोध  human nature के इस fact को दर्शाता है कि हम unknown या  कुछ  नए  को  accept करने  से  डरते  हैं  ….पर  जब  आप  अपने  काम  में  लगे  रहते  हैं  तो  धीरे  धीरे  वही  लोग  आपकी  मदद  में  सामने  आ   जाते  हैं . इसलिए  इस  initial opposition को  part of process समझें  और  इससे  घबराये  नहीं . जहाँ  तक  हो  सके  बस  अपनी  family को  confidence में  लेने  का  प्रयास  करें , बाकियों  का  तो  सोचे  भी  नहीं .
2)      दोस्त  आगे  निकल  जाते  हैं :
सभी  का  अपना -अपना  friend circle होता  है , मौज – मस्ती  होती  है .. exam की  tension होती  है … हम  बड़े  होते  हैं  और  फिर  ज़िन्दगी  की  so called race में  लग  जाते  हैं …..ज्यादातर   लोग  conventional wisdom अपनाते  हुए , doctor ,engineer, सरकारी  नौकरी …etc के  चक्कर  में  लग जाते  हैं  और  देर -सबेर  इसमें  कामयाब  भी  हो  जाते  हैं . अगर  सचमुच  आप  दिल  से  यही  करना  चाहते  थे तो  इसमें  कोई  बुराई  नहीं  है ….दिल  की  सुनना  हमेशा ….singer , cricketer या  actor बनना ही नहीं  होता ….ये  Engineer, doctor बन  कर  देश  की  सेवा  करना  भी  हो  सकता  है .  और  एक  दूसरे  case में  भी  यह  करना  सही  है – जब  आप  clear नहीं  होते  की  आप  दरअसल  life में  करना  क्या  चाहते  हैं,  तो  भी  आप  यही  रास्ता  चुन सकते हैं  ..इसमें  कम  से  कम  आप  financially secure रहेंगे , जो  कि  बेहद  ज़रूरी  है .
Challenge तब  आता  है  जब  आप  अपने  life goals को  लेकर  clear होते  हैं , और  अपने  रास्ते  पर  निकल  पड़ते  हैं .  और  ऐसा  life की  किसी  भी stage में    हो  सकता  है , पहले  हो  जाता  है  तो  ठीक  है , पर  अधिकतर  ये  clarity थोड़ी  देर  से  आती  है  इसलिए  जब  आप  इस  दिशा  में  बढ़ते  हैं  तो  आप  पाते  हैं  कि  अभी  आपने  शुरुआत  भर  की  है  और  आपके  बाकी  दोस्त  conventional path follow करते  हुए  एक  well- settled life ( society की  नज़र  में ) की  तरफ  बढ़  चुके  हैं .  यहाँ  आपको  थोड़ी  उलझन  हो  सकती  है , आपके  मन  में  doubt आ  सकता  है  कि  आप  ही  की  उम्र  के  लोग  इतने  पैसे  कमा  रहे  हैं  और  आप  अभी  struggle ही  कर  रहे हैं …..ऐसा  लग  सकता  है  कि  आप  कहीं  गलती  तो  नहीं  कर  रहे  हैं , और  यहीं  पर  आपको  डंटे  रहना  है .
अपने  काम  में  believe करिए , इन  distractions की  life बहुत  छोटी  होती  है , अगर  आप  सचमुच  अपने  काम  को  लेकर  passionate हैं  तो  आप  जल्द  ही  इनसे  पार  पा  लेंगे .  जब  अमिताभ  बच्चन  को  27-28 साल  की  उम्र  में  पहली  बार   फिल्मो में  ब्रेक  मिला  था  तो  उस  वक़्त  तक  उनके  भी  बहुत  सारे  classmates अच्छी  नौकरियों  में   settle हो  चुके थे , ऐसे  में उनके  भी  अन्दर  सवाल  उठे  होंगे , पर  उन्होंने  उन  distractions को  खुद  पर  हावी  नहीं  होने  दिया  और  इतने  महान  अभिनेता  बने .
आप  भी  औरों   के  आगे  निकलने  से  परेशान  मत  होइए , ….लम्बी  race के  घोड़े  शुरू  में  धीमे-धीमे  ही  दौड़ते  हैं .
3)      सफलता  के  लिए  लम्बा  इंतज़ार :
कई  बार  लोग  कामयाबी  के  बहुत  करीब  पहुच  कर  हार  मान  लेते  हैं . आपको  ध्यान  देना  होगा  कि  आप  अपने  काम  को  अंजाम  तक  पहुचाएं , किसी  भी  काम  को  करने  में  time तो  लगता  ही  है  और  जब  काम  बड़ा  हो  तो  समय  भी  बड़ा  लगता  है .
Kentucky Fried Chicken (KFC) के founder Colonel Sanders ने जब अपनी business idea के लिए लोगों को convince करना चाहा तो उन्हें हज़ार से भी  अधिक बार ना सुननी पड़ी. वह अपनी कार में एक शहर से दूसरे शहर घूमते रहे और restaurant मालिकों से मिलते रहे , और इस दौरान कई बार उन्हें अपनी कार में ही सोना पड़ता था. पर इतनी ना सुनने के बाद भी उन्हें अपनी चिकन बनाने की secret recipe पर यकीन था और देर से ही सही पर उन्हें सफलता मिली और आज KFC दुनिया भर में एक successful brand के रूप में जाना जाता है.
4)      आपके  दिल  का  काम  financially rewarding ….नहीं  भी  हो  सकता  है  :
May be आप  जिस  चीज  को  लेकर  passionate हैं  वो  आपको  satisfaction तो  दे  पर  उतने  पैसे  ना दे . For example आप  as a social activist काम  करना  चाहते  हों , या  किसी  NGO के  लिए  अपना  time देना  चाहते  हों .  तो  ऐसे  में  आपको  पहले  से  अपना  mind make-up कर  के  रखना  होगा  कि  आप  वो  पा  रहे  हैं  जो  पैसे  से  नहीं  पाया  जा  सकता  और  इसी  सोच  के  साथ  आपको  अपने  काम  में  लगे  रहना  होता  है .
यहाँ  मैं एक  चीज  ज़रूर  कहना चाहूँगा  कि  ऐसी  fields में  भी  जब  आप  fully involved हो  कर  काम  करते  हैं  तो  देर -सबेर  आपको  financially भी  इसका  reward मिलता  है , आप  निःस्वार्थ  भाव  से  अपने  काम  में  लगे  रहिये  आपका  काम  ही  आपका  reward है .
5)      Boredom:
 ऐसा भी  होता  है  कि आप   जिस  चीज को  करना बहुत अधिक  पसंद  करते  हैं  उसी  को  करने  में  बोरीयत  होने  लगे , ऐसे  में  आपको  ये  नहीं  सोचना  चाहिए  कि  आपका  passion ख़तम  हो  गया  है  बल्कि  अपने  काम  को  interesting बनाने  के  लिए  नए  तरीके  और  ideas खोजने  चाहिए . कुछ  दिन  में  खुद -बखुद  boredom ख़तम  हो  जायेगा  और  आप  फिर  से  उसी  जोशो -जूनून  के  साथ  अपने  dream को  pursue कर  पायेंगे .
इतना  ध्यान  रखिये  कि  अपने  दिल  की  सुनने  वाला  हर एक  सफल  व्यक्ति  कभी  ना  कभी  इस  phase से  गुजरता  है  इसलिए  अगर  आप  भी  इस  phase से  गुजरें तो  just be relaxed….ये  भी  सफलता   के  मार्ग  में  आने  वाले  एक  पड़ाव  भर  है .
6)      Focus loose करना  :
I think ये  सबसे  बड़ा  challenge है  जो  ज्यादातर  सपनो  को  पूरा  नहीं  होने  देता . मेरी तरह आपने भी कई  बार  लोगों  को  यह  कहते   सुना होगा   कि  , “ Well begun is half done….पहला  step लेना  ही  सबसे  कठिन  है  उसके  बाद  सब  हो  जाता  है ….etc” पर  मुझे  लगता  है  कि  पहला  step लेना  आसान  है , आप  कोई  भी  काम  कुछ  effort डाल  कर  शुरू  कर  सकते  हैं …कठिन  तो  उसे  पूरा करना है, उसमे सफलता पाना है.
होता  क्या  है  कि  आप  पूरी  energy के  साथ  अपने  दिल  के  कहे  रास्ते  पर  बढ़ते  हैं  , पर  कुछ दूर  जाने  के  बाद  ही  आपको  कई  नए  alternatives दिखने  लगते  हैं ….आपके  मन  में  आने  लगता  है  कि  शायद  ये  काम  छोड़  कर  वो  करें  तो  ज्यादा  अच्छा  रहेगा … फिर  आप  जो  कर  रहे  होते  हैं  उसमे  आपका  focus कम  होने  लगता  है …आप  दूसरी  idea की  तरफ  attract होने  लगते  हैं …और  ऐसा  करने  से  आप  जो  कर  रहे  होते  हैं  उसमे  भी  आप  अपना  100% नहीं  दे  पाते  हैं  and ultimately success से  दूर  रह  जाते  हैं . इसलिए  ज़रूरी  है  कि  आप  अपने  आगाज़  को  अंजाम  तक  पहुंचाएं , बीच  में  अपना  focus ना  loose करें .
स्वामी विवेकानंद ने  भी  सफल  होने  के  लिए  यही  मन्त्र  दिया  है , “
“ एक विचार लो . उस  विचार  को  अपना जीवन  बना  लो – उसके  बारे  में  सोचो  उसके  सपने  देखो , उस  विचार  को  जियो  . अपने मस्तिष्क , मांसपेशियों , नसों , शरीर  के  हर  हिस्से  को  उस विचार में  डूब  जाने  दो , और  बाकी  सभी विचार  को  किनारे  रख  दो . यही सफल  होने  का तरीका  है.”
7)      आपको  ये  पता  चलना  कि  आप  जो  कर  रहे  हैं  वो  आपका  passion नहीं  है :
Shockingggg !!! लेकिन  ये  एक  बहुत  ही  common  scenario है, भले ही आप खुद इसे accept करने से कतराएं  .
हर  दिन  हर  पल  हम  बदल  रहे  हैं , हम  तब  तक  अपनी  true liking नहीं  जान  पाते  जब  तक  हम  उस  काम  को  practically कर  के  नहीं  देखते . हम  कोई  article पढ़  के , कोई  program देख  के, किसी  दोस्त  के  influence में , या  किसी  और  वजह  से  किसी  काम  को   अपना  passion समझ  लेते  हैं  और  उसे  करना  शुरू  करते  हैं  पर  कुछ  दिनों  बाद  ही  हम उस  काम  से  उबने  लगते  हैं , to the extent that हम  उसे  करना  ही  नहीं  चाहते . यह  कुछ  कुछ  Boredom जैसा  ही  है  पर  ये  boredom का  बहुत बड़ा और बिगड़ा हुआ रूप  है  जिसमे  आप  धीरे -धीरे  उस  काम  को  ना  करने  के  excuses खोजने  लगते  हैं .
जब  ऐसा  हो  तो  क्या  करें ? Simple, अपने  नए  passion की  तालाश  शुरू  करें , और  उसे  भी  practically apply करके  देखें , और  अगर  इस  बार  भी  आपको  लगे  कि ये आपके  दिल  की  आवाज़  नहीं  है  तो  फिर  अपने  असली  जूनून  को  खोजने  में  जुट  जाएं .  ये  जीवन  भर  बेमन  का  काम  करने  से  अच्छा  है  कि  देर  से  ही  सही  पर  आप  अपना  passion खोज  पाएं , और  जब  तक  आपको  यह  नहीं  मिलता  तब  तक  खुद  को  financially support करने  के  लिए  कुछ  और  भी  करते  रहे ,may be a 9 to 5 job…tuition पढ़ाना …family business….etc, पर  अपने  passion की  तालाश   को  रोकें  नहीं …उसे  खोज  निकालें …एक दिन यही  खोज  आपको  mediocre life से निकाल  कर  superior life की  तरफ  ले जायेगी.
Friends, तो  ये  थे  वो  सात  challenges जो  आमतौर  पर  आपको   दिल  की  आवाज़  सुनने   में  face करने  पड़ सकते  हैं , पर ध्यान रहे कि ये  कोई  comprehensive list नहीं  है  , इसके  आलावा  भी  कई  और  challenges हैं  जो  आपके  सामने  आ  सकते  हैं  , जैसे  कि  पैसों  की  कमी , परिवार  की  जिम्मेदारी , etc. पर  इन  सब  के  बावजूद passionate लोग  वो  सब  कुछ  कर  गुजरते  हैं  जो  वो  करना  चाहते  हैं ….आप  भी  इन  challenges की  वजह  से  अपने  जोश  को  ठंढा  मत  पड़ने  दीजिये  और  अपने  dreams को  reality बना  कर  दिखाइए , तभी  जीने  का  असली  मजा  है .
All the best


thanks to writer

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का सटीक रामबाण

  जो सोचा नही था , वो समय आज गया । ऐसा समय आया कि लोगो को सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि उस समय क्या किया जाए । आज की लोगो की जीवनशैली की वजह से...